- पूर्व में भी सदन से लेखानुदान पारित होने को विश्वासमत प्राप्त होना माना गया
- माननीया मुख्यमंत्री जी ने एक दिन पूर्व ही विधानसभा स्थगित होने के लिये सभी विपक्षी पार्टियों को पूरी तरह जिम्मेदार ठहराते हुए, सदन में खासतौर से सपा व अन्य विपक्षी पार्टियों के आचरण को निन्दनीय बताया
- माननीया मुख्यमंत्री जी द्वारा विधान सभा में प्रस्तुत किया गया राज्य के पुनर्गठन का प्रस्ताव पारित
- सभी विरोधी पार्टियां उत्तर प्रदेश के पुनर्गठन के जबर्दस्त खिलाफ
उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री माननीया सुश्री मायावती जी ने पिछले कुछ दिनों से विपक्ष के लोगों द्वारा उनकी सरकार के अल्पमत में होने की बात का पूरे तौर पर खण्डन करते हुए इसे गलत व तथ्यहीन बताया है। उन्होंने कहा कि विधानसभा में उनकी पार्टी का बहुमत ही नहीं बल्कि उसके पास बहुमत की निर्धारित संख्या से अधिक विधायक हैं। यह दुष्प्रचार सभी विरोधी पार्टियों की केवल उनकी सरकार को कमजोर बनाने की बहुत बड़ी मिलीजुली एक सोची समझी साजिश है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में उनकी पार्टी व सरकार के प्रति सभी विरोधी पार्टियों के साथ केन्द्र सरकार के चले आ रहे अभी तक के रवैये की सजा प्रदेश की जनता कुछ ही महीनों के अन्दर होने वाले विधानसभा आम चुनाव में सभी विरोधियों पार्टियों को जरूर देगी।
माननीया मुख्यमंत्री जी आज विधानसभा की कार्रवाई में शामिल होने के बाद एनेक्सी स्थित मीडिया सेन्टर में मीडिया प्रतिनिधियों को सम्बोधित कर रहीं थीं। उन्होंने कहा कि आज प्रातः 11 बजे जब हाउस शुरू हुआ तो विपक्ष ने हंगामा करके हाउस को नहीं चलने दिया, जिसके कारण माननीय स्पीकर महोदय को हाउस 12.20 बजे तक स्थगित करना पड़ा। इसके बाद 12.20 पर हाउस बैठने पर आज विधानसभा में उनकी सरकार द्वारा विधिवत् वोट आॅन अकाउन्ट लेने का कार्य पूरा हो गया। साथ ही कुछ अन्य कार्यों के साथ-साथ प्रदेश के पुनर्गठन का प्रस्ताव भी पास हो गया, जिसे अब उनकी सरकार बहुत जल्द ही केन्द्रीय सरकार के पास भिजवा देगी। ज्ञातव्य है कि माननीया मुख्यमंत्री जी ने विधानसभा में प्रदेश का पुनर्गठन चार राज्यों-पूर्वान्चल, बुन्देलखण्ड, अवध प्रदेश तथा पश्चिम प्रदेश में किये जाने का प्रस्ताव रखा, जिसे सदन द्वारा पारित कर दिया गया।
प्रदेश के पुनर्गठन प्रस्ताव को पास कराने को लेकर सभी विपक्ष की पार्टियों द्वारा इसे उनकी पार्टी का चुनावी हथकंडा बताये जाने को बिल्कुल गलत करार देते हुए माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उनकी पार्टी की सरकार, उत्तर प्रदेश के पुनर्गठन के लिये सन् 2007 में केन्द्र को भेजी गयी चिट्ठी के बाद से ही लगातार इसके लिए बराबर पहल कर रही थी। लेकिन जब केन्द्र की सरकार ने इसपर कोई भी निर्णय नहीं लिया, तब मजबूरी में उनकी पार्टी की सरकार को प्रदेश की जनता के हित में यह कदम उठाना पड़ा।
इस सम्बन्ध में 16 नवम्बर, 2011 को जारी प्रेस नोट का हवाला देते हुए माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इसके बारे में उनके द्वारा सभी तथ्यों की पहले ही विस्तार से जानकारी दी जा चुकी है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि प्रदेश के पुनर्गठन के सम्बन्ध में उनकी सरकार को मंत्रिपरिषद अथवा विधानमण्डल से कोई प्रस्ताव पारित कराने की संवैधानिक बाध्यता नहीं थी। उन्होंने कहा कि सन् 2007 से राज्य के पुनर्गठन के लिये उनके द्वारा लगातार किये जा रहे प्रयासों पर केन्द्र सरकार द्वारा ध्यान न देने के कारण केन्द्र पर दबाव बनाने के लिये पुनर्गठन के प्रस्ताव को विधानसभा से पारित कराना पड़ा।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज विधानसभा में उत्तर प्रदेश के पुनर्गठन के मामले में कांग्रेस, बी0जे0पी0, सपा व अन्य पार्टियों की स्थिति भी पूरी तौर से स्पष्ट हो गयी है कि यह सभी विपक्षी पार्टियां राज्य के पुनर्गठन के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि यह सभी विरोधी पार्टियां उत्तर प्रदेश के पुनर्गठन के जबर्दस्त खिलाफ हैं, क्योंकि ये सभी विरोधी पार्टियां उत्तर प्रदेश व यहां की जनता का सम्पूर्ण रूप से विकास होते हुए नहीं देखना चाहती।
