हाथ धोओ जीवन बचाओ उत्तर प्रदेष ग्लोबल हैण्डवाषिंग डे 2011 मनाने के लिए तैयार

Posted on 15 October 2011 by admin

वाराणसी जिले में स्थित प्राथमिक विद्यालय, कचनार में 12 वर्षीय खुशबू अपने स्कूल में काफी लोकप्रिय है। इनको यह लोकप्रियता ऐसे हासिल नहीं हुई, चार साल पहले जब इन्होंने अपने हाथ साफ रखने के लिए साबुन से हाथ धोने की तरकीब सुझाई तो इनके उत्सुक दोस्तों ने इन्हें चारों तरफ से घेर लिया और आत्मविश्वासी खुशबू ने हाथ धोने के महत्वपूर्ण समय के बारे में अपने दोस्तों को बताया।

सन् 2008 के बाद से दुनिया भर के लोगों ने 15 अक्टूबर को ग्लोबल हैण्डवाशिंग डे के रूप में मनाना शुरू किया। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य बीमारियों से बचाव के लिए साबुन से हाथ धोने की महत्व पर जागरूकता फैलाना है। पिछले साल भी दुनिया भर में 70 से अधिक देशों में ग्लोबल हैण्डवाशिंग डे मनाया गया जिसमें 200 मिलियन बच्चों ने भाग लिए।

उत्तर प्रदेश में भी स्कूलों, शिक्षकों, बच्चों और परिवारों ने इस महत्वपूर्ण अभ्यास के लिए हर वर्ष इस दिवस को मनाने की प्रतिबद्धता जाहिर की और इसके परिणाम उत्साहजनक रहे हैं।

इलाहाबाद में नेवादा सामोगर स्थित अपर प्राइमरी स्कूल के कार्यवाहक प्राचार्य श्री राम प्रसाद शुक्ला ने बताया, ‘‘पहले बच्चे अकसर बीमार पड़ जाते थे और अब खाने से पहले साबुन से हाथ धोने की अधिक से अधिक जागरूकता के साथ बच्चे प्रायः बीमार नहीं होते हैं। यह अच्छी आदत बच्चों को नियमित रूप से स्कूल आने में मदद करता है।’’

15 अक्टूबर, 2011 पर उत्तर प्रदेश के सभी 155000 सरकारी प्राथमिक स्कूल इस दिवस को विशेष दिन के रूप में मनायेगी और इन स्कूलों को यह सुनिश्चित करना है कि साबुन से हाथ धोने के संदेश को सभी बच्चों तक पहुँचे। उत्तर प्रदेश में लगभग 1.5 लाख आँगनवाड़ी कार्यकत्र्ता भी यह सुनिश्चित करेंगे कि बच्चे साबुन से ही हाथ धोऐं और उनके माताओं को इस सरल अभ्यास के बारे में जानकारी हो।

अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन के अनुसार, महत्वपूर्ण समय में साबुन से हाथ धोने से 40 प्रतिशत से अधिक अतिसार होने की दर को कम कर सकते हैं। साबुन की कमी कोई बाधा नहीं है, क्योंकि अधिकतर घरों में साबुन का प्रयोग होता है। बल्कि बाधा यह है कि लोग शायद ही कभी साबुन का प्रयोग हाथ धोने के लिए करते हैं। अपने स्थायी व्यवहार में परिवर्तन लाना और साबुन से हाथ धोने का एक नियमित अभ्यास ही यूनिसेफ के विश्वव्यापी स्वास्थ्य और स्वच्छता कार्यक्रमों के प्रमुख घटक हैं।

’’बच्चे अतिसंवेदनशील होते हैं। वे अनुपातहीन रूप से अतिसारीय रोगों के शिकार हो जाते हैं। महत्वपूर्ण समय में साबुन से हाथ धोने का एक आसान तरीका जैसे कि शौचालय का उपयोग करने के बाद और भोजन करने से पहले हाथ धोना, एक कम लागत और उच्च प्रभाव वाला जीवनरक्षक हस्तक्षेप हो सकता है।’’ यह कहना था उत्तर प्रदेश के यूनिसेफ कार्यालय प्रमुख श्री अदेल खुद्र का।

इस वर्ष भी उत्तर प्रदेश में लाखों बच्चे, अभिभावकगण, शिक्षकगण और अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्ताऐं साबुन से हाथ धोने के लिए और इस संदेश को अन्य परिवारों में फैलाने लिए तत्पर रहेंगे। यह सरल संदेश है - हाथ धोओ जीवन बचाओ।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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