उ0प्र0 ही नहीं, पूरे देश के इतिहास में यह पहला अवसर है जब किसी सरकार में 40प्रतिशत मंत्री भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में घिरे हैं और उनके खिलाफ लोकायुक्त द्वारा जांच की जा रही है। मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी में अगर तनिक भी नैतिकता हो तो उन्हें तत्काल अपने पद से इस्तीफा देकर जनता की अदालत में जाना चाहिए। इसमें कोई शक नहीं है कि भ्रष्टाचार से कराह रही जनता आने वाले चुनाव में मुख्यमंत्री और बसपा को उसकी वास्तविक हैसियत बता देगी।
उ0प्र0 कंाग्रेस कमेटी के प्रवक्ता द्विजेन्द्र त्रिपाठी ने आज यहां जारी बयान में कहा कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि इतनी बड़ी संख्या में विधायकों के खिलाफ गंभीर भ्रष्टाचार की शिकायतें दर्ज की गई और इन विधायकों में अधिकांश बहुजन समाज पार्टी के हैं। इतिहास यह भी है कि पहली बार किसी मंत्रिमण्डल के चार-चार मंत्रियों को भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते अपने पदों से इस्तीफा देना पड़ा है। इन मंत्रियों को और किसी से नहीं बल्कि स्वयं मुख्यमंत्री सुश्री माायवती ने ही हटाया है। इसके अलावा स्वयं मुख्यमंत्री ने कई मंत्रियों और विधायकों को आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं देने का ऐलान किया है इसके पीछे भी भ्रष्टाचार, अपराधिक संलिप्तता ही प्रमुख कारण है। इन मंत्रियों और विधायकों पर हत्या, बलात्कार और भ्रष्टाचार के संगीन आरोप हैं। एनआरएचएम, मनरेगा और तमाम केन्द्रीय योजनाओं में भ्रष्टाचार की नित नई कहानियां प्रकाश में आ रही हैं। अब तो सुश्री मायावती जी के अपने निकट के लोगों की बातें भी इस बात को उजागर कर रही है कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व मेंएक संगठित गिरोह आम जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा लूटने में लगा है।
प्रवक्ता ने कहा कि कहाकि श्री राहुल गांधी द्वारा उठाये मुद्दों का जवाब देने में असमर्थ बसपा का इतिहास पढ़ने की बात करना मुद्दों से दूर भागना है। बहुजन समाज पार्टी द्वारा कंाग्रेस के राष्ट्रीय नेता को यह नसीहत देना कि वह बसपा के इतिहास को पढ़ें। जहां तक बसपा के इतिहास की बात है तो इतिहास तो उसका होता है जिसने देश और समाज की भलाई के लिए कुछ किया है। रही बात बसपा के भ्रष्टाचार और कुशासन का इतिहास, तो इसे पढ़ने में कंाग्रेस को कोई दिलचस्पी नहीं है उसे जनता खुद ही देख रही है।
श्री त्रिपाठी ने कहा कि पूर्व मंत्री और मुख्यमंत्री जी के अत्यन्त करीबी ने अभी शीघ्र ही जिस तरह से गंभीर आरोप लगाये हैं वह इस बात की ओर स्पष्ट इशारा है कि लूट के पैसे की बंदरबांट के चलते इस तरह की नौबत आ रही है। जिसे तरह से एक उद्यान अधिकारी ने अपने विभागीय मंत्री पर नियोजित ढंग से पैसे की लूट का आरोप लगाया है उससे भी यह साबित होता है कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में सिर्फ और सिर्फ मंत्रियों और कुछ अधिकारियों का गिरोह अपनी जेबें भरने में लगा है। यह किसी से छुपा नहीं है कि कुछ अधिकारी प्रशासनिक मर्यादाओं को ताक पर रखकर बसपा प्रवक्ता या बसपा कार्यकर्ताओं की भूमिका में नजर आ रहे हैं। कई अधिकारियों ने तो सार्वजनिक रूप से सत्ता में बैठे लोगों के भ्रष्ट खेल के बारे में बोलना शुरू कर दिया है। दरअसल मुख्यमंत्री सुश्री मायावती और उनके गिरोह का भाण्डा पूरी तरह से फूट गया है और पाप का घड़ा पूरी तरीके से भर गया है। जनता अब बहुत दिनों तक चुपचाप यह सब देखने वाली नहीं है। अब जनता के आक्रोश का लावा भड़क चुका है और लोग सड़कों पर उतरने के लिए बेकाबू हैं, प्रशासनिक नियंत्रण हाथ से निकल चुका है ऐसे में मुख्यमंत्री को अपने पद से इस्तीफा देकर जनता की अदालत में जाना चाहिए।
प्रवक्ता ने अंत में कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा खुदरा क्षेत्र में विदेश निवेश पर लिये गये निर्णय पर जिस तरह से प्रदेश की मुख्यमंत्री ने प्रतिक्रिया में व्यक्तिगत आरोप लगाये हैं उससे ऐसा लगता है कि प्रदेश की मुखिया के पास आर्थिक और राजनीतिक विषय में कहने को कुछ भी नहीं है। उ0प्र0 में भी श्री राहुल गांधी जी के दौरे और जनसमर्थन से घबराई प्रदेश की मुख्यमंत्री ने जिस प्रकार व्यक्तिगत आरोप प्रत्यारोप पर उतर आई हैं उससे उनकी घबराहट और बौखलाहट का अंदाजा लगाया जा सकता है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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