समाजवादी पार्टी के लोकसभा सदस्य श्री धर्मेन्द्र यादव ने आज संसद में शून्यप्रहर में किसानों की दुर्दशा पर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि पोषक तत्व आधारित राज सहायता की नीति का अंतर्राष्ट्रीय व्यापारी और उर्वरक निर्माता पूरी तरह से लाभ ले रहे हैं जिसके कारण आज किसान पूरी तरह से तबाह हो रहे हैं। उन्हें फसल की लागत भी नहीं मिल रही है। उन्होने सरकार से उर्वरकों के मूल्यों पर कन्ट्रोल करने और किसानों का समर्थन मूल्य लागत से डेढ़ गुना किए जाने का अनुरोध किया है।
श्री धर्मेन्द्र यादव ने कहा कि किसानों के रेट बहुत बढ़ने से किसान परेशान है। पिछले वर्ष मार्च,2010 में डीएपी का रेट 9350 रू0 प्रति मीट्रिक टन से बढ़कर आज 18200 रू0 हो गया है। इसी तरह से एमएपी का रेट भी 18200 रू0 हो गया है। टीएसपी का रेट 7460 रू0 से बढ़कर 8057 रूपए प्रति मीट्रिक टन हो गया है। एमओपी खाद का रेट 4455 रूपए से बढ़कर 11300 रू0 हो गया है। लेकिन किसान का समर्थन मूल्य नहीं बढ़ा है। डीजल मंहगा है। बिजली की किल्लत है। किसान की फसल की लागत दो से ढाई गुना हो गई है जबकि किसानों के समर्थन मूल्य में कोई खास परिवर्तन नहीं हुआ है। बल्कि जो समर्थन मूल्य है, वह भी नहीं मिल रहा है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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