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ऊपर से नीचे तक पूरी तरह मुखिया सहित भ्रष्टाचार में लिप्त है

Posted on 31 December 2011 by admin

उत्तर प्रदेश में अब तक 19 मंत्री भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त हो चुके हैं और शायद हिन्दुस्तान का यह पहला मंत्रिमण्डल है जो ऊपर से नीचे तक पूरी तरह मुखिया सहित भ्रष्टाचार में लिप्त है। जब-जब चुनाव नजदीक आते हैं सुश्री मायावती जी का पुराना नाटक शुरू हेा जाता है। मुख्यमंत्री जी चाहे जितना भी मंत्रियों के सिर ठीकरा फोड़ें परन्तु वे खुद बच नहीं पायेंगी, क्योंकि जनता इनकी असलियत समझ चुकी है। सबसे गंभीर बात यह है कि हटाये गये मंत्रियों के विभागों का चार्ज भी नसीमुद्दीन सिद्दीकी जैसे दागी मंत्रियों को दिया गया है जिनके खिलाफ अनेकों गंभीर भ्रष्टाचार की जांच लोकायुक्त के यहां चल रही है, इनके विषय में मुख्यमंत्री अपना रूख क्यों नहीं साफ करतीं। उन्होने कहा कि मायावती सरकार के भ्रष्टाचार, लूट खसोट और कुशासन का प्रदेश की जनता इस चुनाव में अवश्य बदला लेगी।
प्रदेश कंाग्रेस अध्यक्ष डाॅ0 रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि इसी प्रकार इनकी सहयोगी भाजपा, जिसे लेकर चार-चार बार उ0प्र0 में बसपा की सरकार बनी है, वह भी नाटक कर रही है। भाजपा भी मायावती सरकार के भ्रष्टाचार के विरूद्ध केवल नाटक कर रही है। सच्चाई तो यह है कि भाजपा और बसपा की अंदरूनी सांठ-गांठ हो चुकी है।
डाॅ0 जोशी ने लोकपाल विधेयक को राज्यसभा में लटकाने के लिए भाजपा की कड़ी निन्दा की है। उन्होने कहा कि लोकपाल विधेयक पर भाजपा के रूख से साफ हो गया है कि उसकी कथनी व करनी में कितना अन्तर है। बाहर वह भ्रष्टाचार से लड़ने की बात करती है, लेकिन सदन के भीतर इसके विपरीत आचरण करती है। भाजपा ने पहले लोकसभा में लोकपाल को संवैधानिक दर्जा दिए जाने संबंधी संविधान संशोधन को पारित नहीं होने दिया और फिर लोकपाल विधेयक को ही राज्यसभा में रूकवा दिया। शर्मनाक स्थिति यह है कि अपने इस कृत्य पर शर्मिन्दा होने के बजाय भाजपा नेता उल्टे कांग्रेस को दोष दे रही है।
डाॅ0 जोशी ने कहा कि भाजपा नेता आम जनता को मूर्ख न समझें। जनता सब कुछ देख और समझ रही है। लोकपाल विधेयक के साथ लोकायुक्त के गठन का प्राविधान किए जाने की मांग का भाजपा ने सार्वजनिक तौर पर समर्थन किया था। जंतर-मंतर पर उसके नेताओं ने इसके समर्थन में लम्बे-चैड़े भाषण भी दिए थे। लेकिन जब केन्द्र सरकार सम्बन्धित विधेयक संसद में लायी तो भाजपा नेता पलट गए और उन्होने लोकायुक्त की नियुक्ति का खुला विरोध शुरू कर दिया। लोकसभा में संप्रग का बहुमत था, इसलिए विधेयक आसानी से पारित हो गया। लेकिन राज्यसभा में संप्रग के पास बहुमत नहीं था। यदि भाजपा वाकई में भ्रष्टाचार से लड़ने की इच्छुक होती तो इस विधेयक को पारित करने में मदद करती। लेकिन उसने जानबूझकर विधेयक पर इतने संशोधन पेश कर दिए कि सदन के लिए उन पर विचार करना संभव न हो सके। यह विधेयक को रूकवाने की भाजपा की रणनीति का हिस्सा था।
प्रदेश कंाग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भ्रष्टाचार से भाजपा का पुराना नाता है। उसके शासित राज्यों ने इस मामले में कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। सभी को मालूम है कि कर्नाटक व उत्तराखण्ड के मामले में भाजपा को मजबूरी में कार्यवाही करनी पड़ी। वरना उन्होने आखिरी दम तक अपने भ्रष्ट मुख्यमंत्रियों को बचाने की कोशिश की थी। प्रदेश की जनता भी यहां भाजपा के शासन के दौरान हुए घोटालों को भूली नहीं है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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