‘‘गीता, सुगीता ही नहीं गीता, सुगीता कर्तव्या‘‘ गीता गाने की नहीं बल्कि गीता को जीवन में आचरित करने की आवश्यकता है। गीता विश्व की है एवं विश्व के लिए है। स्वयं के लिए इच्छा न रखते हुए सब प्रकार के स्वार्थों से ऊपर उठकर दुनिया के हित में कर्तव्य पूरा करना गीता का संदेश है। उक्त बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक डा0 मोहन भागवत ने महामना मालवीय विद्या मंदिर गोमतीनगर में आयोजित 5150 वीं गीता जयंती के अवसर पर कही।
श्री भागवत ने कहा कि मनुष्य को स्वार्थ भटकाता है इसलिए संासारिक जीवन व्यतीत करते हुए संसार से ऊपर रहने की कला गीता सिखाती है। उन्होेंने कहा कि मनुष्य को कत्र्तव्य से विमुख करने वाले समाज में बहुत से लोग हैं किन्तु उसे दृण निश्चय होकर अपने कर्तव्य को करना चाहिए चाहे इसके लिए उसे मान, अपमान, यश या अपयश कुछ भी मिले। कर्म भी धर्म से युक्त होना चाहिए बिना धर्म के किया गया कर्म व्यर्थ है। ज्ञान, कर्म और भक्ति इन तीनों की त्रिवेणी ही दुनिया में यशस्वी होती है। इसलिए ज्ञान और कर्म भक्तिपूर्वक करना चाहिए। भारत को खड़ा करने के लिए स्वयं को खड़ा होना होगा और भारत के लोगों को खड़ा करना पड़ेगा तभी विश्व का कल्याण संभव है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कबीर शान्ति मिशन के संयोजक एवं लखनऊ के पूर्व मंडलायुक्त राकेश कुमार मित्तल ने की। उन्होंन कहा कि मनुष्य के व्यक्तित्व का समन्वित विकास न होने के कारण आज समाज में संकट है। गीता आज पूरे देश को एक सू़त्र में पिरोने का कार्य करती है तथा गीता पूरे विश्व में मैनेजमेंट बुक के रूप में प्रयोग की जा रही है। उन्होेंने कहा कि गीता अनुभूति का ग्रन्थ है और इसके सार तत्व को अपनाना हमारी जिम्मेदारी है।
कार्यक्रम की शुरूआत उपस्थित साधकों द्वारा सम्पूर्ण गीता का सस्वर पाठ से किया गया। इस दौरान सर संघचालक डा0मोहन भागवत एवं संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इन्द्रेश ने विद्यालय प्रांगण में रूद्राक्ष के पौधे रोपित किये। साथ ही मुख्य अतिथि डा. मोहन भागवत के द्वारा गीता श्लाका प्रतियोगिता के विजयी प्रतिभागियों को भी पुरस्कृत किया गया।
कार्यक्रम के संयोजक प्रभु नारायण श्रीवास्तव ने गीता जयन्ती (मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी) को निष्काम कर्म योग दिवस घोषित करने की संयुक्त राष्ट्रसंघ से भी मांग की है।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य मधु भाई कुलकर्णी एवं ओम प्रकाश, क्षेत्र कार्यवाह राम कुमार वर्मा, क्षेत्र प्रचारक शिव नारायण, आदि लोग मौजूद रहे। संचालन कैलाश नाथ शर्मा व मालवीय मिशन के महासचिव गोविन्द राम अग्रवाल द्वारा किया गया। यह कार्यक्रम महामना मालवीय मिशन, गायत्री परिवार, कबीर शान्ति मिशन, चिन्मय मिशन एवं संस्कृत भारती के संयुक्त प्रसास से सम्पन्न हुआ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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