उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन में कानपुर माॅडल को प्रधानमंत्री द्वारा देश का सर्वश्रेष्ठ प्रोजेक्ट स्वीकार कर पुरस्कृत करने पर प्रदेश के नगर विकास विभाग के अधिकारियों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में कूड़ा निस्तारण के लिए इसी प्रकार की व्यवस्था जल्दी ही लागू कर दी जायेगी। उन्होंने बताया कि कानपुर के अलावा आगरा, मुजफ्फरनगर, रायबरेली, कन्नौज, अलीगढ़, मुरादाबाद और इलाहाबाद में भी अपशिष्ट प्रबन्धन की यह व्यवस्था लागू हो गयी है। लखनऊ में कूड़ा निस्तारण की ऐसी ही व्यवस्था जनवरी से लागू कर दी जायेगी।
उन्होंने प्रमुख सचिव नगर विकास दुर्गा शंकर मिश्रा और कानपुर के नगर आयुक्त आर0 विक्रम सिंह को आज प्रशस्ति पत्र तथा शील्ड प्रदान की और कहा कि उन्हें भरोसा है कि नगर विकास विभाग इस कार्य में और अधिक सराहनीय कार्य कर पूरे देश से प्रशंसा प्राप्त करेगा। उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रदेश के 23 जनपदों में अपशिष्ट प्रबन्धन के प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं, जिनमें से 8 चालू हो गये हैं, जनवरी में 8 और चालू हो जायेंगे एवं 31 मार्च, 2012 तक बाकी 7 प्रोजेक्ट भी चालू कर दिये जायेंगे। चालू किये गये योजनाओं से प्रतिदिन 2500 टन कूड़े का उठान व शोधन प्रारम्भ हो गया है। कानपुर नगर में कूड़े के शोधन से 150 से 180 टन कम्पोस्ट खाद का निर्माण प्रतिदिन किया जा रहा है, जो निष्प्रयोज्य पत्थर एवं ईट के रोड़े कूड़े में आ रहे हैं, उनसे इन्ट्रालाकिंग बनाने का भी कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है। जो ज्वलनशील पदार्थ हैं, उनसे ईंधन की ईंटे बनाये जा रही हैं, जिसका उपयोग बिजली के प्लान्ट में किया जायेगा। कानपुर नगर निगम की सहयोगी संस्था द्वारा कूड़े से बिजली बनाने के पहले प्लांट का ट्रायल प्रारम्भ कर दिया है, शीघ्र ही यह कार्य पूर्ण क्षमता से प्रारम्भ हो जाने की आशा है। इससे कूड़े के व्यवस्थित निस्तारण के साथ ही 15 मेगावाॅट विद्युत का भी उत्पादन प्रारम्भ हो जायेगा। यह नगर विकास विभाग की प्रदेश को बड़ी भेट होगी।
गौरतलब है कि 13 दिसम्बर को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में मा0 प्रधानमंत्री डाॅ0 मनमोहन सिंह ने अपशिष्ट प्रबन्धन में कानपुर माॅडल की अग्रणी भूमिका को स्वीकार करते हुए इसे देश के सर्वश्रेष्ठ प्रोजेक्ट के रूप में पुरस्कृत किया है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कानपुर माॅडल को 03 लाख रूपये नकद, प्रशस्ति पत्र तथा जे.एन.एन.यू.आर.एम. की शील्ड प्रदान की। माननीया मुख्यमंत्री जी ने यही शील्ड तथा प्रशस्ति पत्र आज नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्रा को प्रदान की।
दिल्ली के मेयर ने लगभग 03 माह पूर्व एक प्रेस कांफ्रेन्स में कानपुर माॅडल को अपनाने की घोषणा की थी। कनाडा, जापान, कोरिया तथा कई अन्य देशों के प्रतिनिधि भी कानपुर के अपशिष्ट प्रबन्धन के इस प्रोजेक्ट का अध्ययन कर अपने देशों में इसी तर्ज पर अपशिष्ट प्रबन्धन लागू करने की बात कह चुके हैं।
राज्य सरकार के नगर विकास विभाग ने प्रदेश के 23 नगरों-कानपुर, लखनऊ, आगरा, वाराणसी, इलाहाबाद, मेरठ, मथुरा, मुरादाबाद, गोरखपुर, अलीगढ़, झांसी, मुजफ्फरनगर, मिर्जापुर, जौनपुर, सम्भल, इटावा, रायबरेली, बंदायू, फतेहपुर, बलिया, मैनपुरी, बाराबंकी और कन्नौज में पी.पी.पी. पैटर्न पर 2008 से ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। इन योजनाओं के क्रियान्वयन में कुल 754.16 करोड़ रूपये व्यय किये जायेंगे, जिसमें पी0पी0पी0 सहयोगी संस्था द्वारा 343.42 करोड़ रूपये व्यय किया जायेगा तथा 410.74 करोड़ रूपये सरकार द्वारा वहन किया जायेगा। इसके तहत घर-घर से कूड़ा उठाकर उसे रिसाइकिल किये जाने की व्यवस्था है। ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन योजना के चालू हो जाने के उपरान्त लगभग 8 हजार टन प्रतिदिन कूड़ा उठने एवं उसका शोधन होने लगेगा, इस व्यवस्था से प्रदेश में लगभग 11 हजार लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। इससे सड़कों पर कूड़ा फेके जाने की व्यवस्था समाप्त हो जायेगी तथा सफाई व्यवस्था में क्रान्तिकारी परिवर्तन प्रारम्भ होगा। जैसा कि कानपुर के उदाहरण ने सिद्ध किया है।
कानपुर में 46 हेक्टेअर भूमि पर 56 करोड़ 24 लाख रूपये की लागत से यह प्रोजेक्ट शुरू किया गया, जिसमें वर्तमान में 1200 टन से अधिक कूड़ा शहर से प्रतिदिन निकाला जा रहा है। इस प्रोजेक्ट से न सिर्फ कानपुर में कूड़े के निस्तारण की बहुत बड़ी समस्या का समाधान हुआ है, बल्कि इससे करीब 2,300 लोगों को सीधे रोजगार के अवसर प्राप्त हुए हैं। इससे सम्बन्धित अन्य सहयोगी कार्यों में लगभग इतने ही लोगों को अतिरिक्त कार्य भी मिला है। इस व्यवस्था के तहत कर्मचारी द्वारा संचालित रिक्शा ट्राली पर 08 डिब्बे रखे जाते हैं, जिनसे घरों से प्राप्त कूड़ा इकट्ठा किया जाता है, जिसे बाद में मोहल्ले के डिब्बों में डाल दिया जाता है, फिर कम्पैक्टरों के माध्यम से डिब्बों का कूड़ा लेकर नगर के बाहर बने अपशिष्ट प्रबन्धन रिसाइकिल प्लान्ट में ले जाया जाता है। इस कार्य में 13 डम्पर, 06 जे.सी.बी., 71 छोटे ट्रक तथा 2400 कूड़े के डिब्बों का उपयोग हो रहा है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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