मान्यवर कांशीराम व मुख्य मंत्री मायावाती के भविष्य का सबसे बडा सपना था कि शहर के अति गरीब असहाय,निर्वल वर्ग, बेसहारा आदि जैसे किस्म के लोग यदि रहने के लिये एक आशियाना मिल जाय तो सायद एक प्रकार की बेरोजगारी से इन्हे कुछ और करने का सहारा दे सकता है। जिसका नतीजा यह है कि सरहंगो माफियाओं बडे लेागो के गिरफत मंे यह योजना दब रक रह गयी जहां न कोई सुरक्षा के पुख्ता इन्तजाम, न पुलिस चैकी जिसके कारण आये दिन अकारण हत्या,बलात्कार लूट छिनैती जैसी घिनौनी हरकत देखने को मिल रहा हे। कारण कुछ भी हो मगर इस आवासीय कालोनी के महज चन्द दिनो में हुए अपराध को देखकर सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि मुख्य मंत्री के नारों में आवास पाने वाले दलितों शोषितों अति निर्वल पर पुलिस अपराध छिपाने के बजाय उन्हे न्याय दिला पाने विल्कुल मन्द हेा चुकी है। बताते चले कि यह कांशीराम शहरी गरीब आवास कालोनी गभडिया पुलिस चैकी मंे 2011 माहं के शुरू से लगभग 11 अपराध संगीन हो चुके है ज्याद से ज्याद मुकदमो में एफ0आर0 लगाकर पुलिस चैकी इन्चार्ज गभडिया ने मामले को रफा दफा कर दिया गया है। जैसे कि आसमा पत्नी हमीदुल्ला ने 13 मई केा 498,506 में दर्ज कराया था, पर गिरफतारी की कार्यवाही न होने से विपक्षी ने पुलिस के अधिकारी से मिलजुल कर फाइल लगवा लिया। इसी प्रकार डूडा के अधिकारी इन्द्र कुमार को ब्लाक नं014 के कमरा नं0164 में ही दौडाकर गोली से छलनी कर दिया। गम्भीर अवस्था में उसे जिलाचिकित्सालय में भर्ती करा 306 व 324 मेें मामले को दर्ज कर समय के साथ उस पर भी फाइनल लगाने वाले पुलिस अधिकारी की कारगुजारी का पिटारा क्या यही सर्वजन हिताय का नारा देने वाली मायासरकार की पुलिस न्याय दिलाने में आम जनता की हिमायती दिखाने का कैसा खेल है। पुलिस अधिकारी व डीजीपी समेत मायावती की मंशा पर निर्वलो की गुहार अनसुनी साबित हो रही है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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