समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में पूर्णतया अराजक स्थिति है। बसपा सरकार के मंत्रियों पर अवैध कब्जे, सरकारी संपत्ति की लूट तथा अन्य अपराधिक मामले दर्ज हो गए है। चुनाव आयोग के सामने के सामने प्रदेश के प्रमुख गृह सचिव और डीजीपी की शिकायतें हुई है कि वे अपने पद की गरिमा भूलकर बसपा के प्रवक्ता बने हुए हैं। मुख्यमत्री के इर्दगिर्द सब कुछ संदिग्ध है और फिर मुख्यमंत्री भी बजट की लूट तथा ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के घपलों की जांच की आंच में है। ऐसी हालत में राज्यपाल को अब बिना तनिक भी देर किए बसपा सरकार को बर्खास्त कर देना चाहिए।
मुख्यमंत्री के जो सबसे खास रहे हैं वे सब किसी न किसी घोटाले में फंसे हैं। श्री बाबू सिंह कुशवाहा और श्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी की मुख्यमंत्री के प्रति निकटस्थ माने जाते रहे है। स्वास्थ्य मिशन के घोटाले में बाबू सिंह कुशवाहा की सरकार से छुट्टी हो गई। अब वे बगावती तेवर अपनाए हुए हैं। अब यह भेद खुला है कि श्री कुशवाहा ने अपना और अपनी पत्नी का नाम बदलकर खूब संपत्तियां जुटाई है। श्री नसीमुद्दीन और उनकी पत्नी की आय से अधिक संपत्ति के मामले भी खुल रहे है। लोकायुक्त के यहां उनकी जांच फाइल खुल गई है। मुख्यमंत्री के नजदीकी कैबिनेट सचिव को भाई के साथ मिलकर बैंक बनाकर भूमि पर कब्जा और धन गबन करने का आरोप है।
महामहिम राज्यपाल और चुनाव आयोग को यह देखना चाहिए कि विधान सभा चुनावों में अब कुछ ही दिन रहने के बावजूद मुख्यमंत्री बड़ी तेजी से नई नियक्तियों को निबटाने में लग गई है। इसके पीछे वसूली, कमीशन का बंदरबांट उद्देश्य है। जो अपराधी कल तक उनके बहुत प्रिय थे, उनपर अब पुराने मुकदमों में भी कार्यवाही इसलिए शुरू हो गई है कि वे अब उनके घेरे से बाहर निकलने का प्रयास कर रहे थे। मुख्यमंत्री लूट, वसूली के धंधे में अपने सहायकों को बाद में अपनी बढ़ती बदनामी के भय से बाहर का रास्ता दिखा देती है और यह जताती है कि वे अपराधियों के खिलाफ है। लेकिन अब प्रदेश की जनता मुख्यमंत्री के दोहरे चरित्र से भलीभांति वाकिफ हो गई है। वह उनके भुलावे में आनेवाली नहीं है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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