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केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जी न्यूज चैनलों में प्रदेश सरकार की ‘एक्शन टेकेन रिपोर्ट ही‘ पढ़कर सुना रहे थे

Posted on 19 November 2011 by admin

  • छोटे-छोटे मामलों को आधार बनाकर केन्द्रीय मंत्री द्वारा माननीया मुख्यमंत्री जी को पत्र लिखा जाना और उसे मीडिया में सार्वजनिक करना दर्शाता है कि यह कार्रवाई आगामी विधान सभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक उद्देश्यों के लिए की गयी
  • मनरेगा के सम्बन्ध में बार-बार पत्र लिखा जाना उसपर राजनीति करने का प्रयास
  • प्रदेश द्वारा मनरेगा में हासिल की गयी तमाम उपलब्धियों के बावजूद केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय को अचानक अनियमिततायें नजर आना आश्चर्यजनक

उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री माननीया सुश्री मायावती जी ने मनरेगा को लेकर केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री श्री जयराम रमेश द्वारा बार-बार उन्हें पत्र लिखे जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि श्री रमेश घटिया राजनीति पर उतर आये हैं, क्योंकि केन्द्रीय मंत्री के सभी पत्र उनको मिलने से पहले मीडिया को मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि मनरेगा में अनियमितताओं से संबंधित सभी मामलों में प्रदेश सरकार ने कठोर कार्रवाई की है और कृत कार्रवाई से केन्द्र सरकार को समय-समय पर अवगत कराया जाता रहा है, परन्तु खेद का विषय है कि राज्य सरकार की रिपोटर््स की जानबूझकर अनदेखी हो रही है और जनता को गुमराह करने के उद्देश्य से मीडिया में दुष्प्रचार किया जा रहा है।
सुश्री मायावती जी ने मनरेगा के क्रियान्वयन को लेकर 18 नवम्बर, 2011 को प्राप्त केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री श्री जयराम रमेश के पत्र में उल्लिखित तथ्यों की विस्तार से समीक्षा भी की है और यह निर्देश दिये हैं कि उनके द्वारा की गयी समीक्षा के उपरान्त जो तथ्य सामने आये हैं, उनकी जानकारी पत्र प्रतिनिधियों को करा दी जाय। उन तथ्यों की जानकारी आज यहां मीडिया प्रतिनिधियों को देते हुए मंत्रिमण्डलीय सचिव श्री शशांक शेखर सिंह ने बताया कि विभिन्न इलेक्ट्रानिक न्यूज चैनलों में केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जी जो पढ़कर सुना रहे थे, वह और कुछ न होकर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रेषित की गयी ए0टी0आर0 (एक्शन टेकेन रिपोर्ट) ही थी।
श्री सिंह ने कहा कि केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जहां मनरेगा को लेकर काफी चिन्तित हैं, वहीं एक अन्य प्रकरण पर उनका मंत्रालय मौन है। उन्होंने कहा कि सभी जानते हैं कि सन् 2004 स्वर्ण जयन्ती सुनिश्चित रोजगार योजना (एस0जी0एस0आर0वाई0) के अन्तर्गत जनपद गोण्डा में में खाद्यान्न घोटाला हुआ था। भारत सरकार की यह योजना भी ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत ही संचालित थी। इस घोटाले की जांच राज्य सरकार ने सी0बी0आई0 से कराने का निर्णय लिया तो सी0बी0आई0 ने जांच करने से इन्कार कर दिया। बाद में माननीय उच्च न्यायालय के निर्देश पर सी0बी0आई0 द्वारा इस घोटाले की जांच की जा रही है। लेकिन सी0बी0आई0 की यह जांच बहुत धीमी रफ्तार से चल रही है। इस जांच पर केन्द्र का ग्रामीण विकास मंत्रालय कोई प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त कर रहा है।
श्री सिंह ने बताया कि मनरेगा के क्रियान्वयन में गुणवत्ता सुनिश्चित कराने के लिए राज्य सरकार ने अनेक व्यवस्थाएं लागू कर रखी हैं, जिनके तहत नेशनल लेवल माॅनीटर तथा स्टेट क्वालिटी माॅनिटर भी कार्यरत है। ये माॅनीटर नियमित रूप से मनरेगा के तहत कराये गये कार्यों के साथ-साथ शिकायतों की जांच भी करते हैं। उन्होंने बताया कि ये माॅनीटर जो रिपोर्ट देते हैं, उनकी गम्भीरता से परीक्षण कराने के उपरान्त राज्य सरकार द्वारा प्रभावी कार्रवाई की जाती है, जिसकी जानकारी मीडिया के लोगों को भी है। यह आश्चर्यजनक है कि केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री द्वारा एक स्टेट क्वालिटी माॅनीटर की रिपोर्ट, जिसमें योजना के क्रियान्वयन से जुड़े छोटे-छोटे मामलों का उल्लेख था, को आधार बनाकर माननीया मुख्यमंत्री जी को पत्र लिखा जाना और उसे मीडिया में सार्वजनिक करना यह दर्शाता है कि यह पूरी कार्रवाई आगामी विधान सभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक उद्देश्यों के लिए की गयी है।
