लखनऊ उ0प्र0 गन्ना विकास विभाग द्वारा विकसित एवं लागू ‘‘गन्ना सूचना प्रणाली’’ (ैप्ै) ने नेषनल ई-गर्वनेन्स के सम्बन्ध में वर्ष 2011-12 में भारत सरकार द्वारा दिये जाने वाले अति प्रतिश्ठित पुरस्कार नेशनल एवार्ड फार ई-गवर्नेंन्स में स्वर्ण पदक जीत लिया है। पूरे देश से प्राप्त लगभग 200 नामांकन में से भारत सरकार द्वारा गन्ना विकास विभाग द्वारा विकसित गन्ना सूचना प्रणाली की समीक्षा एवं मूल्यांकन के उपरान्त गन्ना सूचना प्रणाली को स्वर्ण पदक पुरस्कार हेतु चयनित किया गया है। गन्ना आयुक्त, श्री कामरान रिजवी के नेतृत्व में प्रोजेक्ट टीम के अन्य सदस्यों श्री अमिताभ प्रकाष, अपर गन्ना आयुक्त(प्रषा0), श्री राजेष कुमार पाण्डेय, संयुक्त चीनी आयुक्त एवं श्री अनिल कुमार षर्मा, मुख्य अभियन्ता को आगामी 09-10 फरवरी 2012 को भारत सरकार द्वारा भुवनेष्वर में आयोजित होने वाले 15वें नेषनल कान्फ्रेस आन ई-गर्वनेन्स के अवसर पर महामहिम श्री राज्यपाल उड़ीसा द्वारा पुरस्कार प्रदान किया जायेगा।
देष में ग्रामीण सूचना तकनीक के क्षेत्र में गन्ना सूचना प्रणाली(ैप्ै) एक वृहद ग्रामीण सूचना तकनीक है जो गन्ना कृशकों को उनकी समस्त आवष्यकताओं की पूर्ति एवं समस्याओं का समग्रता से समाधान करती है। गन्ना सूचना प्रणाली गन्ना विकास विभाग, 125 चीनी मिलों, 168 सहकारी गन्ना समितियों एवं 29 लाख गन्ना किसानों के मध्य संयुक्त प्रयास का परिणाम है।
उत्तर प्रदेष देष का एक मुख्य गन्ना उत्पादक राज्य है। प्रदेष के 29 लाख गन्ना किसान एवं उनके परिवार गन्ने की खेती पर आश्रित हैं जो उनकी आजीविका का मुख्य स्रोत है। प्रदेष में 125 चीनी मिलें संचालित हैं । गन्ना किसानों , सहकारी गन्ना समितियों एवं चीनी मिलों के मध्य गन्ना बुआई, गन्ना सर्वे, गन्ने की पर्ची, गन्ने की आपूर्ति एवं तौल एवं गन्ना मूल्य भुगतान के सम्बन्ध में गन्ना किसानों को सम्पर्क स्थापित करना होता है और कई बार चीनी मिलों एवं सहकारी गन्ना समितियों के कार्यालयों में आना-जाना पड़ता था। परिणामस्वरूप गन्ना किसानों का समय एवं धन दोनों की अनावष्यक बरबादी होती थी। गन्ना किसानों की उपरोक्त समस्या के निराकरण हेतु गन्ना विकास विभाग द्वारा गन्ना सूचना प्रणाली विकसित की गयी। गन्ना सूचना प्रणाली पूर्ण पारदर्षी विधि है जिसमें मुख्य रूप से तीन अवयवों यथा- वेवसाइट, एस0एम0एस0, क्यू0एम0एस0 एवं आई0वी0आर0एस0 द्वारा सूचना प्रदान की जाती है। गन्ना तौल हेतु प्रदेष में 7000 गन्ना क्रय केन्द्रों पर हैण्डहेल्ड कम्प्यूटर स्थापित किये गये हैं।
प्रदेष में स्थापित 116 चीनी मिलों द्वारा अपनी पृथक-पृथक वेबसाइट तैयार की गई है जिसके अन्तर्गत एस.एम.एस./क्यू.एस.एम.एस. एवं आई.वी.आर.एस. क्रियाशील हैं। 29 लाख गन्ना कृषकों के 2.5 करोड़ वेबपेज बनाये गये हैं। 15 करोड़ एस.एम.एस. निःशुल्क गन्ना कृषकों को प्रेषित किये जा चुके हैं। गत तीन माह में लगभग 8 लाख आई.वी.आर.एस. हिट इस प्रणाली की किसानों के बीच लोकप्रियता एवं महत्ता को स्वतः प्रकट करता है। गन्ना सूचना प्रणाली का लाभकारी प्रभाव गन्ना कृषकों एवं चीनी मिलों पर समान रूप से पड़ा है। गत वर्ष के आंकड़ों के आधार पर इस प्रणाली के उपयोग से जहाॅं गन्ना कृषकों को 850 करोड़ रूपये की बचत हुई हैं वहीं दूसरी ओर चीनी मिलों द्वारा 700 करोड़ रूपये का लाभ अर्जित किया गया है।
गन्ना सूचना प्रणाली विकसित करने से गन्ना किसानों की कठिनाईयां अत्यन्त न्यून हो गयी हैं। गन्ना सूचना प्रणाली के अन्तर्गत दी जाने वाली सुविधायें यथा-एस0एम0एस0/क्यू0एस0एम0एस0 एवं आई0वी0आर0एस0 से अन्तःक्रिया (Interactions) पूर्णतया निःषुल्क है। इस प्रणाली से गन्ना किसान घर बैठे गन्ने के सम्बन्ध में विभाग की वेबसाइटwww.upcane.org/sis मोबाइल, लैण्डलाइन तथा नजदीकी साइबर कैफे से आवश्यक सूचनाएं प्राप्त कर सकते हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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