उत्तर प्रदेश के 7 आईपीएस अफसरों के इस्तीफे की पेशकश ने यह साबित कर दिया है कि उ0प्र0 में कुछ अधिकारियों के महत्वपूर्ण पदों पर रहते निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं है। चुनाव आयोग को इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए संबंधित अधिकारियों पर तत्काल कार्यवाही करते हुए उन्हें उनके पदों से हटा देना चाहिए।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने राज्य सरकार से पूछा है कि आखिर वह कौन से कारण थे और उन अधिकारियों द्वारा इन आईपीएस अफसरों द्वारा कौन से ऐसे आदेश दिये जा रहे थे जिसे इन अधिकारियों के लिए मानना संभव नहीं था। ऐसा लगता है कि कुछ उच्च अधिकारियों के कहने पर प्रदेश में हो रहे चुनाव को प्रभावित करने के लिए इस तरह के निर्देश दिये जा रहे थे। अगर ऐसा है तो यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।
प्रदेश कंाग्रेस के प्रवक्ता द्विजेन्द्र त्रिपाठी ने आज यहां जारी बयान में कहा कि बसपा शासनकाल में जिस तरह से आईपीएस अधिकारियों ने अपने उच्च अधिकारियों खासतौर पर आईएएस अधिकारियों पर उत्पीड़न के आरोप लगाये, इससे आईएएस और आईपीएस के बीच जो खाई बढ़ी है वह बहुत ही दुःखद एवं प्रशासनिक दृष्टिकोण से काफी गंभीर है। इस गंभीर प्रकरण में चुनाव आयोग को तत्काल संज्ञान में लेते हुए संबंधित अधिकारियों तथा ऐसे उन सभी अधिकारियों को तत्काल महत्वपूर्ण पदों से तथा चुनाव प्रक्रिया से हटा देना चाहिए। जिससे चुनाव आयोग की मंशा के अनुरूप प्रदेश में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सम्पन्न हो सके।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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