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अपराधियों से सांठगांठ का खुलासा

Posted on 10 February 2012 by admin

जनपद बस्ती के बसपा कोआर्डिनेटर डा. किताबुल्लाह के पास से 21लाख रूपये नगद और देश व विदेशी असलहे तथा सैंकड़ों की संख्या में कारतूस बरामद होना मायावती जी का अपराधियों से सांठगांठ का खुलासा करता है तथा सुश्री मायावती का यह झूठ भी साबित हो गया है गुण्डों और बदमाशों को उन्होने अपनी पार्टी से अलग कर दिया है। कंाग्रेस पार्टी इसकी घोर निंदा करती है और साथ ही जांच की मांग की है कि बसपा के कोआर्डिनेटर कहीं असलहे की फैक्ट्री तो नहीं लगा रखे हैं। मायावती जी ने अभी तक उन्हें पार्टी से नहीं निकाला है जो उनकी नीयति को दर्शाता है।
कल मा0 इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसले के अन्तर्गत प्रदेश में एनआरएचएम घोटाले को देखते हुए जापानी इंसेफेलाइटिस से प्रभावित पूर्वी उत्तर प्रदेश के 27 जिलों के लिए केन्द्र सरकार द्वारा स्वीकृत करोड़ों रूपये की धनराशि जारी करने पर रोक लगा दी है। न्यायालय ने आदेश दिया कि जेई नियंत्रण संबंधी विभिनन योजनाओं के प्रस्तावों को मंत्रिमण्डलीय समूह के समक्ष अनुमोदन के लिए रखा जाए। केन्द्र सरकार ने राज्य सरकार को निर्मल ग्राम योजना के मद में 5664.42लाख, ग्रामीण क्षेत्र के लिए 13110.98लाख, नौ जिलों में 10बेड का आईसीयू स्थापित करने के लिए 461.28लाख, सर्वशिक्षा अभियान के लिए 10181.64लाख तथा लार्वा कन्ज्यूमिंग फिशेज के लिए 39लाख रूपये की मंजूरी दी है। इन भुगतानों पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है।
केन्द्र सरकार द्वारा लागू किये गये प्रदेश में जनकल्याणकारी योजनाओं का धन प्रदेश सरकार के भ्रष्टाचार की भंेट चढ़ गयी। जब मा0 उच्च न्यायालय ने एनआरएचएम की सीबीआई जांच के आदेश दिये थे तो उसमें मा0 न्यायालय ने अपने आदेश में अतिरिक्त महान्यायवादी के इस तर्क का संज्ञान लेते हुए कि एनआरएचएम में सरकार की बहुत ही सीमित भूमिका थी, यह कहा है कि ‘‘एमओयू’’ के अनुसार विकेंद्रीकृत प्रशासन को ध्यान में रखते हुए इस बात को कुछ हद तक ले जाया जा सकता है , यद्यपि इस बात से भी आंखें नहीं मूंदी जा सकती कि राज्य में एनआरएचम को लागू करने वाल एमओयू राज्य सरकार के साथ किया था ना कि स्टेट हेल्थ सोसाइटी या अन्य किसी संस्था के साथ, जो कि केवल पूरे मिशन को लागू करने वाली एजेंसी मात्र हो। स्टेट हेल्थ मिशन का एक्स आफिसियो अध्यक्ष मुख्यमंत्री, जबकि एक्स आफिसियो सह अध्यक्ष स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री को मात्र इसलिए नामित किया जाता है जिससे कि पूरी व्यवस्था पर वे अपनी दृष्टि व नियंत्रण रख सकें ताकि एनआरएचएम के लागू होने से अपेक्षित लक्ष्यों को प्रशासनिक गड़बडि़यों की वजह से कोई नुकसान नहीं पहुंचे। उक्त तथ्य निःसंदेह राज्य पर यह जिम्मेदारी सौंपता है कि वह राज्य में मिशन की धनराशि के उपयोग तथा प्रगति पर दृष्टि रखंे। जहां तक स्वयं राज्य की बात है मिशन को लागू करने में राज्य के सम्मिलित होने को नकारा नहीं जा सकता है। उपरोक्त रिपोर्ट से यह साफ होता है कि जिस प्रकार से एनआरएचएम से सम्बन्धित मामलों को निपटाया गया है जिस कारण दो मंत्रियों को अपने इस्तीफे भेजने पड़े हैं, अनियमितताओं को उजागर करती हैं।
