भारत निर्वाचन आयोग ने विधान सभा चुनावों के दौरान गुपचुप तरीको से मतदाताओं को लालच देने तथा उनके बीच नकद धनराशि तथा शराब एवं अन्य उपहारो का वितरण कर उन्हें प्रभावित करने के संबंध में मीडिया तथा अन्य माध्यमों से प्राप्त हो रही शिकायतों पर गंभीर रूख अपनाया है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि मतदाताओं को किसी भी प्रकार का प्रलोभन देना भारतीय दण्ड संहिता के अंतर्गत दण्डनीय अपराध है तथा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अंतर्गत भ्रष्ट आचरण की श्रेणी में आता है। जिसको रोकने के लिए आयोग द्वारा कड़े कदम उठाये गये है।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी श्री उमेश सिन्हा ने आज यहाँ यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आयोग ने प्रवर्तन एजेन्सियों को यह निर्देश दिये है कि वे सचल दस्तो का गठन करें तथा इन दस्तों के माध्यम से चुनाव प्रक्रिया के दौरान विधान सभा क्षेत्रों में धनराशि, शराब एवं अन्य उपहार सामग्री के वितरण पर कड़ी दृष्टि रखें। यह भी निर्देश दिये गये है कि हवाई अड्डों, प्रमुख रेलवे स्टेशनों, होटलों, फार्म हाउसों, फाइनेन्शियल ब्रोकर्स तथा हवाला एजेन्टों आदि की गतिविधियों के अंतर्गत प्रयोग किये जाने वाले लेन-देन पर कड़ी नजर रखने के लिए आयकर विभाग की सेवाएं ली जाये।
श्री सिन्हा ने बताया निर्वाचन आयोग ने सभी विधान सभा प्रत्याशियों को कहा गया है कि वह अपने चुनाव व्यय के लिए एक अलग खाता खोले और चुनाव से संबंधित सभी व्यय उसी खाते से किये जाये। उन्होंने बताया कि राजनैतिक दलों द्वारा जो धनराशि उम्मीदवारों को दी जाती है वह भी चुनावी खर्च के अंतर्गत दैनिक खातों में परिलछित होनी चाहिए। राजनैतिक दलों सेे भी यह अपेक्षा की गई है कि चुनावी खर्च का लेखा जोखा रखें। चुनाव समाप्त होने के पश्चात आयोग में प्रस्तुत किये जायंेगे। उन्होंने यह भी बताया कि चुनावों की सुचिता एवं चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाये रखने के लिए राजनैतिक दलों को सलाह दी गयी है कि वे चुनाव के दौरान धनराशि के नगद लेन-देन से बचे तथा अपने दलों के पदाधिकारियों, अधिकारियों, एजेन्टो एवं प्रत्याशियों को यह निर्देश दे दे कि वे चुनाव प्रक्रिया के दौरान बड़ी धनराशि अपने साथ न रखें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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