विज्ञापन में जन समूह का स्वार्थ जुड़ा होना जरूरी-सुभाष सूद
उत्पाद का विज्ञापन करने के लिए डिजिटल मीडिया का प्रयोग जरूरी -डाॅ0 सर्वेश त्रिपाठी
इलेक्ट्रानिक मीडिया इलेक्ट्रो एनर्जी पर आधारित-प्रो0 ए0के0 सेन गुप्त
हिन्दी तथा आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा ए0पी0 सेन हाल में आयोजित तीन दिवसीय इलेक्ट्रानिक मीडिया कार्यशाला का आज समापन हो गया।
कार्यशाला के तीसरे दिन पंचम सत्र में श्री सुभाष सूद ने प्रशिक्षण देते हुए प्रतिभागियों को बताया कि विज्ञापन मंे विचार लक्षित समूह को देखकर बनाया जाय तो विज्ञापन उत्पाद की बिक्री बढ़ाने में सफल होता है। इसके अलावा जनसमूह की मनोभावनाओं के पढ़कर, भांपकर और शोध कर बना विज्ञापन सफल सिद्ध होता है। विज्ञापन में काॅपी थिकिंग जरूरी है। विज्ञापन अनुभव के आधार पर लक्षित जनसमूह के अनुभव को जोड़कर बना विज्ञापन अधिक प्रभावशाली होता है। विज्ञापन में जन समूह का स्वार्थ जुड़ा होना जरूरी है अगर विज्ञापन में स्वार्थ नहीं जुड़ा होगा तो जन समूह रूचि नहीं लेगा। उन्हांेने कहा कि टी0वी0 के लिए विज्ञापन बनाते समय स्टोरी बोर्ड का सहारा लेकर उस पर विजुअल ड्राॅ कर लेना चाहिए तभी विज्ञापन की दिशा सही होगी। उन्हांेने कहा कि टी0वी0 पर दिखने वाला विज्ञापन ज्यादा महत्वपूर्ण व प्रभावी होता है क्योंकि उसमें कलर, एक्सशन, मोशन, थीम और सांग आदि सभी बातें सम्मिलित होते हैं। विज्ञापन बनाते समय अलग-अलग फ्रेम तैयार करना चाहिए इससे विज्ञापन की कहानी ऊभर कर समाने आती है। उन्हांेने कहा कि आज प्रतियोगिता का दौर है इसलिए विज्ञापन बनाते समय इस बात का जरूर ध्यान देना चाहिए कि बातें दुहराई न जा रही हों। विज्ञापन से यह प्रदर्शित होना चाहिए कि उस उत्पाद की जन समूह को आवश्यकता है। विज्ञापन में विश्वसनीयता का भाव होना चाहिए। विज्ञापन मनोवैज्ञानिक प्रभाव छोड़ता है जिससे जन समूह प्रभावित होता है। आज इंटरनेट का प्रभाव अत्यधिक बढ़ रहा है, जिसमंे दृश्य ज्यादा प्रभावी हो रहा है। आज मैसेज से भी उत्पादांे का विज्ञापन हो रहा है लेकिन अभी उसमें कमियां ज्यादा हैं। मैसेज भेजने का समय गलत होता है जिससे लोग उसे मिटा देते हैं।
डाॅ0 सर्वेश त्रिपाठी ने कहा कि किसी भी कार्यशाला में बच्चों की उपस्थिति ज्यादा जरूरी है तभी वह कार्यशाला सफल मानी जाती है। आप सभी की उपस्थिति इस कार्यशाला को सफल बना रही है। उन्होंने कहा कि आज डिजिटल मीडिया का उपयोग बढ़ रहा है इसलिए जरूरी है कि किसी उत्पाद का विज्ञापन करने के लिए डिजिटल मीडिया का प्रयोग किया जाये ताकि उत्पाद जन समूह के बीच और लोकप्रिय हो सके।
डाॅ0 महाबीर सिंह ने समापन अवसर पर कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय के कार्यक्रम एक माॅडल के रूप में होते हैं जिसकी नकल उत्तर भारत के अनेक विश्वविद्यालय कर रहे हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के अनुशासन की चर्चा लगभग हर विश्वविद्यालयों में होती है इसका लाभ विद्यार्थियों को अवश्य मिलता है। उन्हांेने कहा कि अच्छा विद्वान वही है जो अपने ज्ञान का हस्तान्तरण करे। उन्होंने छात्रों से कहा कि वह अपने व्यक्तित्व का समग्र विकास करें ताकि वह समाज के काम आ सकें।
समापन समारोह के मुख्य अतिथि आकाशवाणी केन्द्र लखनऊ के अपर महानिदेशक श्री गुलाब चंद ने छात्रों से कहा कि इलेक्ट्रानिक मीडिया में आपका चिंतन, मनन, भाव आवश्यक है क्योंकि इलेक्ट्रानिक मीडिया लोगों की भावनाओं से जुड़ा हुआ होता है।
समापन समारोह के अध्यक्ष लखनऊ विश्वविद्यालय कलासंकाय के अधिष्ठाता प्रो0 ए0के0 सेन गुप्त ने कहा कि इलेक्ट्रानिक मीडिया इलेक्ट्रो एनर्जी पर आधारित है। डाॅक्यूमेंट्री फिल्में बनाकर ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को जागरूक किया जा सकता है। ये फिल्में ग्रामीणों पर ज्यादा प्रभाव डालेंगी व उन्हें शिक्षित करेंगी। उन्होंने कार्यशालाओं के आयोजन पर जोर देते हुए कहा कि इस तरह के आयोजनों से छात्रों के व्यक्तित्व का विकास होता है, अध्यापकों और विद्यार्थियों में समपर्ण की भावना उत्पन्न होती है। कार्यशाला, गोष्ठियों तथा वाद विवाद प्रतियोगिताओं से छात्रों में सहनशीलता का विकास होता है।
हिन्दी विभाग की अध्यक्ष प्रो0 कैलाश देवी सिंह ने अतिथियों व छात्रों का हृदय से स्वागत किया। प्रो0 पवन अग्रवाल द्वारा अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया गया। समापन समारोह का संचालन डाॅ0 हिमांशु सेन द्वारा किया गया। कार्यशाला के आयोजन सचिव डाॅ0 रमेश चन्द्र त्रिपाठी ने अतिथियों को पुष्पगुच्छ व स्मृतिचिन्ह देकर स्वागत किया। समापन समारोह के अवसर पर हिन्दी विभाग व विश्वविद्यालय के अन्य विभागों के शिक्षक व छात्र उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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