भारतीय जनता पार्टी ने कहा है कि भ्रष्टाचार व घोटालों से घिरी बसपा सरकार ने अपने राजनीतिक विरोधियों के साथ-साथ अब राज्य के प्रशासनिक अधिकारियों के दमन व चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए अपने मन माफिक अधिकारियों को महत्वपूर्ण पदों पर बैठाने का काम भी शुरू कर दिया है। प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि बसपा शासन का यह काल लोकतांत्रिक आतंककाल के रूप मंे जाना जाएगा।
भाजपा केे राज्य मुख्यालय पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने प्रदेश की वरिष्ठतम आई0ए0एस0 अधिकारी प्रोमिलाश्ंाकर के प्रकरण का जिक्र करते हुए कहा कि ईमानदार व कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी राजनीतिक दुर्भावना के शिकार हो रहे हैं। प्रदेश में सत्तारूढ़ होने के बाद से ही बसपा सरकार का एकमात्र एजेण्डा बड़े-बड़े घपले-घोटालांे को अंजाम देकर धन एकत्रीकरण का रहा है। राज्य में बड़े पैमाने पर हुए इन घपले घोटालों को अंजाम देने में बसपा सरकार के कुछ चेहते अफसरों का महत्वपूर्ण योगदान है। लेकिन जिन वरिष्ठ प्रशाासनिक अफसरों ने घपलों-घोटालों के विरूद्ध आवाज उठाई उन्हें सरकार के कोपभाजन का शिकार बनना पड़ा। पूर्व मुख्य सचिव प्रशान्त मिश्र के वीआरएस लिए जाने की घटना जगजाहिर है।
प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि राज्य के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हरमिन्दर राज सिंह द्वारा संदिग्ध परिस्थितियों में की गई आत्महत्या के प्रकरण पर आज भी आशंकाओं के बादल हैं। वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को अपने विरूद्ध न्याय के लिए अदालत में दस्तक देनी पड़ी। डी0डी0मिश्रा को विभागीय भ्रष्टाचार के खिलाफ मुंह खोलने पर सरकार द्वारा मानसिक रोगी बताना बसपा राज में ईमानदार अधिकारियों के उत्पीड़न का उदाहरण अपने आप में अनोखा है। आज भी मिश्र दफ्तर नहीं जा रहे हैं। यही नहीं राजधानी लखनऊ मंे दो-दो सीएमओ एवं एक डिप्टी सीएमओं की हत्या का प्रकरण हो या कई अन्य अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा बसपा सरकार में फैले भ्रष्टाचार से तंग आकर की गई आत्महत्याओं के मामले। हर प्रकरण में राज्य सरकार की तानाशाही सामने आयी।
श्री पाठक ने प्रश्न किया कि आंखिर वो कौन से कारण थे जिनकी वजह से राज्य सरकार ने औपचारिताएं पूर्ण किए बिना प्रोमिला शंकर के निलम्बन की अवधि बढ़ा दी। उन्होंने आशंका जाहिर की कि नोयडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी के पद पर रहते हुए प्रोमिला शंकर ने सरकार की मंशा के अनुरूप गलत कार्यो को अपनी सहमति प्रदान नहीं की इसी से बौखलाई राज्य सरकार अब उनके उत्पीड़न के लिए तरह-तहर के हथकंडे अपना रही है। सरकारी तानाशाही का शिकार होने के बाद उद्यान एवं खाद्य प्रस्संकरण के एक अफसर की मृत्यु हो गई दो आज भी तनावग्रस्त हैं। एक अधिकारी चन्द्रभूषण पाण्डेय ने मंत्री समेत अनेक विभागीय अधिकारियों पर खुलेआम आरोप लगाया।
श्री पाठक ने विधानसभा चुनाव नजदीक होने को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग से मांग की कि वह राज्य के प्रशासनिक अधिकारियों के स्थानान्तरण एवं निलम्बन आदि की घटनाआंे को स्वतः ध्यान में ले क्योंकि अपनी हार के भय से राज्य सरकार चुनावी तैयारियांे को प्रभावित कर सकती है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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