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प्रधानमन्त्री कार्यालय के निर्देष पर उपभोक्ता परिशद को ऊर्जा मन्त्रालय द्वारा भेजा गया जवाब तथ्यों से परे

Posted on 09 December 2011 by admin

ऊर्जा मन्त्रालय भारत सरकार के खिलाफ होगी मा0 प्रधानमन्त्री से षिकायत
केन्द्र ने माना कि बिजली दरों में संषोधन का कार्य आयोग का

केन्द्रीय ऊर्जा मन्त्री की अध्यक्षता में देष के ऊर्जा मन्त्रियों के सम्मेलन में राज्यों के बिजली दर को बढ़ाने के प्रस्ताव पर उपभोक्ता परिशद द्वारा विरोध करते हुए मा0 प्रधानमन्त्री भारत सरकार को एक प्रस्ताव भेजा गया था। मा0 प्रधानमन्त्री कार्यालय (पी0एम0ओ0) के निर्देष पर भारत सरकार के ऊर्जा मन्त्रालय द्वारा जो जवाब/टिप्पणी उपभोक्ता परिशद को बिन्दुवार भेजी गयी है वह पूरी तथ्यों से परे है।  उपभोक्ता परिशद जल्द ही इसकी षिकायत पुनः मा0 प्रधानमन्त्री जी से करेगा।
उ0प्र0राज्य विद्युत परिशद उपभोक्ता परिशद के अध्यक्ष अवधेष कुमार वर्मा ने कहा कि ऊर्जा मन्त्रालय के अवर सचिव, श्री जी0स्वान जा लियान द्वारा जो संक्षिप्त नोट व टिप्पणी, विद्युत दर/किसानों की क्रास सब्सिडी/यू0आई0 के सम्बन्ध में उपभोक्ता परिशद को उसके पत्र के जवाब में भेजी गयी है वह पूरी तरह ठीक नहीं है।  जहाँ एक ओर भारत सरकार के ऊर्जा मन्त्रालय ने यह माना है कि बिजली दरों में कोई भी संषोधन करने का कार्य राज्य नियामक आयोगो का है वहीं दूसरी ओर घूमाकर बिजली सम्बन्धी केन्द्रीय बैठको में बिजली दर को बढ़ाने हेतु राज्यों पर दबाव डाला जाना स्वतः परस्पर विरोधी निर्णय है।  ऊर्जा मन्त्रालय द्वारा जिन आकडों के आधार पर उपभोक्ता परिशद को जवाब दिया गया है वह पूरी तरह गलत है 2008-09 हेतु जो ए0आर0आर0 (औसत राजस्व, वसूली) रू0 2.62 प्रति यूनिट एवं ए0सी0एस0 (औसत विद्युत विक्रय) रू0 3.40 यूनिट जवाब में दर्षाया गया है वह सही नहीं है। वास्तव में वह  क्रमषः रू0 2.91 प्रति यूनिट व रू0 3.41 प्रति यूनिट है। इसी तरह 2008-09 में राज्य टी0एण्ड डी0 यूटिलिटीयों की षुद्ध हानियाँ जो रू0 27317 करोड दिखाई गयी है और 2014-15 में उसे बढ़कर लगभग रू0 116.89 करोड दर्षायी गयी है वह गलत है वह सही रूप में 20014-15 में रू0 116089 करोड़ होगी। लगातार बढ़ रही टी0एण्ड डी0 हानियों के लिए पूरी तरह केन्द्र द्वारा चलायी जा रही योजनायें दोशी है क्योंकि उसमें सुधार नहीं दिख रहा है ऐसे में उसकी समीक्षा हो जिससे सुधाररूपी योजनायें बने। केन्दीय सेक्टर द्वारा महंगी बिजली बेचने के मामले में विद्युत अधिनियम की धारा-61 का हवाला देकर मामले पर पर्दा डाला गया है यह कृत स्वतः उपभोक्ता विरोधी है।  यू0आई0 के मामलें में 2008-09 के जो आंकड़े पेष करते हुए यू0आई0 के दरों में कमी दिखाई गयी है वह पूरी तरह से गलत है।  उ0प्र0 के मामले में दरे लगातार बढ़ रही है।  किसानो की क्रास सब्सिडी के मामले में षुल्क नीति का हवाला देकर गोल-मोल जवाब दिया जाना भी किसान विरोधी नीतियों का स्वतः खुलाषा करता है।  षंुगलू समिति जो भारत सरकार की उच्च स्तरीय समिति है यदि वह बिजली दर के मामले पर अपना कोई दृश्टिकोण प्रकट नहीं कर रही है तो वह किन मुद्दो पर अपना दृश्टिकोण प्रकरण कर रही है उसका भी खुलाषा होना चाहिए।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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