भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री मायावती की मजहबी आरक्षण की मांग को संविधान विरोधी बताया और कहा कि मुख्यमंत्री की ऐसी मांग डाॅ0 बी0आर0 अम्बेडकर की विचारधारा के भी विपरीत हैं। प्रदेश प्रवक्ता विधान परिषद सदस्य हृदयनारायण दीक्षित ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि उन्हें बाबा साहब की किताब “कांग्रेस ने अछूतों के लिए क्या किया” पढ़नी चाहिए। बाबा साहब ने लिखा था कि कांग्रेस मुस्लिमों के लिए तो कोरा चेक लिए तैयार रहती है लेकिन दलित हितों की परवाह नहीं करती। बाबा साहब और समूची संविधान सभा मजहबी आरक्षण के खिलाफ थी। संविधान सभा ने 1949 में सर्वसम्मति से मजहब आधारित आरक्षण को खारिज कर दिया था। लेकिन बसपा डाॅ0 अम्बेडकर के मार्ग से हट गई है। पौने पांच वर्ष के कार्यकाल में बसपा सरकार ने गरीबों, पिछड़ो और दलितों की उपेक्षा की, अब जब चुनाव सिर पर हैं तो मुख्यमंत्री मजहबी आरक्षण के लिए संविधान संशोधन की मांग कर रही हैं। भाजपा इसे किसी भी सूरत में बर्दास्त नहीं करेगी।
श्री दीक्षित ने कहा कि कांग्रेस, सपा व बसपा तीनों बढ़ चढ़कर मजहबी आरक्षण की मांग कर रहे हैं, तीनों के बीच मुस्लिम वोट बैंक को लेकर गलाकाट प्रतिस्पर्धा है। तीनों को सिर्फ मजहबी वोट बैंक की ही चिन्ता है। तीनों ने मुसलमानों को वोट बैंक मान रखा है। तीनों की साजिश है कि विकास, सुशासन और भ्रष्टाचार जैसे बुनियादी सवाल चुनावी एजेण्डे से बाहर रखे जायें। मुख्यमंत्री सरकारी भ्रष्टाचार से ध्यान हटाने के लिए ही बार-बार कोई न कोई शिगूफा उठाती हैं। भाजपा ने मुख्यमंत्री, उनकी सरकार व बसपा के नेताओं पर सुनिश्चित तथ्यों के साथ आरोप लगाये हैं। मुख्यमंत्री को भाजपा के सभी आरोपों का बिन्दुवार उत्तर देना चाहिए लेकिन मुख्यमंत्री ने भाजपा द्वारा लगाए गए तथ्यपरक आरोपों का कोई जवाब नहीं दिया। जनता सब देख रही है। बसपा का जाना और भाजपा का सत्ता में आना सुनिश्चित है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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