- सतर्क चिकित्सा के दावों की पोल खोल रहे आए दिन होने वाले प्रसव
- चिकित्सकों की जिले में तैनाती होने के बावजूद नहीं रूक रहे तैनाती स्थल पर
- निजी अस्पताल, नर्सिग होम, झोलाछाप डाक्टरों की हो रही पौ बारह, मरीज हताहत
- 7 सीएचसी व 12 पीएचसी होने के बाद भी नहीं मिल रहा उचित इलाज
स्वास्थ्य महकमें पर हर वर्ष शासन की ओर से करोड़ो रूपए पानी की तरह बहाया जा रहा है फिर भी व्यवस्था में चार चांद लगते नज़र नहीं आ रहे है। आलम यह है कि कितना भी कहा जाए फिर भी सुधार होने के आसार नज़र नहीं आ रहे है। सूत्रों की मानें तो ग्रामीण क्षेत्र के डाक्टर सरकारी अस्पतालों में तैनाती के बावजूद भी जिले में रूकना नहीं पसंद नहीं कर रहे है प्रतिदिन बाहर से यात्रा कर आते है और समय से पहले फुर्र हो जाते है। जिसके चलते निजी अस्पताल, नर्सिग होमों और झोलाछाप चिकित्सकों की पौ बारह हो रही है। मरीज जाए तो कहा जाए आखिर उन्हें इनकी शरण में आना ही पड़ता है। यदि सतर्क चिकित्सा की ओर ध्यान दिया जाए तो इस बात से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रसव के लिए महिलाएं तड़पती रहती है और विभाग कर्मी उनकी सुध लेना भी उचित नहीं समझते और जब मामला तूल पकड़ जाता है तो विभागीय अधिकारियों द्वारा आश्वासन की घुट्टी पिलाकर मामला रफा दफा कर दिया जाता है जिसके चलते कभी कभी तड़पते मरीजों को बढ़ती पीड़ा से व्याकुल होकर अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है। इस संंबंध में सीएमओ का कहना है कि वह अभियान चला रहे है और जल्द ही समस्या से निजात दिलाई जाएगी। वही सीएमएस का कहना है 7 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 12 प्राथमिक केंद्र संचालित है। जिलें में 432 उपकेंद्र खोले गए है सभी जगह डाक्टर और स्वास्थ्य कर्मी तैनात है। वहीं ग्रामीणों क्षेत्रों में एएनएम तैनात है। उपकेंद्रों का काम कम प्रसव कराना है। कहने को जिले में सभी जगह डाक्टर व स्वास्थ्य कर्मी तैनात है परंतु वह हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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