ऽ श्री कलराज मिश्र आज जनस्वाभिमान यात्रा के दूसरे चरण के प्रारम्भ के अवसर पर देर रात हमीरपुर पहुँच गये थे। प्रातः 10ः30 बजे हमीरपुर में उनकी पत्रकार वार्ता हुई। पत्रकार वार्ता के मुख्य बिन्दु आपकी सेवा में प्रकाशनार्थ प्रेषित है।
ऽ बुन्देलखण्ड का गौरवशाली इतिहास सदियों पुराना है। वीरों की जननी बुन्देलखण्ड की धरती से अन्याय अत्याचार एवं जुल्म के खिलाफ हमेशा से ही आवाज बुलन्द होती रही है। आज फिर बुन्देलखण्ड के लोग संकट में हैं।
ऽ बुन्देलखण्ड की संपदा को सत्तारूढ़ दल के नेता, मंत्री, विधायक माया टैक्स के नाम पर अवैध वसूली कर लूट रहे हंै। बुन्देलखण्ड के पिछड़ी व गरीब जनता के विश्वास के नाम पर सत्ता में पहुँचे सत्तारूढ़ दल के नेताओं ने बुन्देलखंड का विकास तो नहीं किया बल्कि उनका शोषण जरूर किया। गठन के साथ ही बुन्देलखण्ड पिछड़ता गया वोट बैंक की राजनीति में केन्द्र व राज्य सरकार वाकयुद्ध करती रही। बुन्देलखड का गरीब किसान भूख व कर्ज से आत्महत्याएं करता रहा।
ऽ बुन्देलखंड के पैकेज की धनराशि पैकेज की घोषणा और पैकेज की मांग के बीच पिस रहा किसान आत्महत्या को मजबूर है। प्रधानमंत्री की यात्रा के समय पेयजल के लिए 200 करोड़ रूपये दिये गये उसकी वर्तमान स्थिति क्या है? दोनों सरकारों को स्पष्टीकरण देना चाहिए? नहरों के पुर्नजीवन के लिए निधार्रित 125 करोड़ की योजना को खर्च करने के लिए अभी तक सरकार ने कोई प्रस्ताव ही नहीं दिया। जल स्त्रोतों के पुर्नउद्धार के लिए निधार्रित 80 करोड़ रूपये योजना के अभाव में शेष पड़े़ हैं। यह इस बात का द्योतक है कि आम जन की समस्याओं के बारे में कितनी गम्भीर हैं सरकारें, पेयजल की केन-बेतवा नदी लिंक प्रोजेक्ट जो लगभग 9000 करोड़ का था जिसको केन्द्र और प्रदेश सरकारों ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
ऽ बुन्देलखण्ड पैकेज की धनराशि का खर्च न होना आरोप-प्रत्यारोप के बीच
बुन्देलखण्ड पर केवल राजनीति हो रही है। आंकड़े बताते हैं कि 7266 करोड़ के अतिरिक्त 200 करोड़ देने का ऐलान किया गया जबकि पैकेज के तहत 1695.76 करोड़ ही उ0प्र0 को अतिरिक्त केन्द्रीय सहायता के रूप में आंवटित हुए। बाकी पैसा अन्य केन्द्रीय योजनाओं में पहले से ही मिल रहा था। उसको भी पैकेज में दिखाना यह दर्शाता है कि इनकी नीयत में खोट थी। सरकारें कितनी गम्भीर हैं यह इसी से साबित होता है कि 19 नवम्बर 2009 को मंजूर पैकेज की धनराशि जुलाई 2010 के बाद ही अवमुक्त हो पायी।
ऽ भारतीय जनता पार्टी ने बुन्देलखण्ड का समग्र विकास हो इसकी चिन्ता करते हुए बुन्देलखण्ड विकास निधि और पूर्वांचल विकास निधि की स्थापना अपने शासन काल में की थी।
ऽ बुन्देलखण्ड में रहने वाले सत्तारूढ़ दल के नेताओं ने कानून की धज्जियाँ उड़ाईं। सत्ता की मदहोशी में बलात्कार किये, हत्याएं की और अवैध रूप से धन वसूली कर सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों-व्यापारियों का शोषण किया।
