समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि मुख्यमंत्री दोनों हाथों सौगातें बांट रही है। प्रचार का हर माध्यम अपनाते हुए अपने राज की बड़ाई करा रही है। 24 विभागों के कामकाज पर वे श्वेतपत्र ला चुकी है। लेकिन जमीन-आसमान के बीच जितना अंतर है उतना ही अंतर उनके दावों और जमीनी हकीकत में है। प्रदेष में खुशहाली के उनके दावें की पोल तो उनके गृह/पुलिस विभाग की विज्ञाप्तियाॅ ही रोज खोल देती हैं पर दिक्कत यह है कि मुख्यमंत्री को उन्हें पढ़ने की न फुर्सत है, न इच्छा। उनको मालूम है कि उनके बेचे हुए थाने क्या परिणाम देगें।
राजधानी लखनऊ में चोरी,डकैती की रोज ही घटनाएं घट रही है। वृद्धजनों की जिन्दगी हमेशा खतरे में रहती है। सर्राफा व्यवसाई लुट चुके है। एटीएम के ताले टूट रहे हैं, यहां तक कि मशीने तक उठाई जा रही है। बैंकों में दिनदहाड़े लूट हो रही है। यह तब जबकि मुख्यमंत्री जो गृहमंत्री भी हैं, शहर में नए-नए थाने चैकियां खोल रही है। अपराध वृद्धि और थाना वृद्धि में क्या संबंध है, यह आसानी से समझा जा सकता है।
मुख्यमंत्री की सरकार से जानमाल का खतरा सिर्फ विपक्षियों को ही नहीं है, सरकार से जुड़े खास लोगों को भी है। कभी मुख्यमंत्री के खास (धन) संग्रह अमीन की भ्ूामिका वाले श्री बाबू सिंह कुशवाहा को हाईकोर्ट जाने पर सुरक्षा मिल सकी है। ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के घोटाले में दो सीएमओ और जेल में एक डिप्टी सीएमओ की हत्या के रहस्यों से वाकिफ श्री कुशवाहा अब बसपा से निष्कासित हैं।
भयमुक्त और भ्रष्टाचार मुक्त उत्तर प्रदेश का दावा भी सिर्फ दिखावें के लिए है। हत्या, लूट, बलात्कार की बढ़ती घटनाओं से पूरा प्रदेश आतंकित है। जब से बसपा सत्ता में आई है हर तरफ भ्रष्टाचार का परनाला बहने लगा है। हर काम में मोटा कमीशन वसूला जाने लगा है। विकास के नाम पर पत्थरों की मूर्तियां लगने लगी है। बसपा मंत्रिमण्डल के आधे से ज्यादा मंत्री भ्रष्टाचार के मामलों में फंसे है। मंत्रियों के भ्रष्टाचार की पटकथाएं एक नए श्वेतपत्र के रंगीन अध्याय बन सकते हैं। उनके भ्रष्टाचार का अब तो उनके ही अधीनस्थ पर्दाफाश करने लगे है।
प्रदेश में आज जैसी विषम और संकट पूर्ण स्थिति है, उससे उबरने का एक ही तरीका है कि यहां राष्ट्रपति शासन लागू हो। महामहिम राज्यपाल को अब इसमें देर नहीं करना चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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