जिस प्रकार से जननी सुरक्षा पर सरकार जोर देकर अरबों रूपए खर्च कर रही है। ठीक उसी प्रकार क्या उसी तल्लीनता के साथ उनके कर्मचारी भी काम कर रहे है। गांव गांव में स्वास्थ्य परिचारिका रखी गई है। जो अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए जोरदार संघर्ष करती है। ठीक उसी प्रकार वह अपने कर्तव्यों का निर्वहन की जिम्मेदारी स्वयं क्यों नहीं उठाती। कल जिलाअस्पताल गेट पर दो प्रसव टेंपों के अंदर करवाए जा रहे थे तब लोगांे की जुवान पर एक ही शब्द रहा टेंपों बन गए है अस्पताल का लेवररूम, घटना के संबंध में जानकारी मिली की एक टेंपों सुरसा थाने में गोरही मजरा खजुराहरा निवासी विनोद कुमार पत्नी निर्मला को प्रसव पीड़ा होेने पर टेंपो से जिला अस्पताल लाए, जिला अस्पताल का गेट बंद था आशा बहूं डाक्टर के पास अंदर गई थी तभी टेंपों के अंदर प्रसव हो गया। दूसरा टेंपों भी सुरसा थाने के पोथे पुरवा से आशाराम पत्नी केतकी को लेकर आया। तब भी गेट बंद था गेट खोलने में देरी होने पर टेंपों में ही प्रसव हो गया। दोनों में आशा बहंू का प्रसूता को देर से लाना ही समझ मंे आ रहा हैं हकीकत पर जानकारी घोर लापरवाही की वजह ही ग्रामीण क्षेत्र से आए यह परेशानी उठाते है। जबकि सीएमओ सबकुछ ठीक ठाक बताकर पल्ला झाड़ रहे है। स्वास्थ्य निदेशालय भी जांच की बात करके लीपापोती करने मंे लगा हुआ है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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