समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश की बसपा सरकार अपराधियों का संगठित गिरोह बन गई है। मुख्यमंत्री इनकी सरगना है जो ऐसे तत्वों को संरक्षण दे रही हंै। प्रदेश मंत्रिमण्डल के 40 प्रतिशत से ज्यादा मंत्रियों के खिलाफ गम्भीर आरोपों की जांच लोकायुक्त के यहां चल रही है। 4 मंत्री लोकायुक्त की संस्तुति के बाद मंत्रिमण्डल से पहले ही निकाले जा चुके है। मुख्यमंत्री के बहुत खास रहे मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा ने भी जब तेवर बदले तो उन पर भी कार्यवाही हो गई। बसपा विधायक श्री रतनलाल अहिरवार लोकायुक्त की जांच में फंस गए है। इन सभी पर पद का दुरूपयोग कर अकूत संपत्ति अर्जित करने, अवैध कब्जे करने और हत्या, लूट तथा बलात्कार तक के आरोप हैं। कई मंत्री-विधायक जेल की हवा खा रहे हैं।
मुख्यमंत्री अक्सर कानून व्यवस्था में सुधार करने के कथित सख्त निर्देशों के साथ लम्बे-चैड़े बयान जारी करने में माहिर हो गई हंै। उन्होने साढ़े चार साल में दर्जनों समीक्षा बैठकें की है। लेकिन हर समीक्षा बैठक के बाद अपराधिक घटनाओं में बढ़ोत्तरी ही नजर आई है। आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को भयादोहन के जरिए पंगु बनाने तक ही समीक्षा बैठकों के नतीजें रहे हैं। दिखावे के लिए अपराधों में संलिप्त कुछ मंत्रियों-विधायकों को पार्टी से निकालने के नाटक का भी पटाक्षेप मुख्यमंत्री ने उनको फिर से पार्टी में शामिल करके कर दिया है। भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही न करना, उन्हें जेल न भिजवाना साबित करता है कि स्वयं मुख्यमंत्री भी इस दलदल में ऊपर नहीं है।
लोकायुक्त की जांच की सूची में लगातार जिस तरह से वृद्धि हो रही है उससे तो यही लगता है कि पूरी सरकार ही जेल में स्थानांतरित हो जाएगी। मुख्यमंत्री अब वहीं मंत्रिमण्डल की बैठक करेगी। बस फर्क यह होगा कि आगे से समीक्षा बैठकें में उनके कारनामों की ज्यादा समीक्षा होगी जिसमें झूठ, लूट और संपत्ति के रहस्यमय खेलों की परतें खोली जाएगी।
महामहिम राज्यपाल को प्रदेश की गम्भीर स्थिति का गम्भीरता से संज्ञान लेकर अब कार्यवाही में देर नहीं करनी चाहिए । जिस सरकार के मंत्री संदिग्ध चरित्र के हों, उन पर अपराधों के आरोप हो,ं उनके हाथों में विभागों को सौपना संविधान के साथ खिलवाड करना होगा। लोकतंत्र के इतिहास में ऐसी हास्यास्पद स्थिति शायद ही कभी रही हो जहां पूरी सरकार ही कलंकित हो। यह तो दाल में काला नहीं बल्कि पूरी दाल ही काली होने की स्थिति है। यदि संविधान की मर्यादा का ध्यान रखते हुए राज्यपाल महोदय बसपा सरकार को अभी बर्खास्त करने की संस्तुति केन्द्र सरकार और राश्ट्रपति को नहीं भेजेगें तो ऐसी स्थिति आ सकती है कि लोकायुक्त की जांच और सीबीआई जांच के बाद पूरी सरकार ही अदालत के कठघरों में खड़ी नजर आए। वह दिन देश-प्रदेश और लोकतंत्र के लिए बहुत शर्म का दिन होगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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