बिजली विभाग में बिलों के मनमानी के अलावा और र्क रास्तो का प्रयोग करके राजस्व का चूना लगाकर सरकार को चपत लगा रहे है। निजी कर्मी विभाग द्धारा पावरलोड बढाकर बिजली का बिल जारी कर रहे है। ऐसे मे विजली विभाग को मिलने वाला राजस्व पर ग्रहण लग चुका है वहीं बिजली उपभोक्ता को ज्यादा लोड का बिल भी अदा करना पड रहा है इस प्रकार विभाग और उपभोक्ता दोनो निजी बिजली कर्मियों की मनमानी का शिकार बन रहे है। बिजली विभाग में बिलिंग ब्यवस्था निजी हाॅथों में होने के कारण उपभोक्ता खून के आॅंसू पीकर चुपचाप बैठा है प्रारम्भ से ही यह ब्यवस्था विवादित रही मनमानी व गड़बड़ी का शिकार बिजली विभाग और उपभोक्ता दोनों है। विभागीय स्तर पर बिजली लोड बनाने की एक निष्चित प्रक्रिया है उसको अपनाएं बगैर निजी कर्मी बिजली लोड बनाने की प्रक्रिया को कैसे अपनाएं बगैर बढ़ा रहे है। यह जांच का विषय है। उदाहरण के लिए सुभाष नगर के प्यारेलाल कन्हई पुरवा के मोहन सिंह ने दो किलो के बिजली कनेक्षन ले रखे थे। फिर उनका कनेक्षन 3 किलो वाॅट का कैसे हो गया जब कि अभिलेखों मंें उनका लोड बढ़ा ही नहीं शो हो रहा है। लोड बढ़वाने की सिक्योटिरी फीस 350 रूपए है जबकि सिस्टम लोडिंग दो सौ रूपए प्रोसेसिंग फीस घरेलू के 100 रूपए और वाणिज्यिक के लिए 200 रूपए की है। पहले यह राषि घटाई भी गई थी। इस संबंध में अभियंता एमके अहिरवार का यह कहना समझ में नहीं आता है। कि षिकायत करने पर जांच की जाएगी। तो पहले से ही ऐसी नौबत क्यों आ रही हैै। जिससे आम आदमी परेषान होता है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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