अपनी सरकार के पूर्ण बहुमत में होने के क्रम में माननीया मुख्यमंत्री जी ने सभी विरोधी पार्टियों से सवालिया लहजे में यह भी पूछा यदि नये परिसीमन की वजह से उनकी पार्टी के कुछ विधायकों की सीट गड़बड़ाने के कारण वो खुद ही अपनी स्वेच्छा से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, तो क्या विरोधी पार्टियों की नजर में अब ये विधायक उनकी पार्टी के चुने हुए सदस्य नहीं रहे, तो विरोधियों के पास इसका जवाब नहीं होगा। अपनी पार्टी के कुछ विधायकों व मंत्रियों के खिलाफ लोकायुक्त में शिकायत होने के कारण चल रही जांच का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कुछ मामलों की जांच पूरी होने पर उनकी सरकार ने कुछ मंत्रियों से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा भी लिया और कुछ को खुद हटाया भी गया है। ताकि इस सम्बन्ध में विरोधी लोग सरकार द्वारा कोई भी कार्रवाई करने पर उनके ऊपर इन लोगों को बचाने का कोई गलत आरोप न लगा सके।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इतना ही नहीं, बल्कि कुछ अन्य मामलों को भी लेकर कुछ और भी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की गयी है। उन्होंने इन सब के बारे में विरोधियों से यह सवाल पूछा कि क्या ऐसी स्थिति में वे लोग अब उनकी पार्टी (बी0एस0पी0) के चुने हुए सदस्य नहीं रहे हैं। इसका भी जवाब विरोधी पार्टियां नहीं दे पायेंगी। जबकि इन सब विधायकों के मामले में वास्तविकता यह है कि ये सभी विधायक आज भी उनकी पार्टी के साथ हैं और इनमें से किसी ने भी यह नहीं कहा कि अब वे बी0एस0पी0 के साथ में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में सभी विरोधी पार्टियों के लोग फिर किस आधार पर कैसे कह सकते हैं कि उनकी पार्टी की सरकार अल्पमत में आ गई है।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यदि विरोधी लोग उनकी पार्टी (बी0एस0पी0) में किसी भी विधायक के चुनाव न लड़ने व उनके टिकट काटने तथा पार्टी के किसी भी विधायक या मंत्री के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने आदि को लेकर उन्हें पार्टी व सरकार से अलग मानने की बात करते हैं, तो फिर विरोधी लोगों को इसी फार्मूले के आधार पर आन्ध्र प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार की तरफ भी जरूर ध्यान से देखना चाहिए। जहां कांग्रेस पार्टी के कई दर्जन विधायकों व मंत्रियों ने तेलांगाना को अलग से राज्य बनाने के मुद्दे पर वहां की विधानसभा के स्पीकर से मिलकर अपना त्यागपत्र दे दिया था। इसी प्रकार इसी ही मुद्दे पर लगभग एक दर्जन से ज्यादा आन्ध्र प्रदेश के सांसदों ने संसद की माननीया स्पीकर महोदय के सामने उपस्थित होकर अपना इस्तीफा लिखकर दे दिया था। आन्ध्र प्रदेश के ऐसे विधायकों व सांसदों के इस्तीफे के मामले अभी भी फैसले के लिये लम्बित पड़े हैं।