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प्रस्तावित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक गरीबों के लिये व्यवहारिक नहीं-माननीया मुख्यमंत्री जी

Posted on 22 December 2011 by admin

विधेयक से गैर-कांग्रेसी राज्य सरकारों पर अत्यधिक व्ययभार डाला जा रहा है
केन्द्र द्वारा बी0पी0एल0 की संख्या न बढ़ाये जाने के कारण बड़ी संख्या में गरीब इस योजना से बाहर हो जायेंगे
बिना धन और खाद्यान्न की व्यवस्था किये राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक पास कराना कांग्रेस पार्टी का एक चुनावी स्टंट

उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री माननीया सुश्री मायावती जी संसद में प्रस्तुत किये गये राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इसके लागू होने पर राज्य सरकारों पर काफी व्यय भार आयेगा। उन्होंने खाद्य सुरक्षा विधेयक के अन्तर्गत किये गये प्राविधानों का जिक्र करते हुये कहा कि इस विधेयक में दी गयी व्यवस्था के अनुसार पात्र व्यक्तियों को निर्धारित मात्रा में खाद्यान्न की आपूर्ति न होने पर उन्हें राज्य सरकार को खाद्य सुरक्षा भत्ता देना पड़ेगा, जो कि राज्य सरकार को वहन करना पड़ेगा।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि खाद्यान्न और वित्तीय व्यवस्था किये बगैर इस विधेयक को पास कराने का प्रयास कांग्रेस पार्टी का एक चुनावी स्टंट है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के प्राविधानों के तहत राज्यों में राज्य खाद्य सुरक्षा आयोग गठित करने की बात की गयी है। इस आयोग के गठित होने पर इसके क्रियान्वयन व मूल्यांकन के लिये स्टाफ आदि की व्यवस्था करनी पड़ेगी, जिसका व्ययभार भी राज्य सरकारों को उठाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत लाभार्थियों को खाद्यान्न की आपूर्ति के लिये आवंटित अनाज के भण्डारण के लिये कई स्तर पर गोदामों की व्यवस्था करनी पड़ेगी। इसके अलावा गोदामों का निर्माण भी किया जायेगा, इसका भी खर्चा राज्य सरकारों पर आयेगा। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था को बेहतर ढंग से लागू करने के लिए कम्प्यूटराइजेशन आदि पर भी भारी व्यय आयेगा, इससे राज्य सरकार पर भारी व्यय भार आयेगा।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा गैर-कांग्रेस शासित राज्य सरकारों के साथ लगातार किये जा रहे असहयोग एवं पक्षपात पूर्ण रवैये तथा संवैधानिक व्यवस्था के तहत मिलने वाले अंश की धनराशि को समय से जारी न किये जाने के कारण इन राज्यों की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है।
सुश्री मायावती जी ने कहा कि केन्द्र सरकार ने पहले से ही बी0पी0एल0 की संख्या निर्धारित कर रखी है और बार-बार अनुरोध करने के बाद भी बी0पी0एल0 की संख्या बढ़ाई नहीं गयी है। इसके लिए केन्द्र सरकार को पत्र भी लिखा जा चुका है। लेकिन इस सम्बन्ध में अबतक कोई कार्यवाही नहीं की गयी है। उन्होंने कहा कि बी0पी0एल0 परिवारों की संख्या निर्धारित करने से बड़ी संख्या में गरीब लोग इस विधेयक के लाभों से वंचित रहेंगे। उनकी सरकार ने ऐसे लोगों की आर्थिक मदद के लिये उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री महामाया गरीब आर्थिक मदद योजना शुरु की है, जिसके तहत गरीबों को प्रतिमाह 400 रुपये की नगद आर्थिक सहायता दी जा रही है।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि केन्द्र सरकार शुरु से ही गैर-कांग्रेसी सरकारों के साथ सौतेला एवं उपेक्षापूर्ण रवैया अपनाये हुये है। संविधान के तहत मिलने वाली उचित आर्थिक सहायता भी नहीं दी जा रही है और समय से धनराशि भी आवंटित नहीं की जा रही है, जिससे गैर कांग्रेस शासित राज्य सरकारों की आर्थिक स्थिति प्रभावित हो रही है और उन्हें अपने राज्यों में जन अपेक्षाओं के अनुरूप कल्याणकारी योजनाओं का संचालन तथा विकास कार्यों को भी अंजाम देना है। अपने सीमित संसाधनों से राज्य सरकारें विभिन्न योजनाओं का संचालन कर रही हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार को राज्य सरकार को संघीय ढांचे के तहत मिलने वाली आर्थिक सहायता देकर सहयोग करना चाहिये, ताकि राज्य सरकारें विभिन्न योजनायें संचालित कर गरीबों को लाभान्वित कर सके।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रस्तावित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम से गरीबों का भला होने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा पहले से संचालित विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ गरीबों को नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि बेहतर होता कि राज्य सरकार पर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम का भार न डालकर केन्द्र सरकार उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री महामाया गरीब आर्थिक मदद योजना के लिये पर्याप्त धनराशि उपलब्ध कराती, जिससे अधिक से अधिक गरीबों को लाभान्वित किया जा सके। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के रवैये से ऐसा प्रतीत होता है कि उसकी अन्य योजनाओं की तरह इस विधेयक का भी यही हश्र होगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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