मनरेगा के छः विभागों में 32करोड़ की धनराशि मौजूद है तब भी विभाग धन की कमी का रोना रो रहा है। मनरेगा मजदूर काम न मिलने का रोना रो रहा है और विभाग धन के अभाव का। प्रमुख सचिव, शासन द्वारा कड़ा पत्र लिखने के बाद कड़ी भाषा का प्रयोग करके पूँछा जा रहा है। जिले के अधिकारियों से जिससे सम्बन्धित प्रशासन सकते में है। मनरेगा के तहत कनवर्जन के माध्यम से रोजगार सृजन कार्य में धनराशि अवमुक्त होती जिला समन्वयक या अन्य के खातो में तब रूपया जाता है। विभागों के प्रस्ताव पर धनराशि आबंटित की जाती है फिर भी जिले की स्थिति काफी खराब है। विभाग का कहना है प्रस्ताव मंजूर नहीं हो रहे, विकास कार्य अधर में हैं लक्ष्यों के अनुरूप धनराशि अधिकारियों के पास जमा है। जिले के छः विभागों में लोक निर्माण विभाग, लघु सिंचाई विभाग, कृषि, भूमि संरक्षण, पंचायती राज, वन विभाग, के लिए वित्तीय वर्ष में 48करोड़ 55लाख से अधिक की धनराशि आई। विभागों को मिले 1करोड़ 37लाख यानि 32 करोड़ की राशि अभी तक नहीं मिली है। इस पर प्रमुख सचिव एस0एन0रवि ने पत्र जारी करके कारण पूँछा है। जाब कार्डधारकों के घरों के चूल्हे क्येां नहीं जले हैं उन्हें कार्य क्यों नहीं दिया जा रहा है। इससे अधिकारियों में हड़कम्प मचा है। जबकि सीडीओ आनन्द कुमार द्विवेदी का कहना है जब विभाग प्रस्ताव देंगे तभी उन पर विचार होगा और धनराशि आबंटित की जायेगी। जब विभाग कोई प्रस्ताव ही नहीं दे रहे हैं तो धनराशि किसे दी जाय। सीडीओ ने कहा है कि आल यू0पी0 की यही हालत है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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