ऽ सरकार के मंत्री हरिओम उपाध्याय के ऊपर बिजली विभाग के अभियंता को लेकर आरोप लगे, मंत्री रतन लाल अहिरवार लोकायुक्त जांच के दायरे में हंै, मंत्री पद पर रहते हुए बादशाह सिंह जमीनों के कब्जे को लेकर आरोप के जद में आये वहीं एनएचआरएम घोटाले और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की हत्याओं के आरोपों की जद में आये मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा को अपनी कुर्सी गवानी पड़ी।
ऽ सत्तारूढ़ दल के कद्दावर मंत्री नसीमुद्दीन व उनके परिजनों पर आय से अधिक सम्पति के आरोप हैं। सल्तनत लगातार बढ़ रही है। आलम यह है कि बुन्देलखण्ड में पीडि़त कमला कुशवाहा का कलमबंद बयान न्यायालय में हो चुका है पर मुख्यमंत्री खुद न्यायालय की भ्ूामिका में आकर मंत्री को क्लीन चिट दे रही हंै। एक अपराध में पुरूषोत्तम द्विवेदी पर कानूनी कार्यवाही होती है और उसी तरह के अपराध के लिए आरोपी मंत्री दददू प्रसाद के पक्ष में खड़ी है। मंत्री दद्दू प्रसाद को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त किया जाये तथा पूरे प्रकरण की सीबीआई जांच कराई जाये।
ऽ उत्तर प्रदेश में कार्यपालिका अवसाद से ग्रस्त है। जिस शासन में यह अवसाद से ग्रस्त होता है उसका निर्णय जनता खुद ही कर देती है और अब समय आ गया है।
ऽ स्थिति यह है कि शासन के वरिष्ठ अधिकारी आत्महत्या को मजबूर हो रहे हैं। जो लोग मुँह खोल रहे हैं उन्हें सरकार पागल करार देने पर तुली है। यदि डीआईजी डी.डी. मिश्र मानसिक रूप से बीमार हो भी गये हंै तो उन परिस्थितियों की जांच होनी चाहिए जिनमें एक अधिकारी अपना मानसिक सन्तुलन किन परिस्थितियों में खो दे रहा है।
ऽ बुआई का सीजन प्रारम्भ है डीएपी को लेकर संकट है गेहंू की बुआई के लिए 12.35 लाख मीटिक टन डीएपी व एनकेपी चाहिए स्थिति यह है कि मात्र 25-30 प्रतिशत खाद बाजार में आ पायी है। इसपर भी राजनीति हो रही है। केन्द्र कहता है कि हमने खाद भेजी है, राज्य सरकार कहती है मिली नहीं। पिट किसान रहा है।
ऽ गन्ने का मूल्य 300 रूपये प्रति कुंतल किया जाये। किसानों की लागत मूल्य में 3 गुना वृद्धि हुई इसलिए गन्ने की जो कीमत बढ़ाई गई वो नाकाफी है। मुख्यमंत्री का गन्ना किसानों के भुगतान का दावा खोखला है। आज भी पेराई सत्र 2007 का पैसा कई जगहंांे पर किसानों का बाकी है। भारतीय जनता पार्टी गन्ना किसानों के बकाये पर 15 प्रतिशत की ब्याज दर से भुगतान किया जाना सुनिश्चित करने की मांग करती है।
ऽ एक प्रश्न के उत्तर में श्री मिश्र ने उत्तर प्रदेश के विभाजन पर कहा कि भाजपा सैद्धान्तिक रूप से छोटे-छोटे राज्यों की पक्षधर है पर सर्वप्रथम राज्य पुर्नगठन आयोग की स्थापना होनी चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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