मंत्रिमण्डलीय सचिव ने कहा कि इन सारी बातों से यह आभास होता है कि केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जी ने प्रदेश की जनता को गुमराह करने के इरादे से यह सब किया है, क्योंकि सभी जानते हैं कि भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर प्रत्येक राज्य द्वारा मनरेगा के तहत किये गये कार्यों का विवरण उपलब्ध है और इस वेब साइट के अनुसार पिछले तीन वर्षों में मनरेगा के क्रियान्वयन में उत्तर प्रदेश अन्य राज्यों से काफी आगे है। इसके अलावा न्यूनतम मजदूरी तय करने में भी उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है।
श्री सिंह ने कहा कि ऐसे में यह आश्चर्य होना स्वाभाविक ही है कि मनरेगा के क्रियान्वयन में हासिल की गयी इन तमाम उपलब्धियों के बावजूद केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय को अचानक उत्तर प्रदेश में अनियमिततायें क्यों नजर आने लगी हैं। ऐसे में यह भी सवाल उठता है कि यदि ये अनियमिततायें हुईं हैं तो फिर उत्तर प्रदेश ने मनरेगा में ऐसी उपलब्धि कैसे प्राप्त की। संभवतः आगामी विधान सभा आम चुनाव के दृष्टिगत ग्रामीण विकास मंत्रालय को मनरेगा के मामले में अनियमिततायें दिखने लगीं हैं। जाहिर है मनरेगा के सम्बन्ध में बार-बार पत्र लिखकर राजनीति करने का प्रयास किया जा रहा है। यह बात इसलिए भी स्पष्ट हो जाती है कि मंत्री महोदय का पत्र उत्तर प्रदेश सरकार को बाद में प्राप्त होता है, लेकिन मीडिया को इसकी जानकारी पहले हो जाती है।
मंत्रिमण्डलीय सचिव ने कहा कि जहां तक उत्तर प्रदेश में मनरेगा के क्रियान्वयन का प्रश्न है तो यह तथ्य किसी से छिपा नहीं है कि उत्तर प्रदेश देश का सर्वाधिक आबादी वाला राज्य है, जहां लगभग 01 लाख राजस्व गांव व लगभग 52 हजार ग्राम पंचायतें हैं। मनरेगा के तहत प्राप्त धनराशि का लगभग तीन चैथाई धनराशि का खर्च ग्राम पंचायतों द्वारा ही किया जा रहा है। यहां वर्ष 2008 से ही जाॅब कार्ड धारकों के खाते में सीधे मजदूरी भेजी जा रही है, ताकि यह धनराशि सम्बन्धित को ही मिले और मजदूरी के भुगतान की प्रक्रिया पारदर्शी बनी रहे। जहां तक मंत्री महोदय द्वारा मनरेगा की शिकायतों पर कार्रवाई न करने के आरोप की बात है, तो यह पूरी तरह से निराधार एवं गलत है।
श्री सिंह के अनुसार केन्द्र सरकार के नेशनल लेवल माॅनीटर (एन0एल0एम0) की 22 रिपोर्टें प्रदेश शासन स्तर पर लम्बित होने की बात कही गयी है, जबकि इसमें से एक रिपोर्ट राज्य सरकार को अप्राप्त है। इस मामले में यह भी उल्लेखनीय है कि एन0एल0एम0 की 17 रिपोर्ट पर कार्रवाई करने के बाद ए0टी0आर0 केन्द्र सरकार को भेजा जा चुका है। अवशेष चार एन0एल0एम0 रिपोर्ट पर भी सम्बन्धित जनपदों से कृत कार्रवाई की आख्या प्राप्त हो गयी है, जिसका परीक्षण शासन स्तर पर किया जा रहा है। शीघ्र ही इस मामले में भी रिपोर्ट केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय को भेज दी जायेगी। इसी के साथ यह भी बताना आवश्यक है कि राज्य सरकार द्वारा तैनात  स्टेट क्वालिटी माॅनीटर की तारीफ स्वयं केन्द्र सरकार का ग्रामीण विकास मंत्रालय कर चुका है।
