6 दिसम्बर,1992 को श्रीराम जन्मभूमि पर खडा कलंकित ढांचा 5 घंटे में मंत्र सिद्धी के कारण ही समाप्त हुआ। कलंक से मुक्ति और मंदिर के मार्ग का प्रषस्त होने का कार्य अनुश्ठान से ही संभव होगा। यह विचार विष्व हिन्दू परिशद के अन्तर्राश्ट्रीय अध्यक्ष श्री अषोक सिंहल ने आन्ध्र प्रदेष से आकर अयोध्या के कारसेवकपुरम में अखण्ड विश्णुसहस्रनामजप के साधको के बीच व्यक्त किया।
17 अक्टूबर से श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के निमित्त आन्ध्र प्रदेष से आये अनुश्ठान कर्ताओं ने प्रातः 4 बजे से विश्णुसहस्रनाम का अखण्ड पाठ प्रारम्भ कर दिया है। यह पाठ 24 दिसम्बर प्रातः पूर्णाहुति के साथ सम्पन्न होगा। पाठ के दूसरे दिन आयोजित साधक सम्मेलन में श्री सिंहल ने कहा सर्वदेव अनुश्ठान से लोक मंगल कारी वातावरण का निर्माण हुआ है। देष के विभिन्न भागो से आये अनुश्ठानकर्ताओं की तपस्या का परिणाम रहा कि श्री हनुमान जी का 6 दिसम्बर को प्रकटीकरण हुआ और कलंकित ढांचा अप्रत्याक्षित रूप से समाप्त हो गया। उन्होंने कहा ईसाई और इस्लाम ईष्वर को सातवें आसमान पर मानते हैं जबकि हिन्दू समाज ईष्वर का कण-कण में सर्वत्र विद्यमान मानकर पूजा करता है। हिन्दू समाज में धारणा है कि हाथ की छोटी ऊँगली को भी पकड कर हम ब्रह्म को पकड लेतेे हैं अर्थात् वह भगवान को प्राप्त कर लेता है। जबकि अन्य धर्मावलम्बी इसके विपरीत सोचते हैं। उन्होनंे कहा हिन्दू समाज में सम्प्रदाय अनेक हैं लेकिन उसमें किसी भी प्रकार अन्य धर्मा की तरह विवाद नहीं है।
श्री सिंहल ने कहा श्रीराम जन्मभूमि पर विराजमान रामलला का भव्य मंदिर निर्माण करने के लिए एक धर्मयोद्धा की तरह समाज को खडा होना होगा। न्यायालय में यह विशय चल रहा है जो एक लम्बी प्रक्रिया है भारत के समस्त राजनीति दल हिन्दू भावनाओं का आदर करते हुए इसके समाधान के लिए बडी सोच अपनायें। उन्होंने कहा श्रीराम जन्मभूमि के निर्माण से राश्ट्रीय स्वाभिमान का पुनर्जागरण होगा। स्वतंत्रता प्राप्ति के पष्चात् गुलामी के प्रतीक चिन्हों का समाप्त करने का कार्य नया नहीं है। गुलामी का चिन्ह हटा कर सोमनाथ के मंदिर की पुनप्र्रतिश्ठा की गयी। जिसमें प्रथम राश्ट्रपति बाबू राजन्दे प्रसाद स्वयं उपस्थित रहे थे। इसी प्रकार अंग्रेजों के द्वारा खडे किए गए गुलामी के चिन्हों को स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद समाप्त किया गया। तो श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के लिए ऐसी सोच क्यों नहीं अपनायी जा रही। उन्हांेने कहा जिस ईष्वरीय कार्य को लेकर विष्व हिन्दू परिशद चला है उसको पूर्णता अवष्य प्राप्त होगी।
इस दौरान आन्ध्र प्रदेष से आये स्वामी सच्चिदानन्द तीर्थ ने कहा प्रभू श्रीराम जन-जन के हृदय में विराजमान है। भगवान विश्णु महामानव के रूप में अवतरित होकर अयोध्या जैसी पूण्य भूमि को अपनी लीला एवं कर्मभूमि बनाया उनके मंदिर निर्माण के लिए राजनैतिक दुराग्रह से ऊपर उठकर विचार करना चाहिए। स्वामी षंकरानन्द सरस्वती ने कहा अनुश्ठान एक ऐसा मार्ग है जो परमात्मा को भी दुर्गम कार्यो को पूर्ण करने के लिए विवष करा देता है। मंदिर का निर्माण अवष्य होगा और संकल्प पूर्ति का मार्ग प्रभु ही प्रषस्त करेंगे।
इस अवसर पर अन्तर्राश्ट्रीय संगठन महामंत्री दिनेष चन्द्र, संयुक्त महामंत्री चम्पत राय, केन्द्रीय मंत्री पुरूशोत्तम सिंह, राजेन्द्र सिंह पंकज, कारसेवकपुरम् प्रभारी प्रकाष अवस्थी, त्रिलोकीनाथ पांडेय, देवेन्द्र सिंह, प्रो.कृश्णमूर्ति सहित लंगभग सवा सौ साधक उपस्थित रहे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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