आज से 22 वर्ष पूर्व विद्युत उत्पादन, पारेषण व वितरण के क्षेत्र में जो उ0प्र0, देश के अग्रणी राज्येां में गिना जाता था, वह आज पूर्ण दुर्दशा को प्राप्त है। आये दिन विद्युत की आपूर्ति की कमी के कारण, उपभोक्ता लखनऊ नगर में, जहां 24 घंटे आपूर्ति की व्यवस्था है, आपूर्ति की कमी के कारण विद्युत कर्मचारियों व अधिकारियों पर हमले बोलते रहते हैं व विद्युत उपकरण फुंकते रहते हैं। प्रदेश में विद्युत व्यवस्था बिल्कुल चरमरा गई है। चारों ओर अव्यवस्था फैल गई है।
देश की आबादी का 17प्रतिशत होने के कारण भारत की कुल उत्पादन क्षमता 1,65,000 मेगावाट अर्थात 17प्रतिशत अर्थात 28000 मेगावाट का औसत उत्पादन क्षमता होनी चाहिए किन्तु एनटीपीसी से उपलब्ध लगभग 3000 मेगावाट को जोड़ने के पश्चात कुल क्षमता लगभग 8000 मेगावाट होती है जिसके कारण विद्युत उत्पादन में प्रदेश बहुत पीछे हो गया है। उद्योगों के बंद होने से प्रदेश का विकास रूक गया है। 1980 में सूबे में औद्योगिक बिजली का हिस्सा 46प्रतिशत था जो अब घटकर
27.36प्रतिशत रह गया है। केन्द्र सरकार द्वारा कराये गये सर्वे के अनुसार सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम दर्जे के 75659 उद्योग बंद पाये गये। 35,065 उद्योगों का पता ही नहीं चल पा रहा है और प्रदेश की इस दुर्दशा के पीछे विगत 22 वर्ष की भाजपा, सपा और बसपा की सरकारें तो थीं ही, इस वक्त की बसपा सरकार की धन लोलुपता ने तो प्रदेश की बिजली पूर्णतया गुल कर दी है। इनके भ्रष्टाचार का सबसे ज्वलंत उदाहरण राज्य विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष पद पर राजेश अवस्थी नामक एक ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति कर दी गयी जिसे दूर दूर तक वांछित क्षेत्र का कोई ज्ञान नहीं था। सड़क एवं बिल्डिंग अर्थात अधिशाषी अभियंता स्तर के एक सिविल इंजीनियर को आयोग का चेयरमैन बना दिया गया जिसने पिछले तीन साल में धन उगाही के अलावा अन्य कर्तव्य नहीं निभाया। यह श्री सतीश मिश्रा, सांसद के सगे सम्बन्धी हैं।
मा0 उच्च न्यायालय ने नन्दलाल बनाम राज्य सरकार उ0प्र0 एवं अन्य, केस नं. 1428 एमबी 2010 पर दिनांक 10.1.2012 को अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए श्री राजेश अवस्थी को बर्खास्त करने का निर्णय दिया था। श्री अवस्थी पर रिट में आरोप लगाया गया था कि आयोग में आने के 41दिन पूर्व मेसर्स जे0पी0 बेंचर में उपाध्यक्ष की हैसियत से काम किया था। मे0 जे0पी0 बारा, करछना प्रोजेक्ट को महंगे दर पर नियामक आयोग द्वारा मंजूरी ली जानी थी क्यांेकि पावर कार्पोरेशन ने मे0 लैकों एवं मे0 रिलायंस की निम्नदरों को अवैध तरीके से निरस्त