मंत्रिमण्डलीय सचिव ने कहा कि केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री ने एक स्टेट क्वालिटी माॅनीटर श्री वी0एस0चैबे के रिपोर्ट को आधार बनाकर पत्र भेजा है। इस मामले में भी राज्य सरकार ने पहले ही निर्णय लेते हुए जनपद बलरामपुर, गोण्डा, महोबा, मिर्जापुर में हुई अनियमितताओं एवं आपराधिक तत्वों की संलिप्तता की जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (ई0ओ0डब्ल्यू0) से कराये जाने के आदेश जारी किये जा चुके हैं और इनकी जांच ई0ओ0डब्ल्यू0 द्वारा प्रारम्भ कर दी गयी है। सुल्तानपुर, मथुरा व चित्रकूट में उत्तर प्रदेश सहकारी निमार्ण एवं विकास लिमिटेड गैर सरकारी संस्था द्वारा कराये गये कार्यों की जांच भी ई0ओ0डब्ल्यू0 से कराये जाने के आदेश दिये गये हैं। साथ ही जनपद कुशीनगर, संतकबीर नगर एवं सोनभद्र से सम्बन्धित मामलों का परीक्षण कराया जा रहा है।
श्री सिंह ने बताया कि प्रदेश सरकार ने मनरेगा के क्रियान्वयन में विभिन्न स्तरों पर बरती गयी अनियमितताओं के 117 मामलों में सम्बन्धित पुलिस थानों में एफ0आई0आर0 दर्ज करायी गयी, 56 मामलों में चार्ज शीट सक्षम न्यायालयों में दाखिल की जा चुकी है। केवल पांच मामलों में शिकायतें सही न पाये जाने के कारण एफ0आर0 लगायी गयी और 55 मामलों में पुलिस अभी विवेचना कर रही है। प्रदेश सरकार केवल एफ0आई0आर0 दर्ज कराकर ही मामलों को नहीं छोड़ रही है, बल्कि प्रथम श्रेणी के 27 अधिकारियों, जिसमें मुख्य विकास अधिकारी, परियोजना निदेशक, जिला विकास अधिकारी, अधीक्षण अभियन्ता व अधिशासी अभियन्ता शामिल हैं, द्वितीय श्रेणी के 38 अधिकारियों, जिसमें खण्ड विकास अधिकारी व सहायक अभियन्ता आदि शामिल हैं, तृतीय श्रेणी के 67 कर्मचारियों, जिनमें अवर अभियन्ता, सहायक विकास अधिकारी आदि शामिल हैं, 236 फील्ड स्तरीय कर्मचारियों, जिसमें ग्राम पंचायत अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी व लिपिक स्तर के कर्मचारी शामिल हैं, के खिलाफ कार्रवाई की गयी है। इसके अलावा 28 भूतपूर्व व वर्तमान ग्राम प्रधानों के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की गयी तथा एक करोड़ पचासी लाख रूपये की धनराशि की वसूली के आदेश भी जारी किये गये हैं।
मंत्रिमण्डलीय सचिव ने कहा कि केन्द्रीय मंत्री द्वारा अपने पत्र में जनपद सोनभद्र में योजना के क्रियान्वयन में की गयी अनियमितताओं में राज्य सरकार द्वारा कोई कार्रवाई न करने का उल्लेख किया गया है, जो सही नहीं है। वास्तव में जनपद सोनभद्र के 12 खण्ड विकास अधिकारियों, 01 अधीक्षण अभियन्ता, 05 अधिशासी अभियन्ता, 01 सहायक अभियन्ता, 15 अवर अभियन्ता, 05 सहायक विकास अधिकारी, 25 ग्राम पंचायत अधिकारी, 13 ग्राम विकास अधिकारी, 20 तकनीकी सहायक व 28 ग्राम प्रधानों के खिलाफ कार्रवाई की गयी। इसके साथ ही 10 मामलों में एफ0आई0आर0 दर्ज करायी गयी। इस तरह जो भी आपराधिक अभियोजन व विभागीय कार्रवाई तथा वसूली आदि की कार्रवाई की गयी है, वह नेशनल लेवल माॅनीटर व स्टेट क्वालिटी माॅनीटर की रिपोर्टों पर विचार करने के बाद ही की गयी है। इसलिए यह कहना पूरी तरह तथ्यहीन एवं भ्रामक है कि राज्य सरकार द्वारा एन0एल0एम0 एवं स्टेट क्वालिटी माॅनीटर की जांच आख्याओं पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी।
श्री सिंह ने बताया कि इसके विपरीत, राज्य सरकार द्वारा केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय से पूर्व में जिन तीन महत्वपूर्ण मामलों में नीतिगत निर्णय लेने का अनुरोध किया गया था, उन पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। लोकपाल की नियुक्ति के बारे में अपनायी जाने वाली प्रक्रिया को लेकर केन्द्रीय ग्रामीण मंत्रालय ने महत्वपूर्ण बिन्दुओं के बारे में स्थिति को स्पष्ट नहीं किया और स्थानीय स्तर पर श्रमिकों को न्यूनतम समय में मजदूरी का धन उपलब्ध कराने के लिए कोई नीतिगत निर्णय भी नहीं लिया गया। इसके अलावा मनरेगा के कार्यों में इस्तेमाल होने वाली सामग्री की क्रय प्रक्रिया से सम्बन्धित दिशा-निर्देश भी जारी नहीं किये गये। इसे ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय से मनरेगा के क्रियान्वयन में पारदर्शिता व गुणात्मक सुधार लाने के लिए इस दिशा में अविलम्ब कार्रवाई करने का पुनः अनुरोध किया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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