समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि बसपा सरकार के साढ़े चार सालों में सिर्फ लूट और भ्रष्टाचार का ही बोलबाला रहा है, यह बात अब स्वयंसिद्ध है। मंत्रिमण्डल के आधे से ज्यादा मंत्री तमाम आरोपों के घेरे में हैं और उनके खिलाफ जांचे चल रही है। जबरन चंदा वसूली, अपहरण, बलात्कार और हत्या के आरोपो में सजा पाए आधा दर्जन से ऊपर मंत्री/विधायक जेल में हैं। विभाग में भ्रष्टाचार की शिकायत करने पर फायर सर्विस के डीआईजी डी0डी0 मिश्रा को पागल बताकर अस्पताल में जबरन भर्ती करा दिया गया। आईपीएस अफसर श्री अमिताभ ठाकुर ने पंचमतल के अफसरों पर अपने उत्पीड़न का आरोप लगाया। वे हाईकोर्ट तक गए। अभी उन्हें न्याय नहीं मिला है। सीबीआई,एनआरएचएम घोटाले की जांच कर रही है जिसमें फंसे अफसरों की लिस्ट बहुत लम्बी है। मुख्यमंत्री के नजदीकी रहे बाबू सिंह कुशवाहा ने बगावती तेवर में मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, कैबिनेट सचिव और प्रमुख सचिव, गृह पर आरोप लगाए हैं कि उनसे उन्हें जान का खतरा है।
लोकायुक्त की जांच के बाद चार मंत्री अवधपाल सिंह, राजेश त्रिपाठी, रंगनाथ मिश्र और बादशाह सिंह मंत्रिमण्डल से हटाए जा चुके हैं। अम्बेडकर ग्राम्य विकास मंत्री रतनलाल अहिरवार भी लोकायुक्त की जांच और संस्तुति के बाद मंत्री पद से हटाए गए हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री अब्दुल मन्नान के खिलाफ जांच के लिए स्पेशल टीम बनाई गई है। खेलमंत्री अयोध्या प्रसाद पाल और लघु उद्योगमंत्री चन्द्रदेव राम, वनमंत्री फतेहबहादुर सिंह, पर्यटनमंत्री विनोद सिंह, राजस्वमंत्री फागू चैहान, प्राविधिक शिक्षामंत्री की सदल प्रसाद के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच शुरू हो गई है। परिवहन मंत्री राम अचल राजभर, ऊर्जा मंत्री रामवीर उपाध्याय, उच्च शिक्षामंत्री राकेशधर त्रिपाठी, सिंचाई (यांत्रिक)राज्यमंत्री जयवीर सिंह के खिलाफ लोकायुक्त जांच कर रहे है। मंत्री दद्दू प्रसाद और पूर्व मंत्री बाबूसिंह कुशवाहा भी अभी लोकायुक्त की जंाच के घेरे में है। प्रमुख सचिव गृह कुॅवर फतेह बहादुर भी जांच से उबर नहीं पाए है।
सच तो यह है कि उत्तर प्रदेश की विकास की गाड़ी पटरी से पूरी तरह उतर चुकी है। मुख्यमंत्री को आम जनता की तकलीफों, किसानों की बर्बादी आदि से कोई मतलब नहीं है। गांव-गरीब उनका एजेन्डा नहीं है। पूरे प्रदेश को उन्होने चन्द अफसरों और चन्द पूंजीपतियों के हाथों में सौंप दिया है। इनका काम मुख्यमंत्री को मोटा कमीशन पहुॅचाना और हर तरह से माल बटोरना रह गया है। लोकायुक्त की जांच में फंसे मंत्रियों को बचाने में कुछ जिलाधिकारी भी लगे हुए है। समाजवादी पार्टी उन सभी को आगाह करती है कि वह दागी मंत्रियों को बचाने में अपने अधिकारों का गलत प्रयोग न करें। उन्हें इसकी जवाबदेही देनी होगी।
उत्तर प्रदेश को इस दुःखद स्थिति से उबारने के दो ही विकल्प हैं। एक तो यह कि मुख्यमंत्री तत्काल अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दे या राज्यपाल महोदय स्वयं संज्ञान लेकर प्रदेश सरकार को बर्खास्त कर दें या दूसरा यह कि निर्वाचन आयोग राज्य में फरवरी,2012 में ही विधान सभा के आम चुनाव कराने की घोषणा करने में देर न करें। चुनाव की आचार संहिता का कड़ाई से पालन हो और मुख्यमंत्री को प्रशासन का दुरूपयोग करने से सख्ती से रोका जाए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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