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चार दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय शैक्षिक सम्मेलन ‘एड लीडरशिप-2011’ का दूसरा दिन

Posted on 15 October 2011 by admin

शिक्षा में जीवन मूल्यों का समावेश नितान्त आवश्यक– देश-विदेश से पधारे शिक्षाविदों की आम राय

robert-1 सिटी मोन्टेसरी स्कूल, इनोवेशन विंग के तत्वावधान में सी.एम.एस. कानपुर रोड आॅडिटोरियम में चल रहे चार दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय शैक्षिक सम्मेलन ‘एड लीडरशिप-2011’ का दूसरा दिन बहुत ही दिलचस्प रहा, जिसमें विश्व के 10 देशों से पधारे शिक्षाविदों ने अपने शिक्षा पद्धति के विभिन्न आयामों पर विस्तृत चर्चा की एवं  भावी पीढ़ी के सर्वांगीण विकास हेतु शिक्षा प्रदान करने नये-नये तरीक सुझाये। विभिन्न देशों से पधारे प्रधानाचार्यो, शिक्षकों व शिक्षाविदों ने नई शिक्षण पद्धतियों पर व्यापक विचार विमर्श करते हुए निष्कर्ष व्यक्त किया कि शिक्षा केवल किताबों तक ही सीमित नहीं है अपितु इसमें जीवन मूल्यों का समावेश नितान्त आवश्यक है। शिक्षा का अर्थ है बालक को नैतिक व सामाजिक रूप से प्रकाशमान बनाना, जिससे बालक जीवन में आदर्शों को अपनाकर अच्छे आचरण व व्यवहार से मानवजाति की भलाई हेुए उन्मुख हो सके। इससे पहले एड-लीडरशिप-2011 के दूसरे दिन की शुरुआत सी.एम.एस. कानपुर रोड के छात्रों द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना गीत से हुई जिसके माध्यम से छात्रों ने सम्पूर्ण आडिटोरियम में ईश्वरीय एकता व आध्यात्मिक चेतना का संचार किया। ज्ञातव्य हो कि सी.एम.एस. इनोवेशन विंग के तत्वावधान में 14 से 17 अक्टूबर तक सी.एम.एस. कानपुर रोड आॅडिटोरियम में आयोजित इस अन्तर्राष्ट्रीय राउण्टटेबल कान्फ्रेन्स के अन्तर्गत बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, अमेरिका, इंग्लैण्ड, अर्जेन्टीना, फिनलैंड, सिंगापुर, नीदरलैण्ड व भारत के विभिन्न राज्यों से पधारे लगभग 500 प्रधानाचार्य, स्कूल प्रबन्धक, शिक्षक व शिक्षाविद् एक अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर नवीन शिक्षण पद्धतियों पर व्यापक चर्चा-परिचर्चा कर रहे हैं।
एड-लीडरशिप-2011 के अन्तर्गत दूसरे दिन की परिचर्चा में भाग लेते हुए प्रख्यात शिक्षाविद् व सी.एम.एस. संस्थापक डा. जगदीश गाँधी ने ‘स्कूल पालिसी एण्ड मैनेजमेन्ट: एड लीडरशिप एट स्कूल’ पर अपने सम्बोधन में कहा कि हमें छात्रों में विश्वव्यापी दृष्टिकोण व विचार विकसित करने की जरूरत है तभी आगे चलकर ये विद्यार्थी ग्लोबल लीडर के रूप में उभर कर सामने आयेंगे। उन्होंने कहा कि अब ये जरूरी हो गया है कि छात्रों का दृष्टिकोण विश्वव्यापी हो, सोच वैज्ञानिक हो और उनमें मानव जाति के उत्थान की भावना हो। इससे पहले आज के प्रातःकालीन सत्र में ‘ब्राडर एण्ड बोल्डर एजुकेशन’ विषय के अन्तर्गत चर्चा की शुरुआत करते हुए अमेरिका से पधारे काउन्सिल फाॅर ग्लोबल एजूकेशन के सह-संस्थापक डा. राबर्ट साण्डर्स ने कहा कि बालक को प्रोत्साहित करने के लिए अभिभावक व अध्यापकों को सदैव उसके सामने नये-नये उदाहरण रखने चाहिए एवं स्वयं एक रोल माडल बनकर बच्चों को शिक्षा देनी चाहिए। डा. साण्डर्स ने कहा कि जिन घरों में लड़ाई-झगड़े होते हैं, उनमें बच्चों में स्वतः ही हिंसक प्रवृत्ति जन्म लेती है। इसलिए अभिभावकों व शिक्षकों का यह परम दायित्व है कि वे घर व विद्यालय में प्रेम, भाईचारा व शान्ति का वातावरण बनाये रखें।
