भारतीय जनता पार्टी ने बसपा प्रमुख व मुख्यमंत्री सुश्री मायावती द्वारा आयोजित कथित ब्राह्मण भाईचारा सम्मेलन को सरकारी नौटंकी की संज्ञा देते हुए मुख्यमंत्री के राजनैतिक बयान को हास्यास्पद बताया है। प्रदेश प्रवक्ता सदस्य विधान परिषद हृदयनारायण दीक्षित ने कहा कि मुख्यमंत्री ने भाजपा व कांग्रेस के संभावित मुख्यमंत्रियों में श्री राजनाथ सिंह व दिग्विजय सिंह के नाम लिये हैं और कहा है कि उनके खुलासे के बाद वे ब्राह्मण चेहरे आगे ला सकते हैं। मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि ऐसे बड़े ब्राह्मण प्रेम के बावजूद उन्होंने अपनी सरकार में किसी सवर्ण को मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री या गृहमंत्री क्यों नहीं बनाया। बसपा प्रमुख ने अपने भावी उत्तराधिकारी की जाति बहुत पहले ही घोषित कर दी थी। मुख्यमंत्री को सुश्री मायावती के अनुसार बसपा का भावी उत्तराधिकारी भी सवर्ण नहीं होगा।
श्री दीक्षित ने कहा कि बसपा सरकार के राज में दलित एक्ट के हजारों फर्जी मुकदमें ब्राह्मणों, क्षत्रियों, वैश्यों व अन्य पिछड़ो पर दर्ज हुए हैं। सरकार ने दलित एक्ट उत्पीड़क औजार की तरह इस्तेमाल किया है। सरकार ने ग्राम विकास में भी जातीयता चलाई है। सरकार ने गांवों की पहचान भी जाति के आधार पर की है। सवर्ण बहुल गांवों को सामान्य विकास कार्यक्रमों से भी वंचित किया गया। उन्हें बिजली जैसी सुविधाएं भी नहीं नसीब हुई।
श्री दीक्षित ने कहा कि सरकार ने नौकरशाही का जातिकरण किया है। सरकार की मनपसंद जाति का न होने और खासतौर से सवर्ण होने पर सक्षम अधिकारियों को दण्डित किया गया है। आर्थिक आधार पर सवर्णो को भी आरक्षण देने के मुख्यमंत्री के बयान को चुनावती शिगूफा बताते हुए प्रवक्ता ने मुख्यमंत्री से पूंछा कि साढ़े चार बरस की सरकार में स्वयं मुख्यमंत्री ने गरीब सवर्णो के लिए क्या योजनाएं चलाई हैं?
श्री दीक्षित ने कहा कि भाजपा जातीय आधार पर नहीं सोंचती लेकिन जातिवादी ढंग से सोंचने वाली मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि साढ़े चार बरस के कार्यकाल में भाजपा सहित सभी दलों के कितने विधायकों व सांसदो से वे मिली हैं, उनमें सवर्ण कितने थे? सच बात तो यह है कि वे किसी से नहीं मिली। मुख्यमंत्री ने अपने महापुरूष बनाए फिर स्व्यं को ही महापुरूष की तरह पेश किया। बसपा ने तिलक, तराजू और तलवार के प्रतीकों पर जूता मारने के नारे लगाए थे। मानसिकता वही है, सम्मेलन करने और फर्जी घोषणाएं करने से कुछ नहीं होता। सरकार अलोकप्रिय हो गयी है इसीलिए इस तरह के सम्मेलन हो रहे हैं लेकिन ये पब्लिक है, सब जानती है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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