प्रदेश की मुख्यमंत्री सुश्री मायावती केन्द्र को पत्र लिखकर अपने दायित्व से पल्ला नहीं झाड़ सकती हैं। क्योंकि पिछड़े मुसलमानों को आरक्षण दिये जाने का जो मुद्दा मुख्यमंत्री जी ने उठाया है उसे केन्द्रीय कानून मंत्री श्री सलमान खुर्शीद ने साफ तौर पर केन्द्र सरकार द्वारा पिछड़े मुसलमानों का कोटा ओबीसी कोटे के 27प्रतिशत में से तय किये जाने के शीघ्र ही निर्णय लिये जाने के सम्बन्ध में विगत 06जनवरी,2011 को ही लखनऊ में बयान देकर साफ कर दिया था। आज पुनः श्री खुर्शीद के इस बयान कि केन्द्र सरकार जल्द ही ओबीसी कोटे में पिछड़े मुसलमानों को आरक्षण देगी, उ0प्र0 कंाग्रेस कमेटी की अध्यक्ष डाॅ0 रीता बहुगुणा जोशी ने स्वागत किया है।
उ0प्र0 कंाग्रेस कमेटी के मुख्य प्रवक्ता राम कुमार भार्गव ने आज यहां जारी बयान में कहा कि आन्ध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल, मिजोरम, तमिलनाडु, केरल एवं बिहार की राज्य सरकारों द्वारा बहुत पहले ही पिछड़े मुसलमानों को पिछड़े वर्ग में बेंहतर प्रतिनिधित्व के लिए आरक्षण में आरक्षण सुनिश्चित किया जा चुका है। जबकि उ0प्र0 की मुख्यमंत्री सुश्री मायावती ने प्रदेश में आरक्षण लागू न करके पिछड़े मुसलमानों को सिर्फ गुमराह किया है और उनकी भावनाओं से खिलवाड़ किया है।
जहां एक ओर केन्द्र सरकार ने उत्तर प्रदेश में मदरसा आधुनिकीकरण के लिए अप्रैल 2011 से अभी तक 134.12 करोड़ रूपये जारी किये हैं वहीं दूसरी ओर प्रदेश की बसपा सरकार 6 हजार बेरोजगार मोअल्लिम-ए-उर्दू डिग्री धारकों को नौकरी देने की जगह उन पर लाठियां बरसा रही है। उन्होने कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डाॅ0 रीता बहुगुणा जोशी के प्रयास से 21जनवरी 2010 को मानव संसाधन विकास मंत्रालय से एनसीटीई द्वारा इसे मान्यता प्रदान की थी परन्तु फिर भी मायावती सरकार मोअल्लिम-ए-उर्दू डिग्री धारकों के साथ लगातार नाइंसाफी कर रही है।
मुख्यमंत्री सुश्री मायावती अपने दायित्वों का निर्वहन न करके सिर्फ केन्द्र सरकार को पत्र लिखकर दोषारोपण करती रहती हैं। मुख्यमंत्री का बयान सिर्फ एक ढकोसला है, उन्हें न तो पिछड़े वर्ग से और न ही पिछड़े वर्ग के मुसलमानों से कोई लेना देना रह गया है। सिर्फ कोरी बयानबाजी करके आरक्षण का लाभ देने की जो कवायद मुख्यमंत्री ने की है, वह सिर्फ पिछड़े और पिछड़े वर्ग के मुसलमानों का वोट लेने का एक शिगूफा है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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