स्थानीय निकायों में महापौर एवं नगर पालिका अध्यक्ष के पदों पर प्रशासक नियुक्त किये जाने के उ0प्र0 सरकार के फैसले को मा0 उच्च न्यायालय द्वारा खारिज कर दिये जाने के बाद एक बार फिर साबित हो गया कि प्रदेश सरकार की मंशा इन पदों पर सीधे कब्जा जमाने और इन लोकतांत्रिक संस्थाओं को संविधान के 73वें व 74वें संशोधन के जरिए मिले अधिकारों पर खुद कुंडली मारकर बैठ जाना है।
उ0प्र0 कंाग्रेस कमेटी के मुख्य प्रवक्ता सुबोध श्रीवास्तव ने आज यहां जारी बयान में कहा कि प्रदेश की मुख्यमंत्री सुश्री मायावती प्रदेश में अपनी करारी हार और पैर न खड़ा कर पाने की शंका के चलते पहले तो स्थानीय निकाय चुनाव टालना चाहती थी। इसके बाद महापौर/नगर पालिका अध्यक्ष के निर्वाचन को अप्रत्यक्ष एवं सभासदों/पार्षदों के निर्वाचन राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्हों पर न कराये जाने का षडयंत्र रचा, जिसके विरोध में कांग्रेस पार्टी ने सड़क पर उतरकर संघर्ष किया। बहुजन समाज पार्टी अब पुनः इन पदों पर प्रशासक नियुक्त करके अपना कब्जा जमाना चाहती है। किन्तु आज मा0 उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद यह तथ्य साबित हो गया कि सुश्री मायावती लगातार षडयंत्र करके इन निकायों पर कब्जा जमाकर लोकतंत्र का हनन करना चाहती हैं।
मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि उ0प्र0 सरकार को प्रदेश की जनता से इस गैर कानूनी और अलोकतांत्रिक आदेशों के लिए मा0 उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद क्षमा याचना करनी चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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