समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि कांगे्रस सत्ता में लालची अवसरवादियों का जमावड़ा बनती जा रही है। बीते 20 वर्षो से प्रदेश की सत्ता से बाहर कांगे्रस नेतृत्व इतना व्याकुल है कि उसे अपने कारनामों के परिणामों की भी परवाह नहीं रह गई है। कांगे्रस पहले राम मंदिर का ताला खुलवाकर और बाबरी मस्जिद ध्वंस में सहयोगी बनकर अपनी साख काफी गंवा चुकी है अब किसानों, मुस्लिमों के प्रति झूठी हमदर्दी दिखाकर और प्रदेश की बसपा सरकार के भ्रष्टाचार केा संरक्षण देकर अपनी कहानी खुद ही बिगाड़ने पर तुल गई है। भाजपा के हिमायती तत्वों केा साथ लेकर वह धर्मनिरपेक्षता से भी किनाराकशी करती नजर आ रही है।
कांगे्रस ने राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष श्री अजित सिंह और श्री रशीद मसूद को अपने साथ जोड़कर यह दिखा दिया है कि आज की कांगे्रस सिर्फ सत्ता सुख के लिए है। सत्ता की चाहत में उसे अपनी गौरवमयी विरासत से भी मॅुह फेरने में संकोच नहीं। श्री अजित सिंह की 25 सालों की राजनीतिक पृष्ठभूमि देखें तो हमेशा से वे अवसरवादी राजनीति से फायदा लेते रहे हैं। सत्ता से अलग रहने पर वे जल बिना मछली की तरह तड़पते हैं। इसके लिए उन्होंने अपने पिता चैधरी चरण सिंह की पार्टी तोड़ी, जनता दल से टूटे तो कांगे्रस, भाजपा, सपा, बसपा सबसे गलबहियां की और उनसे दगाबाजी भी की। किसानों के साथ धोखा किया। अब फिर मंत्री पद पाने के लिए वे कांग्रेस से मिल गए हैं। इससे पहले समाजवादी पार्टी और पीस पार्टी के दरवाजे की झाॅक चुके हैं।
श्री रशीद मसूद को खामखाॅ मुस्लिम नेता बनने का गुमान हो गया है। श्री मुलायम सिंह यादव ने उन्हें संरक्षण दिया। राज्यसभा भिजवाया, पार्टी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का सम्मानित पद दिया। इन सब एहसान को भूलकर वे अनर्गल आरोप लगाने लगे हैं। श्री रशीद मसूद उसी तरह के बयान दे रहे हैं जैसे श्री अमर सिंह दिया करते हैं। कांगे्रस इन दो नेताओं को लेकर अगर समझती है कि विधानसभा चुनावों में वह पाला मार लेगी तो यह दिवास्वप्न साबित होगा। श्री मसूद और श्री अजित सिंह कभी संघर्ष की राजनीति में नहीं रहे हैं। इन्हें सिर्फ सत्ता के लाभ चाहिए। इनके झाॅसे में न तो किसान आएगा और न हीं मुसलमान। दोनों ही किसानों की ताकत को कमजोर और मुसलमानों को अपमानित करना चाहते हैं।
ऐसे लोगों के कांगे्रस में आने से पार्टी की छवि बनेगी नहीं बिगडे़गी ही। इसके माध्यम से समाजवादी पार्टी पर हमलावर होने से कांगे्रस को ही नुकसान होगा। सपा उत्तर प्रदेश में अकेली पार्टी है जो बसपा के भ्रष्टाचार और अत्याचार के खिलाफ सतत संघर्ष करती रही है। सपा पर हमले का अर्थ होगा बसपा और भाजपा को संरक्षण तथा प्रगतिशील और धर्मनिरपेक्ष ताकतों को कमजोर करना। कांगे्रस को यह नहीं भूलना चाहिए कि यदि समाजवादी पार्टी न होती तो केन्द्र में फिर एनडीए की सरकार हीं बनती। भाजपा का रास्ता रोककर समाजवादी पार्टी ने धर्म निरपेक्षता को बचाया था। कांगे्रस महासचिव केा राजनीतिक इतिहास का अध्ययन करना चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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