डा0 अम्बेडकर के जन्म दिवस के अवसर पर 14 अप्रैल 1984 को बहुजन समाज पार्टी की स्थापना के समय मान्यवर कांशीराम ने कहा था कि आगे चलकर भारत में सिर्फ दो राजनीतिक पार्टियां ही रह जाएंगी। एक अम्बेडकरवादी विचारधारा वाली पार्टी यानी बहुजन समाज पार्टी और दूसरी गैर अम्बेडकरवादी पार्टियां, यह बात आर.के.चैधरी ने कही कि उत्तर प्रदेश के दलितो को अब लगने लगा है कि उनके मसीहा कांशीराम का किया धरा सब धराशाही हुआ जा रहा है। सामाजिक परिवर्तन का कारवां भ्रष्टाचार की भेंट चढा जा रहा है। दलित समाज अब एक ऐसे विकल्प को तलाश करने की कोशिश कर रहा है जो भ्रष्टाचार का शिकार न हो जाए। उसकी बेचैनी जायज भी है। कांशीराम भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने के लिए प्रतिबद्ध थे। उनका सपना था कि उनकी बनाई पार्टी में साफ सुथरी छवि के नेता तैयार हों। इसकी झलक 1993 में उनकी इस नसीहत से मिलती है जो उन्होने सपा-बसपा गठबन्धन की सरकार में बसपा कोटे से बनाये गए अपने पांचों कैबिनेट मंत्रियों को दी थी। चार दिसम्बर 1993 को शपथ ग्रहण समारोह के बाद लखनऊ के मीरा बाई गेस्ट हाउस में अपने पांचांे मंत्रियों आर. के. चैधरी, राम लखन वर्मा, राज बहादुर, डा.मसूद अहमद और राम यादव को एक साथ बैठाकर उन्होंने कहा था ‘ यह ऐतिहासिक अवसर है कि आप लोग बसपा के सबसे पहले मंत्री बने हो, आप अपने अपने विभागो को अच्छी तरह समझने की कोशिश करना और इन विभागों में फैले भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए जुट जाना और यदि भ्रष्टाचार न मिटा पाना तो मेरे ऊपर मेहरबानी करके कम से कम स्वयं भ्रष्टाचार में मत डूब जाना वर्ना मुझे बेहद तकलीफ होगी। ’
यह दुर्भाग्य ही है कि भ्रष्टाचार के प्रति इस तरह के विचार रखने वाले मान्यवर कांशीराम जी ने जिसे अपना उत्तराधिकारी चुना उस पर भ्रष्टाचार के आरोपो की झडी लगी हुई है। बसपा के नेतृत्व पर ही नही पार्टी के लगभग सभी नेताओ के तरह तरह के भ्रष्टाचार के चर्चे देश भर में विख्यात रहे हैं। कुछ नेता तो भ्रष्टाचार के पर्याय के रूप में भी जाने जाते हैं। इनमें से कुछ को निकाल देने से पार्टी की छवि नहीं सुधरने वाली ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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