समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि अब यह बात दिन के उजाले की तरह साफ हो गई है कि प्रदेश की राजनीति में बसपा, कांग्रेस और भाजपा की तिकड़ी बनी हुई है और इनमें आपसी समझ के साथ चुनावी चाले चली जा रही है। तीनों ही दलों में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर आम सहमति है और वे मिलीभगत से अपने आदमियों को इस या उस दल में खपाने तथा बचाने का काम कर रहे हैं। बसपा, भाजपा में पुराने भाई-बहिनवाले रिश्ते कायम है जबकि कांग्रेस इनके संरक्षक की भूमिका में है।
उत्तर प्रदेश में समाज का हर वर्ग मुख्यमंत्री के भयादोहन और भ्रष्टाचार से परेशान है। मंत्रियों और अधिकारियों का काम उनके लिए धन उगाही करना और उसके नए-नए स्रोत तलाश करना रह गया है। कैबिनेट सचिव, प्रमुख सचिव गृह और डीजपी का दायित्व बसपा के पक्ष में काम करने के लिए अधीनस्थ अधिकारियों को डराना-धमकाना है। बसपा राज में भ्रष्टाचार की सड़ांध जब बर्दाश्त के बाहर हो गई और मुख्यमंत्री कार्यालय भी चपेट में आने लगा तो दिखावे के लिए मुख्यमंत्री ने अपने बदनाम मंत्रियों को भाईजी की पार्टी भारतीय जनता पार्टी में भिजवा दिया। भाजपा में उनका फूलमालाओं से भव्य स्वागत किया गया। बसपा के मुख्यमंत्री की यह चाल लेकिन जनता बखूबी समझती है कि तमाम दागी मंत्री उनके साढ़े चार साल से ज्यादा समय तक विश्वस्त सहयेागी बने रहे, वे उनको क्लीनचिट बांटती रही और जब पानी सिर से ऊपर चढ़ गया और हर तरफ थू-थू होने लगी तो उन्होने अपने खास लोगों को बाहर का रास्ता दिखाने का दिखावा कर खुद को पाक साफ जताने की कोशिश की है। लेकिन ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन घोटाला, खाद्यान्न घोटाला और आबकारी तथा खनन आदि कई घोटालों की जांच ठीक से शुरू होने पर मुख्यमंत्री भी उसकी आंच से नहीं बच पाएगीं।
यह हैरानी की बात है कि कांग्रेस बसपा के हाथी पर लूट के माल से मोटा होने का आरोप तो लगाती है पर उससे लूट का हिसाब नहीं मांगती है। उल्टे वह हाथी को पैसा खाने देकर और मोटा तगड़ा बना रही है। बसपा के भ्रष्टाचार को कांग्रेस का खुला संरक्षण मिल रहा है। मुख्यमंत्री को कांग्रेस राज में विशेष दर्जा मिला हुआ है। समाजवादी पार्टी द्वारा बसपा राज के अत्याचारों की जानकारी लगातार महामहिम राज्यपाल को दिए जाने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की गई। केन्द्र के इस उपेक्षापूर्ण रूख के फलस्वरूप उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री की तानाशाही चल रही है। उन्हें तत्काल बर्खास्त नहीं किया गया तो उत्तर प्रदेश में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव नहीं हो सकेगें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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