जनगणना की रिपोर्ट से पता चलता की है कि जनपद की आबादी काफी बढ़ चुकी है। दो दर्जन ब्लाकों की रिपोर्ट यह कह रही है कि ग्रामीणों के आंगन में बिटिया की किलकारी नहीं गूंज रही है यह हकीकत सरकारी सर्वे के सामने आने पर सरकारी अधिकारी हैरान और परेषान है। जानकारी के मुताबिक बाल विकास एवं पुष्टाहार योजना के अनुसार गरीब परिवार मंे जन्मी बिटिया के लिए बीस हजार की एफडी दी जाती है। जो महामाया गरीब बालिका आर्षीवाद योजना के अनुसार की जाती है। यह काम आंगनबाड़ी की मद्द से बाल विकास पुष्टाहार आर्षीवाद योजना के तहत मिलती है। जो बालिका के 18 वर्ष पूरा होने पर एक लाख रूपए में दी जाती है। जो बिटिया की पढ़ाई और सारा खर्चा मां बाप उम्र पूरी होने पर उठाते है। फिर भी पात्रों को उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। जब रिकाॅर्ड ख्ंागाला गया तो सात ब्लाॅकों के बाइस गांवों में यह लाभ किसी को नहीं मिला। लोग हैरान है परेषान है डीपीओ ओमप्रकाष चैरसिया इस मामले में विभाग को जिम्मेदार बता रहे है। परियोजना के जिम्मेदारों से जबाव तलब करके सीडीपीओ से स्पष्टीकरण दिए जा चुके है और लाभार्थी को लाभ देने का फरमान भी वह जारी कर रहे है। इन गांवों मंे शाहाबाद के गौरिया, बारीपुर, नोरेग्राम, मीरपुर गन्नू, सराॅय खास, मंगलीपुर भरखनी के अहमदपुर, मैकपुर, बिनयकामिनी, दौलतपुर, हरियावां के कलवरी ग्रांट, हिल्लापुर, खजुआ, सकूराबाद, हल्दौरा आदि ग्रामों की हकीकत है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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