इसी विषय पर अपने विचार रखते हुए एड-लीडरशिप की संयोजिका डा. सुनीता गाँधी ने कहा कि अभिभावक बच्चों को समय दें एवं उनमें मिल-जुलकर कार्य करने की भावना डालें, साथ ही उनमें सकारात्क सोच, सुन्दर विचार व लीडरशिप स्किल भी संजोएं। डा. गाँधी ने आगे कहा कि छोटे बच्चों की कक्षाए चार दीवारी का कैदखाना की तरह नहीं होनी चाहिए अपितु हमें ‘थिंकिंग क्लासरूम’ विकसित करने का प्रयास करना चाहिए जहाँ छात्र स्वयं अपने बारे में सोचें, सलाह-मशविरा करें व अपने सुन्दर भविष्य का निर्माण स्वयं करने को जागरूक बनें।
इसी सारगर्भित परिचर्चा के अन्तर्गत सिंगापुर से पधारी प्रख्यात शिक्षाविद् सुश्री स्टेला फर्नांडिज ने ‘एजुकेशनल पालिसी डारेक्टिव्स’ विषय पर, इंग्लैण्ड से पधारे शिक्षाविद् श्री एण्डी हार्वे एवं सुश्री डी लोफ्ट्स ने ‘डेवलपिंग एन एकेडमिक वोकाबुलरी’ विषय पर एवं हेलसिंकी फिनलैंड से पधारी डा. एजा कापीनेन ने ‘अ वे टु माइक्रो-क्लाइमेट आॅफ चेन्ज’ विषय पर, यूनिवर्सिटी आॅफ लंदन, इंग्लैण्ड से पधारी शिक्षाविद् सुश्री किम इन्स्ले ने ‘डेवलपिंग पेडागोगीज’ विषय पर एवं आई.सी.एस. की संस्थापिका डा. अमृता दास ने ‘यूनिवर्सल एक्सेस टु यूनिवर्सल सक्सेस’ विषय पर सारगर्भित विचार रखे। इसके अलावा परवरिश इन्स्टीट्यूट आॅफ पैरेन्टिंग, नई दिल्ली की ओर से श्री सुशांत, डा. श्रुति जायसवाल, सुश्री रेणुका एवं सुरी सोनिया स्वरूप के प्रजेन्टशन ‘हाउ चिल्ड्रेन कैन गेट ग्रैटिफिकेशन आउट आॅफ देयर स्टडीज एण्ड स्कूलिंग’ को शिक्षाविदों की खूब प्रशंसा प्राप्त हुई।
सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने कहा कि यह शैक्षिक सम्मेलन शिक्षकों के लिए वरदान साबित हो रहा है जिसमें ‘कल, आज और कल’ की शिक्षा पद्धतियों का गहन विचार-विमर्श चल रहा है। श्री शर्मा ने बताया कि विचार-विमर्श का यह दौर कल 16 अक्टूबर को तीसरे दिन भी जारी रहेगा जिसके अन्तर्गत  देश-विदेश के शिक्षाविद् ‘असेसेमेन्ट स्ट्रेटजीज फाॅर ड्राइविंग चेन्ज’ एवं ‘राइट टु एजुकेशन एक्ट’ पर व्यापक चर्चा-परिचर्चा करेंगे तथापि डा. सुनीता गाँधी, सह-संस्थापक, काउन्सिल फाॅर ग्लोबल एजुकेशन, डा. गीता गाँधी किंगडन, चीफ आॅपरेटिंग आॅफीसर, सी.एम.एस., सुश्री किम इंस्ले, यूनिवर्सिटी आॅफ लंदन, यू.के., श्री पार्थ शाह, प्रेसीडेन्ट, सेन्टर फाॅर सिविल सोसाइटी, सुश्री अंजू वाल, प्रधानाचार्या, सेठ एम. आर. जयपुरिया स्कूल एवं सुश्री ली लाॅट्स, इंग्लैण्ड, आदि शिक्षाविदों के सारगर्भित अभिभाषण होंगे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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