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‘अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था’ लागू करना समय की मांग है — देश-विदेश से पधारे न्यायविदों व कानूनविदों की आम राय

Posted on 11 December 2011 by admin

cjs-1सिटी मोन्टेसरी स्कूल, आॅडिटोरियम में आयोजित हो रहे ‘‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 12वें अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’’ के तीसरे दिन आज 70 देशों से पधारे मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाधीशों और शान्ति प्रचारकों ने ‘‘अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था’’ का खुलकर समर्थन करते हुए कहा कि ‘अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था’ लागू करना समय की मांग है क्योंकि इसी व्यवस्था के जरिए विश्वव्यापी समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है। इस ऐतिहासिक अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के तीसरे दिन आज 70 देशों से पधारे न्यायविदों व कानूनविदों ने जमकर चर्चा परिचर्चा की और ‘विश्व के 2 अरब बच्चों के सुरक्षित भविष्य’ एवं ‘प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय कानून’ पर व्यापक विचार-विमर्श किया, साथ ही साथ सी.एम.एस. छात्रों व शिक्षकों के विशाल ‘विश्व एकता मार्च’ का  नेतृत्व कर विश्व एकता, विश्व शान्ति व भावी पीढ़ी के सुरक्षित भविष्य की जोरदार वकालत की। इससे पहले आज प्रात.कालीन सत्र का शुभारम्भ एमीरिटस के मुख्य न्यायाधीश एवं यूरोपियन कोर्ट आॅफ ह्यूमन राइट्स के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विन्सेन्ट ए. डी. गैटानो ने किया जबकि समारोह की अध्यक्षता मैसीडोनिया से पधारे काॅस्टीट्यूशनल कोर्ट के प्रेसीडेन्ट न्यायमूर्ति ब्रांको नाओमास्की ने की। इस अवसर पर सी.एम.एस. छात्रों ने विश्व के न्यायविदों के समक्ष विश्व के दो अरब बच्चों की ओर से ‘सुरक्षित भविष्य’ की अपील प्रस्तुत की।
इस ऐतिहासिक सम्मेलन के तीसरे दिन की शुरुआत करते हुए एमीरिटस के मुख्य न्यायाधीश एवं यूरोपियन कोर्ट आॅफ ह्यूमन राइट्स के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विन्सेन्ट ए. डी. गैटानो ने कहा कि इस सम्मेलन का उद्देश्य पूरे विश्व के बच्चों की भलाई है जिसका सशक्त माध्यम विश्व सरकार ही है। न्यायमूर्ति गैटानो ने आगे कहा कि युद्ध और मारा-मारी से कोई समस्या स्थायी रूप से नहीं सुलझाई जा सकती है। जब तक मानव अधिकारों का सम्मान नहीं होगा और सभी देशों को समानता का दर्जा नहीं दिया जायेगा, तब तक विश्व में शान्ति नहीं आ सकती है। ऐसे में प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था आज की महती आवश्यकता है। इस अवसर पर मैसीडोनिया से पधारे काॅस्टीट्यूशनल कोर्ट के प्रेसीडेन्ट न्यायमूर्ति ब्रांको नाओमास्की ने अपने सम्बोधन में कहा कि बच्चे चाहे अफगानिस्तान के हों, अमरीका के या ईराक के, सभी को स्वच्छ वायु, स्वच्छ जल और पोषक भोजन के साथ ही एक सुरक्षित भयरहित वातावरण में जीने का अधिकार होना चाहिए और यह व्यवस्था केवल प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय कानून द्वारा ही संभव है। श्री नाओमास्की ने आगे कहा कि कानून निष्पक्ष होता है, यह सभी को समान दृष्टि से देखता है क्योंकि इसकी नींव सत्य पर टिकी है।
march जमैका सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश मैडम जस्टिस जाइला मैक्काला ने कहा कि प्रजातान्त्रिक विश्व सरकार का गठन अतिआवश्यक है। विश्व सरकार, विश्व संसद और अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था ही विश्व को बचाने में सक्षम होगी। संयुक्त राष्ट्र संघ का यह बदला रूप ही मानव जाति का कल्याण कर सकता है व आतंकवाद, अशिक्षा, बेरोजगारी और पर्यावरण सम्बन्धी समस्याओं को नियन्त्रित कर सकता है। इलाहाबाद एवं दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए. के. श्रीवास्तव ने कहा कि आज विश्व में कानून तो है लेकिन कई देश इसका सम्मान नहीं करते और अपनी मनमानी करते हैं। उन्होंने कहा कि दरअसल कोई देश, जाति या धर्म छोटा-बड़ा नहीं होता। कानून सबके लिए बराबर है और यही कानून की डोर मानव जाति को एक करती है। इसी प्रकार सर्बिया के कांस्टीट्यूशनल कोर्ट के जज न्यायमूर्ति सुश्री वेसना इलीस प्रीलीस एवं इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.पी. सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
