ऽ नेहरू की कर्मभूमि से राहुल का यह कहना है कि उ0प्र0 के लोग बाहर न जाये। यह देश के प्रान्त और भाषा के आधार पर विभाजन की मानसिकता का द्योतक है। जब उ0प्र0 के लोगों पर हमले हो रहे थे और महाराष्ट्र की कांग्रेस सरकार उसको रोकने मेें नाकाम थी। तब राहुल गांधी कहां थे और उनको गुस्सा क्यों नहीं आया ?
ऽ केन्द्र की सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों में, बसपा सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों में, सपा पर भी आरोप रहे। सपा, बसपा के प्रमुखों पर आय से अधिक सम्पत्ति की जांच जारी है। केवल भाजपा ही भ्रष्टाचार के विरूद्ध लड़ाई लड़ रही है। भाजपा ने भ्रष्टाचार को मुद्दा पिछले लोकसभा चुनाव में ही बनाया था।
ऽ कांग्रेस, बसपा नूरा-कुश्ती का खेल छोड़कर तथ्यात्मक स्थिति का सामना करे। केन्द्र और प्रदेश में बैठी इनकी सरकारें जनसमस्याओं के लिए जवाबदेह हैं। बयानबाजी के बजाय अपनी जवाबदेही सुनिश्चित करें और यह बतायें कि 20 करोड़ की आबादी वाले प्रदेश में लगभग 12 करोड़ लोग गरीबी की रेखा के नीचे कैसे पहुंच गये।
ऽ बसपा, कांग्रेस दोनो रणनीति के तहत एक दूसरे को ताकत दे रहे हैं। कांग्रेस चाहती है कि जिस तरह से केन्द्र की सरकार को बसपा ने समर्थन दिया है उसी तरह वह उ0प्र0 में बसपा का भी समर्थन करे।
ऽ एक छोटे से कालखण्ड को छोड़कर केन्द्र और प्रदेश की सत्ता में कांगे्रस परोक्ष अथवा अपरोक्षरूप से बनी हुई है। उ0प्र0 की बदहाल स्थिति के लिए जिम्मेदारी भी उसकी ही बनती है। कांग्रेस यह बताये कि उ0प्र0 के बेरोजगार नौजवानों के रोजगार के लिए विगत सात वर्षों में केन्द्र सरकार ने कौन सा नया उद्योग लगाया और कौन सा नया पैकेज दिया। मूलभूत सुविधाओं के विकास के लिए कौन से कदम उठाये।
ऽ विकास की दौड़ में लगातार पिछड़ रहे उ0प्र0 की तस्वीर अत्यन्त ही भयावह है। उ0प्र0 पांच प्रमुख गरीब प्रान्तों में से एक है। जी0डी0पी0 के मामले 27 राज्यों में 26वां स्थान है। देश के सर्वश्रेष्ठ अस्पातालों में से एक भी उ0प्र0 का नहीं है तथा किसी भी सर्वश्रेष्ठ निजी बैंक का मुख्यालय उ0प्र0 में नहीं है।GDP Per Capita Per Year के मामले में उन्तीस राज्यों में 28वां स्थान है।
ऽ चाल-चरित्र के मामले में कांग्रेस और बसपा में कोई फर्क नहीं है। जहां दोनों दलों में लोकतंत्र नहीं है वहीं दोनों के मंत्री भ्रष्टाचार और बलात्कार के मामले में हटाये जा रहे हैं। उ0प्र0 के मंत्री आय से अधिक सम्पत्ति के मामले मेें मुख्यमंत्री का अनुशरण करने की होड़ में लगे हुए हैं और आय से अधिक मामले में लोकायुक्त की जांच के दायरे में आ रहे हैं। यह दर्शाता है कि पिछले साढे़ चार वर्षों में अगर विकास हुआ है तो केवल बसपा के मंत्रियों और नेताओं का।
ऽ चुनाव से डरी सहमी बसपा सरकार में जनता का सामना करने का नैतिक साहस नहीं रह गया है। सरकार ने नगर निकाय चुनाव जानबूझ कर टालने की साजिस की इसलिए लोक-लुभावन घोषणाएं एवं जातीय सम्मेलन करके अपने पक्ष में वातावरण बनाना चाहती हैं। जबकि साढे़ चार वर्षों तक सत्ता में रहते हुए उसने इनके हित में कौन से कल्याणकारी कदम उठाये जनता यह जानना चाहती है।
ऽ पुलिस उत्पीड़न की घटनाओं में लगातार वृद्धि हुई है। उ0प्र0 पुलिस उत्पीड़न के लगभग 35ः मामले बढ़े हैं। पुलिस एक तरफ सिटीजन चार्टर लागू करती है दूसरी तरफ लाश लेकर भागती है। उ0प्र0 में 30ः शिकायतें पुलिस द्वारा मनावधिकार के उलंघन के खिलाफ दर्ज हुए हैं।
ऽ सपा, बसपा कांग्रेस का यह प्रेम समझ से परे है कि एक-दूसरे से लड़ते है और समर्थन भी करते हैंै। कल सपा कार्यकर्ताओं को कांग्रेसियों ने जमकर पीटा फिर भी सपा का कांग्रेस को समर्थन जारी है। बसपा को राहुल के उ0प्र0 के दौरे से नाराजगी है फिर भी केन्द्र में समर्थन जारी है। इनमें इतना नैतिक साहस नही है कि समर्थन वापस ले सकंे। क्या राहुल गांधी उ0प्र0 के लोगों को बसपा के कुशासन से निजात दिलाने के लिए बिना शर्त दिया समर्थन वापस लेंगे अथवा बसपा, कांग्रेस को केन्द्र में दिये गये समर्थन की चिट्ठी वापस लेगी?
ऽ भारतीय जनता पार्टी ही अकेली पार्टी है जो जनता की लड़ाई सड़क से लेकर सदन तक लड़ रही है और जनता के समर्थन से बदलाव करके ही दम लेगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com