समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि मुख्यमंत्री ने राजनीति में अपने दोहरे चरित्र का रिकार्ड कायम कर दिया है। एक ओर वे शिलान्यास और लोकार्पण के शिलापटों की ढेर लगाकर प्रदेश के विकास का भ्रम जाल फैलाती है तो दूसरी ओर जो अपनी समस्याओं को लेकर अपनी आवाज उठाते हैं उन पर बेहरमी से लाठी डंडा बरसाती हैं। इसके बाद भी उनको यह शिकायत रहती है कि उनकी आलोचना के सिवाय विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं रहता है। आज बाबा साहब डा0 भीमराव अम्बेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर 765 केबी उपकेन्द्र, उन्नाव के लोकार्पण के मौके पर अपने भाषण में मुख्यमंत्री ने अपनी थोथी घोषणाओं की औपचारिकता निभाते हुए न तो दलितो के कल्याण की कोई ठोस घोषणा की है और नही मंहगाई और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण की बात कहीं है।
सच तो यह है कि मुख्यमंत्री को सत्ता और विपक्ष के धर्म की जानकारी नहीं है। अपनी सत्ता का दुरूपयेाग कर उन्होने लूट, वसूली और भ्रष्टाचार की जो परम्परा चलाई है उसका विरोध करना विपक्ष का धर्म है। लोकतंत्र में विरोध के प्रति सत्तापक्ष को जो सहिष्णुता दिखानी चाहिए उसका भी उनमें अभाव है। प्रदेश सरकार पूरी तरह बर्बर और क्रूर हो गई है। छात्रों, नौजवानों को हर तरह से हतोत्साहित करने और उनका मनोबल गिराने पर तुली हुई है। इलाहाबाद और लखनऊ में विरोध प्रदर्शन करते नौजवानों पर बेरहमी से लाठियां चलाकर बसपा सरकार ने जता दिया है कि वह तनिक से विरोध को भी बर्दाश्त नहीं करती है और बदले की कार्यवाही पर उतर आती है। उसका यह अलोकतंत्री चरित्र किसानों, व्यापारियों, वकीलों तथा शिक्षकों के प्रति भी दिखाई दिया है।
इलाहाबाद में विश्वविद्यालय के छात्र छात्रसंघ बहाली की मांग कर रहे थे। एकेडमिक कांउसिल द्वारा चुनाव के खिलाफ निर्णय से नाराज छात्र शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। पुलिस ने उन्हें बर्बरता से पीटना शुरू कर दिया जिसमें दो दर्जन से ज्यादा छात्र घायल हो गए। छात्रसंघ बहाली की मांग की खिलाफत में बसपा सरकार इसलिए है कि उसका नौजवानों, छात्रों पर कोई असर नहीं है। बसपा सिर्फ दलालों और अपराधियों की पार्टी रह गई है। समाजवादी पार्टी ही छात्रसंघों को लोकतंात्रिक व्यवस्था की एक सीढ़ी मानती है। समाजवादी युवा संगठन इसके लिए बराबर आंदोलनशील रहेे है। इसी से चिढ़ी मुख्यमंत्री ने छात्रों को बुरी तरह पिटवाया है।
सरकार की कुनीतियों के फलस्वरूप प्रदेश में बिजली संकट गहराता जा रहा है। राजधानी लखनऊ के कई क्षेत्रों में आए दिन अंधेरा रहता है। जनता त्राहि-त्राहि कर रही है। मुख्यमंत्री केवल समझौता पत्रों पर हस्ताक्षरों और शिलापटों से ही बिजली पैदा कर रही है। जन सामान्य की कठिनाईयों के प्रति ध्यान दिलाना भी उन्हें अच्छा नहीं लगता है। इसलिए विधान भवन पर प्रदर्शन कर रहे समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं को भी पुलिस उत्पीड़न का शिकार बनाया गया। साढ़े चार साल में उन्होने प्रदेश को जिस दुर्गति में ढकेला है प्रदेश के मतदाता जल्दी ही विधान सभा चुनावों में उसका शून्य रिपोर्ट कार्ड उनके हाथों में सौंप देगें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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