समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में गम्भीर संवैधानिक संकट की स्थिति है। विधान सभा चुनाव सिर पर हैं। मुख्यमंत्री फिर भी ताबड़तोड़ ऐसी घेाषणाएं करती जा रही हैं जिनका उद्देश्य केवल जनता को भ्रमित करना है। उनके मंत्रिमण्डल के तमाम मंत्री भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे हुए हैं। लोकायुक्त के यहां मुख्यमंत्री के बाद नं0 2 की हैसियत रखनेवाले मंत्री श्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी सपरिवार जांच के घेरे में है। उन्हें जेल जाना चाहिए पर आज भी उन्होने 6 सौ करोड़ के शिलान्यास और लोकार्पण किये हैं। प्रदेश में न सड़कें हैं न स्वास्थ्य सेवाएं बस लूट और बजट के बंदरबांट का यह इंतजाम किया गया है। कई मंत्री जांच में दोषी सिद्ध हो चुके है। भ्रष्टाचारियों के बूते सरकार चलानेवाली मुख्यमंत्री को यदि महामहिम ने तत्काल बर्खास्त नहीं किया तो उससे न्यायमंत्र की अवमानना के साथ स्वतंत्र चुनाव भी मजाक बनकर रह जाएगें।
भ्रष्ट बसपा सरकार से किसी तरह के स्वच्छ प्रशासन और जनता को न्याय मिलने की आशा नहीं की जा सकती है। ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की जांच की आंच स्वयं मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुॅच रही है। मनरेगा और धान-‘गेहू खरीद में भी घोटाला हुआ है। मुख्यमंत्री को सीबीआई जांच से परहेज है क्योंकि प्रदेश में जो कुछ भी घोटाले हो रहे है उनकी जानकारी में हो रहे है। कहीं आगे जांच न बढ़े इसलिए अब उनके गुर्गो ने घपलों के रिकार्ड ही गायब करने शुरू कर दिए हंै। बुंदेलखण्ड पैकेज के तहत कृषि यंत्रीकरण के लिए केन्द्र से आवंटित धन के लाभार्थियों के आवेदन पत्र. गायब हो गए हैं। गरीबों का हक छीनकर मंत्री श्री नसीमुद्दीन के परिवारीजनों ने केन्द्रीय धनराशि में लूट की और उनकी पत्नी ने भी एक ट्रस्ट के नाम पर अकूत संपत्ति खरीदी है। ये सब मामले उजागर हो रहे हैं। एक मंत्री जी अपने पद के अलावा एक स्कूल के हेड मास्टर और प्रबन्धक का भी काम कर रहे है और हर तरफ बटोर रहे हैं। सर छुपाने को प्रदेशवासी तरस रहे हैं मगर एक मंत्री को वन विभाग तोहफे में 40 बीघा जमीन देने जा रहा है।
दलितों को वोट बैंक माानकर उनका शोषण करनेवाली मुख्यमंत्री के समय में जो भ्रष्टाचार फैला है, उसका ओरछोर नहीं है। वे खुद और उनके मंत्र.ी सिर्फ प्रदेश को लूटने पर तुले है। जनता की गाढ़ी कमाई में कमीशन के लिए हजारों करोड़ रूपए पार्को, स्मारकों, पत्थर के हाथियों और अपनी मूर्तियों पर फंूक देनेवाली मुख्यमंत्री अपने मंत्रियों पर कैसे लगाम लगा सकती है? लोकायुक्त की जांच में दोषी मंत्रिेयों के खिलाफ न तो एफआईआर दर्ज हुइर्, न उन पर मुकदमा चला है। सरकारी संसाधनों से किराए की भीड़ लगाकर रैलियां करनेवाली मुख्यमंत्री भाईचारा कमेटियों को चारा की तरह इस्तेमाल कर रही हंै। उनकी तमाम घोषणाएं सिर्फ विभिन्न वर्गो के लोगों को भरमाने के लिए हैं। वे खुद जानेवाली है फिर भी प्रदेश के शिक्षकों, राज्य कर्मियों तथा अन्य वर्गो को बहलाने के लिए वे रोज नए-नए तोहफे बांट रही हैं। झूठ के बल पर अपने काले कारनामों को श्वेतपत्र बताकर वे जो आचरण कर रही है वह असंवैधानिक एवं अनैतिक है। अब सत्ता में बने रहने का उन्हें कोई अधिकार नहीं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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