- राज्य सरकार ने बुन्देलखण्ड क्षेत्र के लिए स्पेशल एरिया इंसेन्टिव पैकेज की मांग दोहराई
- किसानों के लिए ऋण माफी की व्यवस्था लागू किए जाने सम्बन्धी प्रस्ताव पर भी निर्णय लिए जाने का अनुरोध
- राज्य सरकार ने बुन्देलखण्ड पैकेज के क्रियान्वयन के सम्बन्ध में केन्द्रीय योजना आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखा
- केन्द्र बुन्देलखण्ड पैकेज में प्रस्तावित परियोजनाओं को शीघ्र स्वीकृति दे
केन्द्रीय योजना के उपाध्यक्ष श्री मोंटेक सिंह अहलूवालिया की अध्यक्षता में आज झांसी में सलाहकार समिति की बैठक हुई। इस सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि राज्य सरकार द्वारा बुन्देलखण्ड और पूर्वान्चल क्षेत्र के साथ ही क्रिटिकल गैप्स की पूर्ति हेतु केन्द्र सरकार को 17 जुलाई,2007 को 80 हजार करोड़ रूपये का पैकेज उपलब्ध कराने का प्रस्ताव भेजा गया था। इस पैकेज में बुन्देलखण्ड क्षेत्र के लिए 10,685 करोड़ रूपये के प्रस्ताव प्रस्तुत किये गये थे, किन्तु केन्द्र द्वारा अभी तक इस बारे में कोई सकारात्मक निर्णय नही लिया गया है।
प्रवक्ता ने कहा कि केन्द्र सरकार के संज्ञान में यह तथ्य भी लाया गया कि उत्तराखण्ड तथा कुछ अन्य राज्यों को स्पेशल एरिया इन्सेंटिव पैकेज दिया गया है, जिसमें आयकर तथा केन्द्रीय उत्पादन में छूट प्रदान करते हुए पॅंूजी उपादान की व्यवस्था की गयी है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि जिन क्षेत्रों के लिए पैकेज दिया गया है, उन क्षेत्रों की स्थिति बुन्देलखण्ड क्षेत्र के समान ही है। इसलिए बुन्देलखण्ड क्षेत्र को भी अन्य क्षेत्रों की भाॅंति विशेष पैकेज की मदद दी जाये। लेकिन केन्द्र द्वारा बुन्देलखण्ड क्षेत्र के लिए स्पेशल एरिया इन्सेन्टिव पैकेज अभी तक नहीं दिया गया है।
इसके अतिरिक्त बुन्देलखण्ड क्षेत्र कठिन परिस्थितियों के मददेनजर यहां के किसानो के लिये ऋण माफी की व्यवस्था लागू किये जाने के प्रदेश सरकार के प्रस्ताव को भी केन्द्र सरकार की मंजूरी नहीं मिल पायी है।
प्रवक्ता ने कहा कि केन्द्र द्वारा प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र केे लिये 3506 करोड़ रूपये का पैकेज वर्ष 2009 में तीन वर्ष की अवधि के लिये स्वीकृत किया गया है। इसमें से मात्र 1596 करोड़ रूपये की ही धनराशि अतिरिक्त केन्द्रीय सहायता के रूप में उपलब्ध होगी। शेष धनराशि को पूर्व में विभिन्न चालू योजनाओं के अन्तर्गत राज्य को पहले से प्राप्त हो रही धनराशि में ही समायोजित कर लिया गया है, तथा कोई अतिरिक्त सहायता राज्य को नहीं दी गयी है। इस प्रकार यह पैकेज मात्र 1600 करोड रूपये तक ही सिमट कर रह गया है, जो बुन्देलखण्ड क्षेत्र के विकास की आवश्यकताओं को देखते हुये नितान्त अपर्याप्त है।
प्रवक्ता ने कहा कि अद्यावधिक स्थिति के अनुसार अब बुन्देलखण्ड पैकेज के विभिन्न विकास कार्याें की प्रगति में सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि अब तक जारी की गयी अवमुक्त धनराशि के सापेक्ष 76.3 प्रतिशत धनराशि व्यय हो चुकी है। इन सभी कार्याें का विवरण वेव-साइट पर उपलब्ध करा दिया गया है और कराये गये कार्यों तथा लाभार्थियों की सूची भी वेव-साइट पर देखी जा सकती है।
प्रवक्ता ने कहा कि सामुदायिक नलकूप निर्माण के प्रस्ताव भारत सरकार को स्वीकृति हेतु प्रस्तुुत कर दिये गये हैं। सिंचाई एवं पेयजल की आवश्यकता बुन्देलखण्ड क्षेत्र में महसूस की जा रही है और राज्य सरकार लगातार इस सम्बन्ध में जोर देती रही है। उन्होंने कहा कि निजी नलकूपों के ऊर्जीकरण हेतु पैकेज में प्राविधान किया जाना जरूरी होगा।
प्रवक्ता ने कहा कि डी0पी0ए0पी0 तथा नान-डी0पी0ए0पी0 की वर्तमान व्यवस्था को समाप्त किया जाये और अब पूरे बुन्देलखण्ड क्षेत्र की डी0पी0ए0पी0 क्षेत्र के लिए अनुमन्य सुविधायें मुहैया करायी जायें। उन्होंने कहा कि टेन्डर के स्थान पर बाॅण्ड के माध्यम से कराये गये कार्याें की जांच करायी जायेगी और कमी पाये जाने पर कार्रवाई भी की जायेगी।
प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में बुन्देलखण्ड क्षेत्र की सड़कों के प्रस्ताव भारत सरकार से अभी स्वीकृत होने हैं, इन्हें प्राथमिकता पर स्वीकृत किया जाये। साथ ही, राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में बुन्देलखण्ड क्षेत्र के मजरों के विद्युतीकरण की स्वीकृति भारत सरकार द्वारा शीघ्र प्रदान की जाये।
प्रवक्ता ने कहा कि पैकेज मेें स्वीकृत होने वाले शेष प्रस्तावों पर भारत सरकार से शीघ्र कार्य अपेक्षित हंै, जिसके अनुक्रम में आगामी 12 दिसम्बर, 2011 को बैठक आयोजित कर निर्णय कराये जाने की बात पर सहमति हुई है।
प्रवक्ता ने बताया कि पैकेज में वितरित बकरियों में से 1048 बकरियों के मरने के प्रकरण संज्ञान में आये हैं, किन्तु अब बकरियों के मरने के प्रकरण नही आ रहें है। पूर्व में मरी बकरियों के बीमा क्लेम प्रस्तुत कर दिये गये है और अधिकतर के बीमा क्लेम दिला भी दिये गये है। उन्होंने कहा कि बुन्देलखण्ड पैकेज के अन्तर्गत बनाये जा रहें कूपों के ढहने के मामले भी प्रकाश में आये हंै। इसका मुख्य कारण क्षेत्र की काली मिटटी तथा अधिक बरसात का होना है। इन कूपों को पुनः ठीक करने की व्यवस्था की जा रही है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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