प्रातःकालीन सत्र के अन्तर्गत आज अलग-अलग समानान्तर सेशन्स भी आयोजित हुए जिसमें विभिन्न देशों से पधारे न्यायमूर्तियों ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा-परिचर्चा की। फिलीपीन्स सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति हिलेरियो जी. डेविड जूनियर की अध्यक्षता में पहला पैरालल सेशन ‘क्रिएटिंग अ कल्चर आॅफ यूनिटी एण्ड पीस’ विषय पर आयोजित हुआ जिसमें पीस एजुकेशन, क्रास कच्लरल अण्डरस्टैंडिंग, यूनिटी आॅफ रिलीजन, इण्टरफेथ डायलाॅग, इण्टरनेशनल टेरोरिज्म आदि विषयों पर व्यापक चर्चा हुई। इस अवसर न्यायमूति हिलेरिया जी. डेविड जूनियर ने कहा कि अपने-अपने बच्चों के बारे में सभी देष चिन्तित हैं खासतौर पर ऐसे समय में जब विष्व के विभिन्न हिस्सों में बच्चों की सुरक्षा, उम्मीदों व उनकी जिन्दगियों पर खतरा मंडराता दिखाई दे रहा है ऐसे में मैं उम्मीद करता हूँ कि इस सम्मेलन के प्रतिभागी सीएमएस के बच्चों से प्रेरणा लेंगे और इनकी उम्मीदों पर खरे उतरने का प्रयास करेंगे। इसी प्रकार ‘टुवार्डस इण्टरनेशनल लाॅ इन्फोर्सेबिलिटी’ विषय पर आयोजित एक अन्य पैरालल सेशन की अध्यक्षता जंजीबार के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति श्री ओमर आ मक्कुनगू ने की जिसके अन्तर्गत ‘ज्यूडीशियल एजुकेशन, इण्टरनेशनल ज्यूडिशियल एक्टिविज्म, टीचिंग एण्ड ट्रेनिंग इन इण्टरनेशनल लाॅ एवं रिलेशनशिप बिटवीन इण्टरनेशनल लाॅ एण्ड डोमेस्टिक लाॅ’ जैसे विषयों पर चर्चा हुई। इस अवसर पर न्यायमूर्ति श्री ओमर आ मक्कुनगू ने कहा कि विश्व भर में बच्चों के हितों की रक्षा के लिए कई कानून बनाए गए हैं, लेकिन इन कानूनों के बावजूद बच्चों व आने वाली पीढियों का भविष्य इन कानूनों को लागू करने के तरीकों पर निर्भर है। उन्होने कहा कि विश्व को सबसे अच्छा उपहार जो हम दे सकते हैं वो है एक सुरक्षित, स्वस्थ, शिक्षित एवं सक्षम भावी पीढी। इसी प्रकार ‘इस्टेब्लिसिंग रूल आॅफ लाॅ’, ‘ग्लोबल गवर्नेन्स स्ट्रक्चर’ एवं ‘टैकलिंग ग्लोबल इश्यूज’ विषयों पर भी पैरालेल सेशन्स आयोजित हुए।
आज अपरान्हः सत्र में एक प्रेस कान्फ्रेन्स में मुख्य न्यायाधीशों के विचारों का निचोड़ पत्रकारों के समक्ष प्रस्तुत करते हुए सम्मेलन के संयोजक डा. जगदीश गाँधी, प्रख्यात शिक्षाविद् व संस्थापक, सी.एम.एस. ने बताया कि माननीय न्यायविदों का मानना है कि हम लोगों के बीच संस्कृति, मान्यताओं व सामाजिक मूल्यों की विभिन्नताएं होने के बावजूद हम सब भाई बहन हैं और जब तक हम इन विभिन्नताओं में एकता नहीं स्थापित करते, हम शान्ति व सुख से नहीं रह सकते। डा. गाँधी ने जानकारी दी कि लगभग सभी मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाशीशों व कानूनविदों की आम राय रही कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51(सी) विश्व की समस्याओं का एक मात्र समाधान है। भारतीय संविधान विश्व के अकेला ऐसा संविधान है जो पूरे विश्व को एकता के सूत्र में जोड़ने की बात कहता है। अनुच्छेद 51(सी) में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि राज्य इस ओर प्रयासरत रहेगा कि अन्तर्राष्ट्रीय कानून के लिए आदर भाव हो। उन्होंने बताया कि सभी मुख्य न्यायाधीशों ने इस बात को माना कि वे मानवता की आवाज और बुलन्द कर सकते हैं परन्तु अन्तर्राष्ट्रीय कानून तभी प्रभावशाली रूप से लागू किया जा सकता है जब राजनीति से जुड़े लोग भी हमारे साथ मिलकर एक विश्व संसद बनाने का समर्थन दें।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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