बहुजन समाज पार्टी द्वारा आयोजित रैली (दलित-पिछड़ा भाईचारा सम्मेलन) पिछले दिनों ब्राहमण समाज भाईचारा सम्मेलन की ही तरह पूरी तरह फ्लाप हो गयी और लाखों की भीड़ एकत्र करने का दावा पूरी तरह खोखला साबित हुआ है। मुख्यमंत्री ने भाषण के दौरान जिस प्रकार बार-बार कांग्रेस महासचिव श्री राहुल गांधी का नाम लिया, इससे ऐसा लगता है कि बसपा सुप्रीमों श्री गांधी के फोबिया से ग्रसित हो गयी हैं और उन्होने अपनी पार्टी की हार स्वीकार कर ली है। आज की रैली सिर्फ और सिर्फ टिकट लेने वालों के शक्ति परीक्षण के अलावा कुछ भी नहीं था।
उ0प्र0 कंाग्रेस कमेटी के प्रवक्ता द्विजेन्द्र त्रिपाठी ने आज यहां जारी बयान में कहा कि उ0प्र0 में जाति के नाम पर राजनीति करने वाली बसपा को आज यह एहसास हो गया होगा कि जिस दलित और पिछड़े वर्ग का वोट हथियाकर चार-चार बार मुख्यमंत्री के पद पर काबिज हुईं उसी को ही बार-बार छला है, शीलू बलात्कार काण्ड से लेकर मुस्लिम वर्ग की अबोध बालिका सोनम बलात्कार और हत्याकाण्ड में बसपा के विधायक, मंत्री और पुलिसकर्मी ही शामिल रहे हैं, इतना सब कुछ अत्याचार होता रहा, किन्तु मुख्यमंत्री ने कभी भी पीडि़तों की ओर रूख नहीं किया और अब जब विधानसभा चुनाव नजदीक है और सत्ता हाथ से जाने वाली है तो इन्होने पुनः दलित और पिछड़े वर्ग की भावनाओं से खिलवाड़ करके घडि़याली आंसू बहाकर और झूठे सपने दिखाकर पांचवीं बार मुख्यमंत्री बनने का सपना बुनने लगी हैं जेा कभी भी पूरा होने वाला नहीं है।
प्रवक्ता ने कहा कि उ0प्र0 की सत्ता पर चार-चार बार आसीन होने वाली मुख्यमंत्री यह भूल गयी हैं कि आज उ0प्र0 में जितने भी कल कारखाने और उद्योग चल रहे हैं वह सभी कंाग्रेस शासनकाल की ही देन हैं। चीनी मिलें, हिण्डालको, एचचएएल, बीएचईएल, कताई मिलें, हथकरघा उद्योग, एनटीपीसी, अनपरा, ओबरा आदि तमाम बिजली घर, एनएच और सड़कों का जाल, नहरों का जाल तथा आई.टी. हब एवं शिक्षा के क्षेत्र में तमाम विश्वविद्यालय आदि जितने भी विकास कार्य कांग्रेस की ही देन है। बसपा शासनकाल में तो मुख्यमंत्री सुश्री मायावती ने केवल पार्कों, स्मारकों और मूर्तियों की स्थापना तक सीमित रहीं आम जनता के हितों से कोई सरोकार नहीं रहा। मुख्यमंत्री को बसपा शासनकाल में रोजगार और विकास के लिए कितने उद्योग स्थापित किये गये, कितने कल कारखाने और कितने बिजलीघर लगाये गये, इसका भी वर्णन करना चाहिए था। किन्तु सिर्फ कांग्रेस पार्टी और केन्द्र सरकार पर दोषारोपण करके अपनी कमियों को छिपाकर सिर्फ प्रदेश की भोलीभाली जनता का वोट हासिल करने के लिए कोरा भाषणबाजी से अब दलित और पिछड़ा वर्ग इनके बहकावे में आने वाला नहीं है।
प्रवक्ता ने कहा कि उ0प्र0 के दर्जनों जिलों में मनरेगा में गड़बडि़यां पाये जाने के बाद भी राज्य सरकार द्वारा कार्यवाही नहीं की गयी, कुछ अधिकारियों पर कार्यवाही की भी गयी है जिसे मुख्यमंत्री खुद स्वीकार कर रही हैं लेकिन जितना व्यापक भ्रष्टाचार मनरेगा में किया गया है और अभी भी जारी है उसे सिरे से खारिज किया जाना गरीबों, दलितों और पिछड़े वर्ग के साथ धोखा है क्योंकि मनरेगा में ज्यादातर इसी वर्ग के लोगों को रोजगार मिलता है। एनआरएचएम में करोड़ों रूपये के घोटाले के चलते इनके दो-दो मंत्रियों को पद से हाथ धोना पड़ा और सीबीआई जांच में अभी भी तमाम अधिकारियों के फंसने की संभावना है। प्रदेश के दलित और पिछड़े वर्ग के लोगों ने आज की इस रैली में शामिल न होकर इसका एहसास भी करा दिया है। सच्चाई तो यह है कि बसपा द्वारा आयोजित किये जाने वाले सभी जाति आधारित सम्मेलनों में चेहरे वही होते हैं सिर्फ सम्मेलन का स्थल और नाम बदलता रहता है। आगामी 18दिसम्बर में मुस्लिम-क्षत्रिय भाईचारा सम्मेलन में भी यही चेहरे शामिल होंगे। उन्होने कहा कि चुनाव आयोग को भी बसपा की रैली में खर्च किये गये करोड़ों रूपये सरकारी धन और सरकारी तंत्र के दुरूपयोग के बारे में अवश्य संज्ञान लेना चाहिए और कार्यवाही करनी चाहिए।
श्री त्रिपाठी ने कहा कि प्रदेश की जनता अब जाति की राजनीति से ऊब चुकी है, वह अब सिर्फ विकास चाहती है। कंाग्रेस पार्टी के बढ़ते भारी जनसमर्थन और केन्द्र सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के चलते प्रदेश का दलित, पिछड़ा, अल्पसंख्यक और गरीब वर्ग तेजी के साथ कंाग्रेस के साथ आ रहा है और आने वाले चुनाव में इसकी हकीकत का अंदाजा भी मुख्यमंत्री को लग जायेगा, जब प्रदेश की जनता बसपा का सूपड़ा साफ कर देगी और कांग्रेस पार्टी उ0प्र0 में अपनी सरकार बनायेगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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