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि केन्द्र की सरकार के काफी सांसद व मंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त होने के कारण दिल्ली की जेल में बन्द हैं, और काफी के खिलाफ अन्य विभिन्न मामलों को लेकर माननीया अदालत व कई एजेन्सियों में अभी भी कार्रवाई चल रही है। इसके अलावा देश में ऐसे अनेक और भी उदाहरण देखने को मिलेंगे, लेकिन फिर भी इन सब के आधार पर कांग्रेस व अन्य सभी विरोधी पार्टियों ने कभी भी आन्ध्र प्रदेश व दिल्ली में केन्द्र की सरकार को अल्पमत में होने की बात नहीं कही है। उन्होंने कहा कि लेकिन उत्तर प्रदेश के मामले में काफी गम्भीरता से सोचने की बात यह है कि जब यह सब उत्तर प्रदेश में होता है, तब इस आधार पर विरोधी पार्टियां उनकी सरकार को अल्पमत में होने की किस्म-किस्म की बातें काफी बढ़-चढ़कर करती हैं। इससे स्पष्ट हो जाता है कि यह सब उनकी पार्टी व सरकार के खिलाफ विरोधियों की मिली-जुली एक सोची-समझी बहुत बड़ी राजनैतिक साजिश है। इसी के साथ इन सभी विरोधी पार्टियों की आज भी दलित विरोधी मानसिकता होने का रवैया भी साफ नजर आता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार बिल्कुल भी अल्पमत में नहीं है, बल्कि उनकी सरकार के पास आज भी पूर्ण बहुमत से ज्यादा संख्या है। इसके अलावा दूसरी पार्टियों के लगभग एक दर्जन से ज्यादा विधायक भी बी0एस0पी0 में आ चुके हैं।
विधानसभा के एक दिन पहले ही अनिश्चित काल के लिये स्थगित हो जाने के लिये सभी विपक्षी पार्टियों को पूर्ण रूप से जिम्मेदार ठहराते हुए माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज हाउस चलने के दौरान खासतौर से समाजवादी पार्टी व अन्य विपक्ष की पार्टियों के माननीय सदस्यों के आचरण की उनकी पार्टी व सरकार कड़े शब्दों में निंदा करती है। उन्होंने विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव के सवाल के सम्बन्ध में कहा कि पूर्व में भी सदन से लेखानुदान पारित होने को विश्वासमत प्राप्त होना माना गया है। दिसम्बर, 2006 में सपा सरकार में इसी प्रकार विधानसभा में लेखानुदान विधेयक के पारित होने को विश्वास मत प्राप्त किया हुआ माना गया है। इसलिए आज उनकी सरकार ने भी विश्वास मत प्राप्त कर लिया है।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने माननीय विधानसभा अध्यक्ष द्वारा हाउस को पूरी तरह संवैधानिक व असेम्बली के सभी नियमों के अनुसार चलाये जाने के लिये उनकी सराहना की। साथ ही विधानसभा के सभी छोटे-बड़े कर्मचारियों व अधिकारियों के प्रति भी आभार प्रकट किया, जिन्होंने अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी व पूरी निष्ठा के साथ निभायी। उन्होंने अपनी पार्टी के सभी विधायकों व मंत्रियों के प्रति भी दिल से आभार प्रकट करते हुए कहा कि इन्होंने कल उनके (माननीया मुख्यमंत्री जी के) द्वारा दिये गये जरूरी दिशा निर्देशों के मुताबिक चलकर सभी विरोधी पार्टियों के हथकण्डों का जवाब बहुत ही संयम व अनुशासन के साथ दिया है।
इस अवसर पर एक प्रश्न का उत्तर देते हुए माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उनकी पार्टी का विधानसभा में बहुमत ही नहीं बल्कि बहुमत के लिये निर्धारित संख्या से अधिक विधायक हैं। ऐसे में उनकी सरकार द्वारा विधानसभा भंग करने की सिफारिश करने का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी विधानसभा में उत्तर प्रदेश के पुनर्गठन के प्रस्ताव पर विस्तार से चर्चा के पक्ष में थी, लेकिन सभी विपक्षी दलों ने मिलकर इस पर चर्चा नहीं होने दी। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद भी उत्तर प्रदेश देश का आबादी के लिहाज से सबसे बड़ा राज्य है और पिछड़ा भी है। हमारी पार्टी इसका विकास चाहती है, इसीलिए केन्द्र सरकार द्वारा कार्रवाई न करने के बाद उनकी सरकार ने मजबूरी में पुनर्गठन के प्रस्ताव को मंत्रिपरिषद से मंजूर कराकर विधानसभा से पारित कराया है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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