कार्यवाही के नाम पर जांच कराये जाने की बात कहते हैं अधिकारी
उप संभागीय परिवहन कार्यालय में अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक भ्रष्टाचार में पूरी तरह संलिप्त नजर आ रहे हैं। जिसमें इनका सहयोग करने के लिए जनपद के मोटर ट्रेनिंग स्कूल से लेकर प्राईवेट विद्यालय पीछे नहीं हैं। इनके द्वारा लगभग लाखांे रूपये महीना साहब को दिया जाता है। जिसके वसूली के लिए जनाब के रिस्तेदार से लेकर ड्राइवर तक शामिल हैं। बसपा भ्रष्टाचार मुक्त का नारा देकर प्रदेश में अपनी सरकार बनाकर भ्रष्टाचारियों के पतन के लिए अपने मातहत अधिकारियों को कठोरे दिशा निर्देश दिये, लेकिन जिले का उप संभागीय कार्यालय इसको सफेद हाथी साबित करने मे कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा है।
मामला भ्रष्टाचार मुक्त के पतन का नारा देकर सत्ता हथियाने वाले बसपा सरकार के परिवहन मंत्री के पड़ोसी जिला जनपद सुलतानपुर में उप संभागीय कार्यालय में भ्रष्टाचार इस कदर फैला हुआ है कि जिससे महीने में लगभग लाखों रूपये सरकार को चूना लगता है और खुद कमाने में अधिकारी संलिप्त रहते हैं। जनाब अवैध कमाही के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड रहे हैं। जिले में लगभग सैकड़ों बसों का रजिस्ट्रेशन सुविधा शुल्क लेकर वन टाईम टैक्स पेड विद्यालय क नाम रजिस्ट्रेशन कर दिया गया है। जिसकी शिकायत परिवहन विभाग के उच्च अधिकारियों से किया गया लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। इसी प्रकार जिले में लगभग सैकडों टाटा मैजिक गाडियों का रजिस्ट्रेशन वन टाइम टैक्स पेड पर स्कूल के नाम से रजिस्ट्रेशन किया गया जिस पर यह शर्तें हैं कि यह गाडियां अध्यापक और अध्यापिकाओं को उनके घर से स्कूल तक ले जाने तथा ले आने हेतु प्रयोग किया जा सकता है। लेकिन यहाॅ पर इसका जस्ट उल्टा हो रहा है। एक मोटी कमाई के लिए इसमें बच्चों को उनके घर से स्कूल तक ले आने और ले जाने में प्रयोग किया जाता है। जिससे अभिभावकों द्वारा प्रति माह प्रति बच्चों से 4 सौ से लेकर 1 हजार तक लिया जा रहा है। जिससे विद्यालय को एक मोटी इनकम होती है। प्रत्येक सुबह एआरटीओ कार्यालय अमहट के सामने से बगल में मौजूद सेन्ट्रल, सेन्जीवियस, गोपालगल्र्स, महर्षि विद्या मन्दिर, कान्वेन्ट आदि कई स्कूलों में लगभग सैकडों गाडियां बच्चों को लेकर गुजरती हैं लेकिन उस पर परिवहन अधिकारी का कोई नजर नहीं पड़ता। सूत्रों की माने तो मोटी कमाही का कुछ हिस्सा एआरटीओ कार्यालय को जाता है। जिसके कारण साहब को सब कुछ दिखाये देने के बाद भी कुछ भी नहीं दिखाई देता। सूत्र यह भी बताते हैं कि इस सुविधा शुल्क को एकत्रित करने के लिए साहब के रिश्तेदार से लेकर ड्राइवर तक लगाये गये हैं। जो पाॅच सौ रूपये प्रति गाडी लेेते हैं। शायद कमाही के ही कारण साहब के पास दो जिलों का प्रभार है। अपनी कमाही का एक बड़ा हिस्सा ऊपर देने की बात बात बात पर ही साहब के मुंह से निकल पड़ा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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