करके जे0पी0 से लगभग 50 पैसे अधिक दर से लेने का अनुबंध किये थे। श्री अवस्थी ने सभी तथ्यों को दरकिनार करके अकेले अपनी कलम से 50 पैसे मंहगी दर से मंजूरी प्रदान की जिससे जे0पी0 वेंचर की वजह से जो घोटाला होता तथा सूबे पर लगभग 30,000 करोड़ का भार पड़ता। जे0पी0 ग्रुप सुश्री मायावती के सबसे नजदीकी हैं प्रदेश के गरीब किसानों की जमीनों को लेकर जे0पी0 ग्रुप का व्यापार बढ़ाने का कार्य बसपा सरकार ने किया।
इस ऐतिहासिक फैसले में मा0 उच्च न्यायालय के पैरा 65 में यह टिप्पणी की है कि उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर इस संभावनाओं को नकारा नहीं जा सकता कि विपक्षी सं0 3(राजेश अवस्थी) ने चेयरपरसन की हैसियत से जे0पी0 वेंचर्स पावर लि0 के पक्ष में दो प्रोजेक्ट में रूचि रखी। पैरा 66 में राज्य  ने भी यह स्वीकार किया है कि दिशा-निर्देश(गाइड लाइन) को मे0 जे0पी0 वेंचर्स प्रा0 लि0 की परियोजना के पक्ष में शिथिल किया गया है।
उपरोक्त फैसले के बाद भी बेशर्म प्रदेश सरकार इस भ्रष्ट अधिकारी को बचाने में लगी है और इससे यह भी साबित होता है कि मुख्यमंत्री सुश्री मायावती ने अपने नजदीकी श्री सतीश मिश्रा के जरिए अपने आर्थिक लाभ के चलते पूरे प्रदेश का विकास चैपट कर दिया। अगर इस घोटाले की जांच हो जाय तो यह घोटाला एनआरएचएम तो दूर की बात प्रदेश के सबसे बड़े घोटाले में से एक साबित होगा।
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव श्री किरीट सोमैया जो अन्य घोटालों के बारे में ज्यादा बोलते हैं इसमें जे0पी0 का नाम आने से इस संबंध में कुछ नहीं बोला और हो सकता है कि श्री बाबू सिंह कुशवाहा को अपनी पार्टी में शामिल करने के लिए चलते सहानुभूति के चलते ऐसा किया हो। भाजपा के कार्यकाल में भी दो पावर हाउस बेंचे गये थे और इस मामले में भी भाजपा और बसपा की साफ मिलीभगत दिखाई पड़ती है।
प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता राम कुमार भार्गव का उपरोक्त मा0 उच्च न्यायालय की टिप्पणियों के दृष्टिगत यह साफ आरोप है कि मुख्यमंत्री स्वयं इस घोटाले में शामिल थीं। मुख्यमंत्री स्वयं मिशन की एक्स आफिसियो अध्यक्ष थीं और उनके दो मंत्री उनके अधीन रहकर मिशन पर पूरी निगरानी बनाए हुए थे तो जितनी भी अनयिमितताएं हुई हैं वे मुख्यमंत्री के संज्ञान में थी तो इस पूरे घोटाले के लिए मंत्रियों की ही बलि क्यों दी गयी जबकि मुख्यमंत्री भी बराबर के जिम्मेदार थीं। इसलिए यह बात सामने आने के बाद सुश्री मायावती को एक मिनट के लिए भी राज्य का मुख्यमंत्री बने रहने का अधिकार नहीं है। जनता ने अपना फैसला सुना दिया है और इस सरकार का अंत सुनिश्चित है। इसकी जांच के बाद सुश्री मायावती और उनके लुटेरे गिरोह का वक्त जेल की सींखचों में ही कटेगा। प्रदेश की इस दुर्दशा के लिए जनता इनको कभी माफ नहीं करेगी। इनसे पाई-पाई का हिसाब वसूल करेगी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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