जिला मुख्यालय से मात्र 16 किलोमीटर दूर सुलतानपुर रायबरेली राजमार्ग पर स्थित धम्मौर कस्बा पुरातात्विक और ऐतिहासिक गौरव गाथा को समेटे हुये है। क्षेत्र के चारों दिशाओं में पुरातत्विक अवशेष विद्यमान है। उसके संरक्षण के लिए पुरातत्व विभाग ने उत्खनन के बाद अपने संरक्षण में ले लिया है, इतना कुछ हेाने के बाद पर्यटन महकमे की नजरे इनायत नहीं हो सकी हैं। पुरातत्व वेत्ताओं ने यहां मिले अवशेषों को 9 वीं शताब्दी के होने का अनुमान लगाया है।बताते चलंे कि क्षेत्रीय संबाददाता से मिली जानकारी के अनुसार धम्मौर कस्बे से दो किलोमीटर दूर पश्चिम दिशा में स्थित शनिचरा गांव में ‘ठाकुर बाबा’ नाम से मसहूर स्थान पर झाडि़यों में स्थित कुछ मूर्तियां और खंडहर दशकों पूर्व ग्रामीणों ने देखा था। मूर्तियों को देखने के बाद ग्रामीणों ने यहां साफ-सफाई कर पूजा अर्चना शुरू कर दी। पुरातत्व अवशेषों में रूचि रखने वाले तत्कालीन अवध विकास समिति के अध्यक्ष एसपी सिंह के प्रयास से पुरातत्व विभाग इस क्षेत्र में सक्रिय हुआ, और इस स्थान को अपने संरक्षण में लेकर खुदाई शुरू की। खुदाई में यहां कई पुरातत्विक अवशेष मिले। अवशेषों के आधार पर पुरातत्ववेत्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि यहां 1200 वर्ष पूर्व ईटों का भव्य मन्दिर था। मन्दिर के आसपास विष्णु एवं सूर्य आदि देवताओं की प्रतिमाएं प्रतिष्ठित थीं। इतिहासकारों का मानना है कि कन्नौज के राजा भोजदेव ने यह लेख लिखवाये थे। आज यह स्थान उप्र राज्य पुरातत्व विभाग के कब्जे में है। वर्ष 2001 में तत्कालीन क्षेत्रीय विधायक एवं राज्यमंत्री ओमप्रकाश पांडेय ने इस स्थान के समीप यात्रियों के लिए रैन बसेरा का निर्माण कराया था। उन्होंने इस क्षेत्र में स्थित पुरातात्विक स्थलों कूड़धाम, हाजी पट्टी, महेशनाथ मंदिर धम्मौर, समनाभार गांव स्थित नरसिंहन मंदिर हडि़या बाबा की तपस्थली में भी रैन बसेरा का निर्माण कराया है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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