Û मुख्यमंत्री द्वारा घोषित गन्ने का राज्य परामर्शी मूल्य न तो उचित है और नहीं लाभकारी है। यह गन्ना किसानों को लूट कर मिल मालिको का पेट भरने और अपना मोटा कमीशन वसूलने का बसपाई तरीका है। इस सरकार में किसान पहले से परेशान है, उसको यह सरकार और ज्यादा तबाह करने पर तुली है।
Û राज्य सरकार ने पेराई सत्र 2011-12 के लिए गन्ने का समर्थन मूल्य 240 रूपए प्रति कुंतल घोषित किया है। मुख्यमंत्री अपने को किसानों का हमदर्द बताने का नाटक कर रही है।
Û इधर डीजल, पानी, बिजली, खाद सभी के दामों में भारी वृद्धि हुई है। मिलों पर सैकड़ों करोड़ रूपए बकाया हैं। घोषित मूल्य से तो लागत भी नहीं निकलेगी। इसलिए समाजवादी पार्टी की मांग है कि राज्य सरकार गन्ना किसानों को कम से कम 350 रूपए कुंतल के दाम दे।
Û समाजवादी पार्टी सरकार में 24 नई चीनी मिलें लगवाई गई थी। दो दर्जन से ज्यादा चीनी मिले बसपा सरकार ने बेच दी है। समाजवादी पार्टी सरकार में गन्ना बुबाई का रकबा बढ़ा था, रिकार्ड चीनी उत्पादन हुआ था, बसपा सरकार में हर चीज में गिरावट आई है। दरअसल मुख्यंमंत्री मिल मालिकों के इशारे पर चलती है और उनसे मोटा कमीशन वसूलती है।
Û समाजवादी पार्टी की मांग है कि सरकार गेहूॅ का समर्थन मूल्य 1800 रूपए प्रति कुतल, धान का समर्थन मूल्य 1600 रूपए कुंतल तथा आलू का समर्थन मूल्य 600 रूपए कुंतल तय करें। इससे कम समर्थन मूल्य दिया जाना किसानों के साथ धोखा करना है।
Û उत्तर प्रदेश में रबी की बुबाई शुरू हो गई है। किसानों को खाद के गम्भीर संकट का सामना करना पड़ रहा है। फास्फेटिक खाद अनुपलब्ध है या ब्लैक से बिक रही है। सरकार ने गत 6 महीनों में डीएपी खाद के दाम 502 रूपए से बढ़ाकर 910 रूपए प्रति बोरी, यूरिया के दाम 278Û50 रूपए बोरी से बढ़ाकर 296 रूपए और एनपी के दाम 435 रूपए से बढ़ाकर 703 से बोरी कर दिए है।
Û इस समय बड़े किसान एनपीके की खाद 450 रू0 से 500 रूपए एवं डीएपी 1200से 1500 रूपए ब्लैक में खरीद रहे है। ज्यादातर सहकारी समितियों में ताले लटक रहे है। किसान मारा-मारा फिर रहा है।
Û राइस मिलर्स से लेवी नहीं उठाई जा रही है। एक लाट लेवी के उठाने पर राइस मिल मालिकों से लगभग 10 से 15 हजार रूपये कमीशन लिया जा रहा है। उन्हें समय से लेवी का भुगतान नहीं हो रहा है जिससे वे किसानों को समय से धान का मूल्य नहीं दे पा रहे है।
Û प्रदेश में सत्तारूढ़ बसपा सरकार की नीतियां किसानों को तबाह करने वाली है। किसानों को उपज का उचित एवं लाभकारी मूल्य नहीं मिल रहा है। उसके उत्पादन का मूल्य बाजार, मिल मालिकों तथा सरकार की साठगांठ से तय होता है जबकि मिल उत्पादित वस्तुओं के दाम स्वयं मिल मालिक तय करते है।
Û केन्द्र की कांग्रेस सरकार ने डीजल के दाम बढ़ाए, खाद के दाम बढ़ाए तो उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने टैक्सों को कम न कर मंहगाई को और बढ़ा दिया है। कांग्रेस बसपा की इस मिलीभगत से सभी त्रस्त है।
Û किसान को रबी की बुवाई के वक्त तमाम परेशानियां उठानी पड़ रही है। नहरों में पानी नहीं है। सिंचाई की गम्भीर समस्या है। बिजली के आने जाने का समय नहीं है, ट्रांसफार्मरों की बुरी हालत है। टयूबवेल नहीं चल पा रहे है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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