निजी अस्पतालों का हालचाल जानने सीएमओं डा.एसके तिवारी ने जब निजी अस्पतालों का रूख किया तो वहां जाने पर पाया कि मरीजों की जिंदगी रामभरोंसे चल रही है। व्यवस्था की सुरक्षा कम निजी अस्पतालों में व्यापार ज्यादा लग रहा था। मानक के अनुरूप उनमें कुछ भी नहीं पाया गया। क्षमता से अधिक छोटे कमरों में मरीज भर्ती थे जो निश्चित संख्या से ज्यादा थे। चारों तरफ गंदगी का बोलबाला रहा। जिला अस्पताल के सीएमओं सबसे पहले धर्मशाला रोड़ स्थित कटियार नर्सिग होम गए। बाहर बेतरतीब से खड़े वाहनों को पारकर किसी प्रकार अंदर पहुंचें। रोगियों और तीमारदारों की भीड़ में सांस लेना भी दुर्लभ था। अपर्याप्त सफाई जरा चूकें तो लगा धक्का। रजिस्ट्रेशन में दशायी गई सूची में मरीज कम थे। फार्मासिस्ट व व एनएनएम जो काम कर रही थी अप्रशिक्षित थी। सीएमओं ने हिदायत दी। कि केवल प्रशिक्षित स्टाफ ही रखे। ठीक इसी प्रकार की स्थित नघेटा रोड़ स्थित शिव शक्ति अस्पताल और कीर्ति कृष्णा बाल चिकित्सालय की थी। एक स्टाफ महिला से जब उन्होंने पूंछा कि तुमने यह कला व प्रशिक्षण कहां से सीखा हैं तो उसने कहा कि साहब सब कुछ यहीं से ही सीखें है। छोटे कमरें बेड ज्यादा सभी जगहों पर चिकित्सा नियमों का खुला उल्लंघन पाया।सुई लगाने सेलेकर आपरेशन थियेटर तक अप्रशिक्षित कर्मचारी लगे हुए है। जो डाक्टर की मद्द करते है। यह व्यवस्था काफी फल फूल रहीहैं। समुचित निर्देश देते हुए सीएमओं ने कहा कि व्यवस्था सुधारों नहीं तो कार्यवाही की जाएगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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