व्र्ष 2006 मे महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा को केन्द्र की सरकार ने बड़ी ही उम्मीदों के साथ संसद मे पास कराकर लागू की थी तब भारतीयों ने सोंचा था हमारी तकदीर बदल जायेगी सबसे पहले इसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश से शुरु की गयी तब पहले साल ही हरदोई के निवासियों ने इसे हांथों हांथ लिया जरुरत मन्द फायदा उठाने को बेताब हो उठे सर्वप्रथम उसी साल लाभ हेतु साढे 3 लाख लोंगो ने अपने नामों को रजिस्टर्ड करवाया परन्तु पूरे वर्ष मे इतने लोगों को वह खुशी नही मिल पायी मिलनी चाहिये प्रधान और प्रशासनिक कर्मचारियों ने मनमुताबिक जरूरतमन्दो के साथ खिलवाड करते रहे तभी के आकडे गवाह बने 100 दिन के रोजगार मे केवल 20 से 25 हजार की गिनती पर ही विराम लगा यानि 3,84,251 जाव कार्ड धारक 100 दिन रोजगार की गारन्टी पाई गयी जिले के आलाअफसर 100 दिन की बात करते हुये नही थके कागजी फरमान जारी रहे उन्होंनंे हकीकत को देखने की जरूरत नही समझी इस खेल मे बाकायदा जिले के अफसर कर्मचारी गाॅव के प्रधान सभी का हिस्सा तयसुदा कार्यक्रम मे चलता रहा । बैंक भी इससे अछूते नही रहे, केवल टढियाॅवा की ग्राम पंचायते, भरखनी ब्लाक, माननगला के कार्डधारक मनरेगा की शिकायत ऊपर तक पहुचा चुके है जब इस सम्बन्ध मे सीडीओ से पूछा गया तो जाब कार्डधारक प्रधानो को और उनके बीडीओ को जिम्मेदार ठहरा रहे है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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