वर्ष 2011 के समापन के साथ, पूज्यनीय ग्यालवांग द्रुकपा (द्रुकपा वंश के आध्यात्मिक नेता) मुम्बई से अजंता-एलोरा होते हुए भोपाल तक की पदयात्रा पर निकलेंगे जो शांति, भाईचारे, मानव कल्याण और पर्यावरण संरक्षण के संदेश को फैलाने के लिए होगी। यह पदयात्रा, मुम्बई से 10 दिसम्बर को आरंभ होकर 24 से 29 दिसम्बर के बीच अजंता-एलोरा होते हुए भोपाल में 6 जनवरी, 2012 को समाप्त होगी। पूज्यनीय द्वारा की जाने वाली यह पांचवीं पदयात्रा होगी। 2006 से, पूज्यनीय ने अपने शिष्यों के साथ बिहार, उत्तर प्रदेश, लद्दाख, मनाली, सिक्किम और दार्जिलिंग की पदयात्राएं की हैं, प्रत्येक बार यात्रियों ने एक टन से अधिक अजैवविखंडनीय अपशिष्ट उठाया है और दूर-दराज के लोगों को पर्यावरण स्वच्छता तथा भावी पीढि़यों हेतु पर्यावरण संरक्षण के लिए शिक्षित किया है। हजारों की संख्या में लोग, जिनमें 450 बौद्ध भिक्षु, अनुयायी तथा सहयोगी इस आगामी पदयात्रा में भाग लेंगे। इसके अतिरिक्त काफी संख्या में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय नामचीन हस्तियां तथा द्रुपका अनुयायी भी इस पदयात्रा में शामिल होंगे। प्रकृति से संतुलन बनाकर चलने वाली जीवनशैली को प्रोत्साहित करते हुए आध्यात्मिकता और भौतिकवाद के मध्य समन्वय को लक्षित यह पदयात्रा, अन्य उल्लेखनीय क्षेत्रों से भी गुजरेगी जिनमें कान्हेरी गुफाएं, एलिफैंटा गुफाएं, कांेडना गुफाएं, कर्जत, राजमार्ची, कर्ला भाजा और औरंगाबाद शामिल हैं।
यह असाधारण पदयात्रा, पूज्यनीय ग्यालवांग द्रुकपा की प्रेरणाओं से आयोजित होती है। पर्यावरण समृद्ध क्षेत्रों का भ्रमण, पर्यावरण संबंधी मसलों को लेकर जागरूकता प्रसार तथा प्रकृति के साथ तालमेल बनाते हुए लोगों में आध्यात्मिक भावनाओं को जागरूक करना, ये ऐसे कार्य हैं जो पूज्यनीय ने सदैव अपनी पदयात्राओं के माध्यम से किए हैं। इन स्थानों का भ्रमण उन्होंने पहले भी किया है, बल्कि पहली बार वे अपने आध्यात्मिक समुदाय को भी धरती माता के साथ इस प्रगाढ़ संपर्क वाले अभियान पर ले जा रहे हैं। भारत के इस भाग में उनका पवित्र आगमन, लोगों को आध्यात्मिक रूप से प्रेरित और मार्गनिर्देशित करने के लिए है और अनुयायियों को यह बताने के लिए है कि विश्व सुंदर है और हमें अपने एकमात्र घर-इस पृथ्वी ग्रह की उदारता के प्रति नतमस्तक होते हुए इसके संरक्षण हेतु हर संभव प्रयास करने चाहिए।
इस प्रेरणा और आध्यात्मिक पहल के विषय में पूज्यनीय ग्यालवांग द्रुकपा ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि, ‘‘यह पदयात्रा, स्वार्थ से निस्वार्थता की ओर यात्रा को प्रतिबिम्बित करती है। निजी रूप में, यह प्रकृति के निकट आने का प्रयास है और इसकी समृद्ध सुंदरता से घनिष्ठ संबंध स्थापित करने का माध्यम है। दूसरे रूप में, यह पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने का प्रयास है जिसके माध्यम से यह सुनिश्चित करना है कि पर्यावरण और दीर्घकालीन धारणीयता के विषयों पर फोकस करने वाले विविध पहलुओं को लेकर लोगों को व्याापक सचेत बनाया जाए।‘‘
भारत में जन्मे बौद्ध आध्यात्मिक गुरू पूज्यनीय ग्यालवांग द्रुकपा, करूणा और प्रेम को कार्यरूप में परिणत करते हुए शांति और भाईचारे की दिशा में सक्रियतापूर्वक कार्यरत हैं। लैंगिक समानता और पर्यावरणीय मसलों के विषय में जागरूकता प्रसार के लिए वे विख्यात हैं। वे संयुक्त राष्ट्र सहस्राब्दि विकास लक्ष्य (एमडीजी) पुरस्कार के प्राप्तकर्ता रहे हैं और भारत के ग्रीन हीरो रहे हैं। उनके कुंग फू नन्स को बीबीसी वल्र्ड न्यूज द्वारा सितम्बर 2011 में प्रसारित लाइफ सीरीज में प्रसारित किया गया। 10 अक्टूबर 2010 को ‘सर्वाधिक वृक्षारोपण’ संवर्ग में लद्दाख की अगुवाई करते हुए उन्होंने गिनीज वल्र्ड रिकार्ड में योगदान किया। वे लद्दाख में एक स्कूल के भी संस्थापक हैं जिसे लोकप्रिय फिल्म ‘3 ईडियट’ में फिल्मांकित किया गया था और अब रैंचो के स्कूल के लोकप्रिय नाम से इसे जाना जाता है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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