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माननीया मुख्यमंत्री जी ने प्रदेश के बच्चों के नाम संदेश में शिक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया

Posted on 11 November 2011 by admin

प्रगतिशील विचार एवं शिक्षा पाने का संकल्प अपने स्व0 दादाजी से प्राप्त किया - माननीया मुख्यमंत्री जी

उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री माननीया सुश्री मायावती जी ने शिक्षा दिवस की पूर्व संध्या पर प्रदेश के बच्चों के नाम भेजे संदेश में कहा है ‘‘मुझे खुशी है कि आज मैं अपने राज्य के बच्चों से सीधे बात कर रही हॅू। इस पत्र के माध्यम से मैैं आप सब से शिक्षा की आवश्यकता एवं महत्व के बारे में चर्चा करना चाहती हँू।‘‘
माननीया मुख्यमंत्री जी ने अपने पत्र में लिखा है ‘‘मैं आप सभी के सामने भारतरत्न डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर को उदाहरण के रूप में रखना चाह रही हँू। भारत के संविधान के निर्माता डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर ने देश के संविधान में 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान किया था। डाॅ0 अम्बेडकर ने अपने छात्र जीवन में गैर बराबरी की दूषित परम्पराओं एवं समाज में प्रचलित कुरीतियों का बहादुरी से सामना करते हुए अपनी बेमिसाल लगन और दृढ़ संकल्प शक्ति से उच्च शिक्षा एवं प्रतिष्ठा अर्जित की। अपनी इसी लगन और संकल्प के कारण वे देश के महान व्यक्ति बने।‘‘
माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा है ‘‘प्यारे बच्चों, मुझे भी एक साधारण सरकारी स्कूल में पढ़ने का मौका मिला। यह मेरे दादाजी स्व0 श्री मंगला उर्फ मंगल सेन जी के प्रगतिशील विचार एवं संकल्प थे कि वे अपने पोतों की तरह अपनी पोतियों को भी जरूर पढ़ा-लिखा कर होनहार बनायेंगे। मैं अपनी मेहनत व लगन के साथ-साथ अच्छा काम करके सफलता प्राप्त करने के अपने स्वभाव के कारण बचपन से ही लगातार आगे बढ़ती रही और अपने भाइयों के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन करती रही। अन्ततः दिल्ली विश्वविद्यालय से बी0ए0 व बी0एड0 तथा एल0एल0बी0 की उच्च डिग्री हासिल करने के बाद मैंने सरकारी स्कूल में अध्यापिका की नौकरी की। आगे चलकर सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में मैंने जीवन प्रारम्भ किया और आज आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े प्रदेश, उत्तर प्रदेश की मैं चैथी बार मुख्यमंत्री हँू। मेरा मानना है कि आप सब भी शिक्षा के माध्यम से महान बन सकते हैं और देश, प्रदेश और समाज की सेवा कर सकते हैं।‘‘
माननीया मुख्यमंत्री जी के मुताबिक डाॅ0 अम्बेडकर के द्वारा दी गयी संवैधानिक व्यवस्था का ही परिणाम है कि आज प्रत्येक बच्चे को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार मिला है और हमनेे अपने प्रदेश में भी शिक्षा का हक दिलाने का संकल्प लिया है। इस हक को दिलाने के लिए हमारे प्रदेश में मुफ्त शिक्षा, मुफ्त पुस्तकें, दोपहर का भोजन, लक्ष्य समूह के बच्चों को यूनीफार्म आदि की व्यवस्था की गयी है। हमने ’शिक्षा के हक’ को दिलाने के लिए निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार नियमावली भी बनायी है।
पत्र के अन्त में उन्होंने लिखा है ‘‘प्यारे बच्चों ! आप सब जानते हैं कि आज से कुछ समय पहले यह सब सुविधायें हर जगह नहीं थी। हमारी यह कोशिश रही है कि प्रदेश के बच्चे, चाहे वे किसी धर्म या जाति के हों, चाहे अमीर या गरीब हों, बिना किसी बाधा के अपनी पढ़ाई-लिखाई पूरी कर सकें। मैं आप सब से उम्मीद रखती हूं कि आप सब विद्यालय में प्रतिदिन उपस्थित होकर एक भयमुक्त वातावरण में पढ़े, अपने सवालों को शिक्षकों के सामने रखें और पूरे मनोयोग से शिक्षा ग्रहण करें, ताकि आप अपने अन्दर निहित क्षमताओं को पूरी तरह से विकसित कर सकें। प्रदेश के समस्त नौनिहालों के लिए मेरा बहुत-बहुत प्यार और आशीर्वाद।‘‘

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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