आॅगनवाड़ी केन्दों में बच्चों को मिलने वाला पोशाहार आॅगनबाड़ी कार्यकत्रियों एवं सुपरवाइजरों तथा कार्यक्रम अधिकारी की मिली भगत के चलते बाजारों में बेचा जा रहा है । बच्चों केा मिलने वाला पोषाहार बच्चे नही बल्कि अधिकारी ही डकार जा रहे हैं। केन्दों पर बच्चे नदारत हैं। फर्जी संख्या दिखाकर पोषाहारों को बाजारों में बेचा जा रहा है। पौष्टिक पोषाहार बच्चों को नहीं मिल पा रहा है। जिसका जीता जागता उदाहरण क्षेत्र में पैदा हेा रहे अपंग व कुपोषित बच्चे हैं। गरीब जनता को स्वस्थ्य और सामान्य बनाने के लिये केन्द्र द्वारा बाल विकास पुष्टाहार परियोजना केा संचालित कर हर प्रदेश केा एक नयी दिशा देने का जो काम केन्द्र सरकार ने किया है वह अपने में सराहनीय तेा है ही लेकिन प्रदेश सरकार में जपनद स्तर के कर्मचारी इस विभाग केा दीमक की तरह चांट जा रहे हैं। विभाग में तैनात कर्मचारी इसकी गुणवत्ता केा बनाये रखने के क्षेत्र में जाकर गरीब मांओं की लिस्ट तैयार कर प्रतिमाह 5 वर्ष से कम बच्चो की गणना देकर प्रतिमाह पोषाहार विभाग द्वारा आवंटित कराकर रजिस्टर को सही सलामत रख स्वय जानवरांे के हवाले कर दिया जा रहा है।
बताते चले कि केन्द्र सरकार से मिलनेवाला धनराशि कार्यकत्री को 1500 रूपये तथा उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 200 रूपया देने का शासन का प्राविधान है। इसी प्रकार कार्यकत्रियों के सहयोगियो के लिये कुल 850 रूपये मानदेय देने का नियम सरकार द्वारा निर्धारित है। पर विभाग की जनपद की मुखिया डीपीओ का आदेश बताते आगनवाडी सुपरवाइरज जब हर माह आडिट के रजिस्टर का जाॅच करती है तो जांच में चाहे जो त्रुटि हेा, या न हेा उनकेा बाल बिकास परियोजना की मुखिया के खाते में प्रतिमाह 500 रूपया काटकर जमा करवाना आवश्यक होता है। अगर जिन सुपरवाइजरों ने कुछ विरोध जताया तो विभाग द्वारा स्पस्टीकरण मांगकर परेशान किया जाता है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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